Wednesday, 4 January 2012

हवाई अड्डे पर आग, करोड़ों की संपत्ति खाक

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मध्यरात्रि के बाद लगी भयंकर आग में करोड़ों की संपत्ति जल कर खाक हो गई लेकिन इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।

सूत्रों ने बताया कि आग रात करीब 12 बजकर 45 मिनट पर सेलेबी कंपनी के मानव संसाधन विभाग में लगी। यह कंपनी हवाई अड्डे पर माल परिवहन सेवाओं का संचालन करती है।

पुलिस और अग्निशमन अधिकारियों ने बताया कि हालांकि, अग्निशमन विभाग को आग लगने की जानकारी रात एक बजकर 15 मिनट पर मिली।

उन्होंने बताया कि आग पर काबू पाने में चार घंटे से अधिक समय लगा और 33 दमकल गाड़ियों की मदद लेनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आग पर लगभग सुबह साढ़े छह बजे काबू पा लिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि मालवाहक भवन के पहले तल पर 10 एयरलाइनों के कार्यालय और सेलेबी का मानव संसाधन विभाग था। आग में ये सभी कार्यालय पूरी तरह जलकर राख हो गए।

सूत्रों ने बताया कि रखरखाव से जुड़े कर्मियों ने शुरू में अग्निशमन यंत्रों के जरिए मालवाहक परिसर में लगी आग पर खुद ही काबू पाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।

संकल्पों के साथ, कैरियर की शुरुआत संकल्प और आलस एक-दूसरे के दुश्मन

जो संकल्प लिया गया हो, उसके बारे में अपने दोस्तों तथा रिश्तेदारों को भी बताना जरूरी है। इससे फायदा यह होगा कि आप संकल्प पूर्ण करने में जरा भी कमजोर या निष्क्रिय दिखाई दिए तो आपके दोस्त व रिश्तेदार आपको आपके संकल्प की याद दिला देंगे

कई लोगों को लगता है कि जिंदगी बहुत छोटी है, इसमें कई बड़े काम करने हैं। यह सही है कि जीवन बहुत छोटा है, लेकिन यह सोच कतई उचित नहीं है कि आप एकसाथ कई संकल्प कर लें या कामों की लाइन लगा दें। मतलब यही कि आप कई संकल्प एकसाथ न लें। ऐसा करना अपनी क्षमताओं को बहुत ज्यादा आंकने से भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि ठोक-बजाकर वही संकल्प लें, जिसे पूरा करना संभव हो।

अक्सर देखा जाता है कि देखा-देखी या किसी के कहने में आकर भी संकल्प ले लिए जाते हैं। ऐसे संकल्पों की कोई ठोस जमीन नहीं होती। नतीजतन संकल्प का कोई मतलब नहीं रह जाता। इससे बेहतर है कि अपनी रुचि, इच्छा तथा तैयारी हो तभी संकल्प लें। हरेक व्यक्ति की क्षमता, सोच, उत्साह, जोश, प्रवृत्ति, प्रकृति आदि अलग-अलग होते हैं। इसलिए अपने व्यक्तित्व को जाँचकर संकल्प लें।

जो संकल्प लिया गया हो उसके बारे में अपने दोस्तों तथा रिश्तेदारों को भी बताना जरूरी है। इससे फायदा यह होगा कि आप संकल्प पूर्ण करने में जरा भी कमजोर या निष्क्रिय दिखाई दिए तो आपके दोस्त व रिश्तेदार आपको आपके संकल्प की याद दिला देंगे।

बड़े काम तभी संभव हो पाते हैं, जब उन्हें पूरा करने में हम पूरी दृढ़ता के साथ पूरी शक्ति, उमंग, जोश तथा ऊर्जा के साथ लग जाते हैं। यदि हमारी मनःस्थिति ढुलमुल रही या हम 'हां-ना' के जाल में फंसे रहे तो एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। काम छोटा हो या बड़ा, उसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

Carrer Guidance
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जीवन को अर्थवान बनाने के लिए कई लोग तरह-तरह के संकल्प लेते हैं। इससे उनके जीवन का लक्ष्य तय होता है। प्रसिद्ध विचारक स्वेट मॉर्डेन ने अपनी पुस्तक में लिखा है,'ऐसा व्यक्ति कठिनाई से मिलता है, जो विश्वासपूर्वक यह कह सके कि मैं करूंगा। जो कार्य मुझे करना चाहिए मैं उसे करता हूं, जो कार्य मैं कर सकता हूं, वह मुझे करना चाहिए। भगवान की कृपा से मैं ऐसे कार्य अवश्य पूरे करूंगा। मैंने परम पिता परमेश्वर के सम्मुख प्रण लिया है कि मैं इसे अवश्य पूर्ण करूंगा।' व्यक्ति इस आधार पर अपना संकल्प तय कर ले तो उसमें जो आत्मविश्वास एवं दृढ़ता आएगी, उससे उसके संकल्प के पूरा होने में कोई संदेह नहीं रहेगा।

