सिरसा अंचल -
श्रावण का पवित्र माह चल रहा है। इस माह में हर कोई अपने-अपने ढंग से भगवान शिव को खुश करने में जुटा हुआ है। कोई प्रतिदिन शिवालय में जाकर भगवान शिव का दूध-दही और बेलपत्रों से अभिषेक कर रहा है तो किसी ने इस पवित्र माह में मांसाहार से तौबा कर ली है। लोगों की इस प्रवृत्ति के कारण सावन माह में मांसाहार करने वालों की संख्या में कमी आई है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार श्रावण माह में मांसाहार को वर्जित माना गया है। इस माह में मांसाहार करने से कई तरह की बीमारियां लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।
इस कारण बारिश के इस मौसम में विशेषज्ञ भी मांसाहार से दूर रहने की सलाह देते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर के ढाबों के साथ होटलों में भी मांसाहार भोजन कम मात्र में बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने श्रावण माह को देखते हुए अपने आप ही मांसाहार भोजन छोड़ दिया है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार श्रावण माह में मांसाहार को वर्जित माना गया है। इस माह में मांसाहार करने से कई तरह की बीमारियां लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।
इस कारण बारिश के इस मौसम में विशेषज्ञ भी मांसाहार से दूर रहने की सलाह देते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर के ढाबों के साथ होटलों में भी मांसाहार भोजन कम मात्र में बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने श्रावण माह को देखते हुए अपने आप ही मांसाहार भोजन छोड़ दिया है।
ज्योतिषाचार्य जीएम हिंगे के अनुसार श्रावण के महीने में व्यक्ति को मांसाहार का सेवन नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह संपूर्ण महीना भगवान शिवशंकर की आराधना का रहता है। शास्त्र कहते हैं कि इस माह में मांस तो क्या प्याज, लहसुन का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
शिव मंदिर के पुजारी गोपाल शर्मा कहते हैं कि श्रावण के पूरे माह में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। वहीं शराब आदि भी नहीं पीना चाहिए।
श्रावण के साथ-साथ बरसात के इस मौसम में मांसाहार तो क्या बाहर का भोजन करने से भी बचना चाहिए। जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है। वैसे भी इस सीजन में उल्टी, खांसी, जुकाम के साथ कई बीमारियां हो रही हैं। श्रावण के इस माह में मांसाहार भोजन करने वालों की कमी हुई है। इसको लेकर अब होटल में भी मांसाहार भोजन भी कम ही बनाया जा रहा है।
युवा वर्ग भी श्रावण माह को लेकर काफी उत्साहित और आस्थावान हैं। इसलिए अपने परिवार को छोड़ कर दूर शहर में रह रहे युवा भी इन दिनों मांसाहार, लहसुन प्याज का त्याग कर रहे हैं। श्रावण का पवित्र माह चल रहा है। इस माह में हर कोई अपने-अपने ढंग से भगवान शिव को खुश करने में जुटा हुआ है। कोई प्रतिदिन शिवालय में जाकर भगवान शिव का दूध-दही और बेलपत्रों से अभिषेक कर रहा है तो किसी ने इस पवित्र माह में मांसाहार से तौबा कर ली है। लोगों की इस प्रवृत्ति के कारण सावन माह में मांसाहार करने वालों की संख्या में कमी आई है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार श्रावण माह में मांसाहार को वर्जित माना गया है। इस माह में मांसाहार करने से कई तरह की बीमारियां लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।
इस कारण बारिश के इस मौसम में विशेषज्ञ भी मांसाहार से दूर रहने की सलाह देते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर के ढाबों के साथ होटलों में भी मांसाहार भोजन कम मात्र में बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने श्रावण माह को देखते हुए अपने आप ही मांसाहार भोजन छोड़ दिया है।
शिव मंदिर के पुजारी गोपाल शर्मा कहते हैं कि श्रावण के पूरे माह में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। वहीं शराब आदि भी नहीं पीना चाहिए।
श्रावण के साथ-साथ बरसात के इस मौसम में मांसाहार तो क्या बाहर का भोजन करने से भी बचना चाहिए। जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है। वैसे भी इस सीजन में उल्टी, खांसी, जुकाम के साथ कई बीमारियां हो रही हैं। श्रावण के इस माह में मांसाहार भोजन करने वालों की कमी हुई है। इसको लेकर अब होटल में भी मांसाहार भोजन भी कम ही बनाया जा रहा है।
युवा वर्ग भी श्रावण माह को लेकर काफी उत्साहित और आस्थावान हैं। इसलिए अपने परिवार को छोड़ कर दूर शहर में रह रहे युवा भी इन दिनों मांसाहार, लहसुन प्याज का त्याग कर रहे हैं। श्रावण का पवित्र माह चल रहा है। इस माह में हर कोई अपने-अपने ढंग से भगवान शिव को खुश करने में जुटा हुआ है। कोई प्रतिदिन शिवालय में जाकर भगवान शिव का दूध-दही और बेलपत्रों से अभिषेक कर रहा है तो किसी ने इस पवित्र माह में मांसाहार से तौबा कर ली है। लोगों की इस प्रवृत्ति के कारण सावन माह में मांसाहार करने वालों की संख्या में कमी आई है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार श्रावण माह में मांसाहार को वर्जित माना गया है। इस माह में मांसाहार करने से कई तरह की बीमारियां लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।
इस कारण बारिश के इस मौसम में विशेषज्ञ भी मांसाहार से दूर रहने की सलाह देते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर के ढाबों के साथ होटलों में भी मांसाहार भोजन कम मात्र में बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने श्रावण माह को देखते हुए अपने आप ही मांसाहार भोजन छोड़ दिया है।
शिव मंदिर के पुजारी गोपाल शर्मा कहते हैं कि श्रावण के पूरे माह में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। वहीं शराब आदि भी नहीं पीना चाहिए।
श्रावण के साथ-साथ बरसात के इस मौसम में मांसाहार तो क्या बाहर का भोजन करने से भी बचना चाहिए। जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है। वैसे भी इस सीजन में उल्टी, खांसी, जुकाम के साथ कई बीमारियां हो रही हैं। श्रावण के इस माह में मांसाहार भोजन करने वालों की कमी हुई है। इसको लेकर अब होटल में भी मांसाहार भोजन भी कम ही बनाया जा रहा है।
युवा वर्ग भी श्रावण माह को लेकर काफी उत्साहित और आस्थावान हैं। इसलिए अपने परिवार को छोड़ कर दूर शहर में रह रहे युवा भी इन दिनों मांसाहार, लहसुन प्याज का त्याग कर रहे हैं।