किसी भी संकल्प को लेने से पहले सबसे ज्यादा जरूरी है कि बिलकुल शांत तथा एकाग्र हो जाएं। फिर अपनी तमाम शक्तियों या क्षमताओं तथा कमजोरियों का पूरा आकलन करें। इसमें अपनी रुचि को सर्वोच्च स्थान दें। ऐसा करने से आपको अपनी सीमाओं का पता चल जाएगा और आप अपनी हद में रहकर संकल्प ले सकेंगे। 

यदि ऐसा नहीं किया गया तो संकल्प अति उत्साह या आवेग में लिया हुआ होगा, जिसका ज्वार बहुत जल्दी उतर जाता है। ऐसे में व्यक्ति का संकल्प भी धरा-का-धरा रह जाता है। इसका असर इतना विपरीत होता है कि व्यक्ति निराश एवं हताश हो जाता है, जिससे उसके दूसरे कार्य भी बिगड़ जाते हैं। उसका संपूर्ण व्यक्तित्व नकारात्मक दिशा में जा सकता है।

गुरु-मंत्र : खुशी के लिए संकल्प जरूरी

हेलो दोस्तो! नए वर्ष का स्वागत आप इतने उत्साह और शोर-शराबे के साथ हर बार इसलिए करते हैं कि आपके दिल में कुछ पाने की उम्मीद रहती है। वे खुशियां जिनकी अपने कामना और कोशिश की पर वे न मिलीं। नया साल शुरू होते ही वे सभी अधूरे ख्वाब पूरा करने की तमन्ना प्रबल हो जाती है। ऐसा लगता है मानो जीवन ने आपको एक और मौका दिया है खुशियों को अपने पक्ष में करने का। 

आप इस नए वर्ष के पहले दिन पीछे मुड़कर देखना चाहते हैं कि आखिर आपसे किस-किस क्षेत्र में चूक हुई है जिसके कारण आप मंजिल से दूर रह गए। अपने स्मृति पटल पर जोर देने पर आपको अहसास होता है कि निहायत मामूली सी कमियों व कोताहियों के कारण आप वह हासिल नहीं कर सके जिसकी आपको चाह थी। 

जब आप अपनी डायरी उठाकर देखते हैं तो पाते हैं कि ज्यादातर दुखों व कष्टों का जिम्मेदार कोई और नहीं, आप खुद ही थे। शक व संशय से किसी को तकलीफ या मजा चखाने जैसे विचार और प्रवृत्ति के कारण ही आपका मन ज्यादा विचलित व बेचैन हुआ था। अपनों पर भरोसा न कर किसी दुष्ट के बहकावे में आकर अपना सुख-चैन गंवाने का नतीजा हमेशा बुरा ही निकला। इस कारण न तो आपको शांति मिली और न ही स्वास्थ्य लाभ। आपकी मूल चाहत थी खुशी। 

इन सारे विश्लेषणों के बाद आपके संकल्प की सूई अब कहां जाकर रुकनी चाहिए? जी हां, खुशी के लिए संकल्प का पहला सबक यही बनता है कि अपनों पर भरोसा किया जाए। अपने बच्चे, माता-पिता, साथी, दोस्त, रिश्ते, नातेदार पर भरोसा करना सीखें, न कि उन गैर चुगलखोरों की सुनें जो आपका सुकून चुराने में माहिर हैं। किसी अपने से कोई भूल हो गई है तो उसे जीवन भर का सच न मान लें। दोस्तनुमा दुश्मन के बहकावे में आकर अपनों पर निरंतर शक करने से आप उन्हें फिर गलत करने के लिए उकसाते हैं। 

कुछ कारगर संकल्प इस प्रकार करें: 

बीते समय की चीर-फाड़ कर समय बर्बाद करने के बजाय भविष्य को सुधारने के बारे में आप विचार करेंगे। 

हर किसी को माफ कर देंगे । 

बदला लेने के लिए कोई कितना भी उकसाए, ऐसा नहीं करेंगे। 

ज्यादा भावुक हुए बिना ही जिनसे प्यार है उनका साथ देंगे। 

यथार्थ व तर्क को अहमियत देते हुए भी दिल की भी सुनेंगे। 

कोशिश करें कि छोटे-मोटे अरमान पूरे करते चलें ताकि जीने का मजा मिलता रहे।

ज्योतिष विद्या से मिली सूचनाओं पर केवल अच्छे पहलुओं पर यकीन करें और चिंता वाली बातों को झूठा मानें ताकि गंडे-तावीज के चक्कर में आपकी जेब खाली न हो।

इंटरनेट, फेसबुक व फोन पर पूरी तरह निर्भर नहीं होकर रूबरू होकर संवाद का मजा लें। 

अपने चाहनेवालों के सीधे संपर्क में रहें ताकि हौसला बना रहे। 

नैतिकता का वही पैमाना अपने लिए भी तय करें जो दूसरों के लिए रखें। 

अपने जलनशील स्वभाव के कारण दूसरों का सुख चैन न लूटें।

अपने को खाने-पीने से वंचित कर त्याग व बलिदान करने जैसी कसम या संकल्प न लें, यह मूलतः अपनों को प्यार नहीं सजा देने के लिए होता है।

किसी भी प्रकार की अति से बचने की कोशिश करें। 

बार-बार अपना मन न बदलें, एक विचार पर टिककर रहें ताकि स्थिरता रहे। 

मजे की बात यह है कि ज्यादातर संकल्प आप हर बार करते हैं और वे पहले ही दिन से टूटने लगते हैं। नहीं पीने या संतुलित खाने के संकल्प, आप यह कहकर तोड़ देते हैं कि अब आज तो नया वर्ष शुरू हुआ है, आज तो जश्न का दिन है, क्या सोचना। कल से देखा जाएगा और वह कल कभी नहीं आता। इसलिए कोई सख्त इरादा करना फायदेमंद नहीं होता है। केवल मोटी-मोटी बातों की गांठ अपने जीवन में बांध लेने भर से ही जीवन की नैय्या पार लग सकती है। खुद को खुश रखना। खुशी के लिए जरूरी है कि अपनी सेहत पर ध्यान दें। दूसरों का बुरा चाहने वालों की सेहत अमूमन थोड़ी नाजुक रहती है। 

किसी भी घटना या बात को बहुत ज्यादा तूल न दें। खुशी हो या गम, संयम रखें और अति उत्तेजित न हों। सामाजिक मामला हो या पारीवारिक बहुत अधिक भावना में बहकर माहौल को खराब न करें। किसी पर हाथ उठाना या अपशब्द बोलना आपको अपरिपक्व साबित करता है। अपनी मस्ती, अपनी खुशी, अपनी सफलता का पैमाना खुद तय करें। जीवन के हर क्षेत्र में आपका लक्ष्य आपका अपना होना चाहिए न कि दूसरे क्या चाहते हैं। लालच से थोड़ा बचकर चलना ही सुकून देता है।

अन्ना व उनके आंदोलन के नाम रहा बीता वर्ष

भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग में अहम भूमिका निभाने वाले गांधीवादी अन्ना हजारे वर्ष 2011 में सर्वाधिक सुर्खियों में रहे। उन्होंने चर्चित हस्तियों की दौड़ में क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर और महानायक अमिताभ बच्चन को भी पीछे छोड़ दिया। इतना ही नहीं अन्ना के आंदोलन को भी लोगों ने वर्ष की सबसे बड़ी घटना माना। दुनिया के पहले हिन्दी पोर्टल वेबदुनिया के सर्वेक्षण-2011 में कुछ इसी तरह के परिणाम सामने आए। यह सर्वेक्षण वेबदुनिया की सभी भाषाओं में किया गया, जिसमें हजारों पाठकों ने भाग लिया।हजारे की हुंकार : गांधीवादी तरीके से अनशन कर देश की सरकार को हिलाने और लोकपाल बिल लाने के लिए मजबूर करने वाले अन्ना 67.55 फीसद मत हासिल कर भारत की सबसे चर्चित हस्ती बने, जबकि उनके खिलाफ जुबानी तीर चलाने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह इस श्रेणी में मात्र 0.39 प्रश वोट हासिल कर नौवें स्थान पर रहे। सचिन तेंडुलकर, अमिताभ बच्चन, नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी इस श्रेणी में क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे।

एक युवक का थप्पड़ खाने वाले राकांपा नेता शरद पवार आखिरी पायदान पर रहे। भ्रष्टाचार के खिलाफ बीते वर्ष में लोगों की नाराजी कुछ ज्यादा ही देखने को मिली। यही कारण है कि 66 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने अन्ना के आंदोलन को वर्ष की सबसे बड़ी घटना माना। इसी कड़ी में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले (15.89 प्रश) को लोगों ने दूसरी सबसे बड़ी घटना माना। मुंबई बम विस्फोट तीसरी और बंगाल में वामपंथी सत्ता का अंत चौथी सबसे बड़ी घटना रही।