Friday 6 January 2012

रोहतांग में साढ़े 3 फीट बर्फ, लाहौल में बस सेवा बंद

कुल्लू/मनाली. कुल्लू की पहाड़ियों पर शुक्रवार को भी बर्फबारी का दौर जारी रहा। रोहतांग में साढ़े तीन फीट बर्फ गिरी है। वहीं, शिमला समेत प्रदेश के कई हिस्सों में भी बर्फ के फाहे गिरते रहे।

केलांग. लाहौल स्पीति में एचआरटीसी ने बस सेवा सेवा बंद कर दी है। कार्यकारी प्रबंधक मंगल चंद मनेपा ने बताया कि बसें चलाना खतरनाक हो सकता है।

सीएम नीतीश से ज्यादा अमीर है उनका बेटा

पटना।। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ज्यादा संपत्ति उनके बेटे निशांत के पास है। यह खुलासा बिहार के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों द्वारा सोमवार को अपनी-अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने के बाद हुआ।

इस घोषणा के मुताबिक राज्य के शिक्षा मंत्री पी. के. शाही मंत्रिमंडल के सबसे अमीर सदस्य हैं जबकि सबसे कम संपत्ति के मालिक श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल हैं।

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2010-11 के आयकर रिटर्न में जहां एक लाख 62 हजार 193 रुपए की इनकम दिखाई है। वहीं उनके बेटे निशांत को 2,50,410 रुपए की इनकम हुई है। मुख्यमंत्री के पास तीन बैंकों के खाते में करीब 38,000 रुपए हैं, वहीं निशांत के बैंक खाते में 46 लाख रुपए जमा हैं। जूलरी में भी निशांत आगे नजर आ रहे हैं। नीतीश जहां करीब 52 हजार रुपए की जूलरी के मालिक हैं, वहीं उनके पुत्र के पास 11 लाख रुपए से ज्यादा के गहने हैं।

इस तरह नीतीश के पास करीब छह लाख 15 हजार रुपए की और उनके बेटे के पास 73 लाख 60 हजार रुपए की चल संपत्ति है। अचल संपत्ति के मामले में भी निशांत अपने पिता से आगे हैं। निशांत के नाम करीब 42 लाख 69 हजार रुपए की अचल संपत्ति है जबकि नीतीश के पास कुल 40 लाख रुपए की अचल संपत्ति है।

दरअसल, निशांत के नाम नीतीश की अधिकत्तर पैतृक संपत्ति के अलावा उनकी मां से प्राप्त संपत्ति भी है। निशांत की मां एक टीचर थीं, जिनकी मौत हो चुकी है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने खुद और मंत्रिमंडल के सदस्यों के अपनी-अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का वादा किया था। पिछले वर्ष भी इसी समय मंत्रियों ने अपनी-अपनी संपत्तियों के ब्योरा सार्वजनिक किए थे। पिछले वर्ष की तुलना में सभी मंत्रियों के चल और अचल संपत्ति में वृद्धि हुई है। मंत्रियों ने पत्नी और बच्चों के नाम की चल और अचल संपत्ति का ब्योरा भी सार्वजनिक किया है।

डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक प्रकोष्ठ पर निगाहें

बठिण्डा(प्रैसवार्ता) पंजाब विधानसभा के 30 नवंबर को होने जा रहे विधानसभाई चुनावों को लेकर प्रदेशवासियों की नजरें डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक प्रकोष्ठ पर टिक गई है, जो चुनावों में अहम् भूमिका निभाने में सक्षम माना जाता है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार डेरा  सच्चा सौदा के राजनीतिक प्रकोष्ठ ने डेरा प्रेमियों से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। पिछले विधानसभाई चुनावों में डेरा के इस राजनीतिक प्रकोष्ठ का रूझान कांग्रेसी पक्षीय रहा था, जिसकी अकाली-भाजपा सरकार बनने पर चर्चाएं भी हुई थी और अकाली दिग्गजों को शिकायत भी रही थी कि मालवा क्षेत्र में डेरा के इस राजनीतिक प्रकोष्ठ ने अकाली दल को राजनीतिक घाव दिए थे, जिन्हें अब तक कई अकाली दिग्गज सहरा रहे है। सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक प्रकोष्ठ की सात सदस्यीय कमेटी सक्रिय हो गई है और डेरा प्रेमियों से संपर्क बनाने में जुट गई है। डेरा प्रेमियों को सात सदस्यीय कमेट निर्णय की प्रतीक्षा करने को कह रही है और संकेत दे रही है कि राजनीतिक प्रकोष्ठ के निर्णय पर अमलीजामा पहनाने के लिए तैयार रहें। सूत्रों के मुताबिक भविष्य में होने  जा रहे पंजाब विधानसभाई चुनावों में डेरा का राजनीतिक प्रकोष्ठ एक तरफा समर्थन की बजाए विभिन्न विभिन्न दलों के प्रत्याशियों की सहायता करने की संभावना है।

सफलता के लिए बॉडी लैंग्‍वेज पर ध्यान दें

सक्‍सेस केवल अच्‍छी नॉलेज रखने या स्‍कि‍ल्‍स पाने में नहीं है। आप तब तक सक्‍सेस नहीं पा सकते जब तक आपका खुद को एक्‍सप्रेस करने का तरीका सही नहीं है। 

प्रोफेशनल लाइफ हो या पर्सनल लाइफ इंपॉर्टेंट यह नहीं है कि आप क्या कहते हैं, बल्कि यह ज्‍यादा इंपॉर्टेंट है कि आप उसे किस तरह कहते हैं? हमेशा मुस्कराते रहें। जो लोग अपने बारे में अच्छा सोचते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज अक्सर बेहतर होती है।

सार्वजनि‍क जीवन जीने वालों के लि‍ए ही नहीं बल्‍कि‍ दफ्तर में काम करने वालों के लि‍ए भी 'एटि‍ट्यूड' बड़ी काम की चीज है। इसलि‍ए जब भी आप कि‍सी से बात करें तो बॉडी लैंग्‍वेज पर जरूर ध्‍यान दें। 

कुछ खास बातें : 

चाहे बॉस हो या कलीग हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें करें।

खुली हथेलियां गंभीरता और ग्राह्यता को दर्शाती हैं।

करीब रहकर बात करना यानी रुचि लेना और दूर होने का मतलब है बातचीत में ध्यान नहीं होना।

आराम मुद्रा का मतलब है कि आप संवाद के लिए तैयार हैं। 

ऑफिस में हाथ बांधकर खड़ा नहीं होना चाहिए, यह विरोध का संकेत है। 

हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं। 

मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है।

ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपनी पर्सनालि‍टी की सीरि‍यसनेस खो देंगे।

दसवीं में फेल हुए, पिता ने दी दावत


BBC
एक बार मेरे पिताजी मुझे एक मंहगे होटल में लेकर गए, जहां हम तीन-चार महीनों में एक बार ही जाते थे।

पिताजी ने अपने लिए और मेरे लिए खाना मंगवाया और खाने के बाद मुस्कुराते हुए बिल दे दिया।

मैंने अपने पिताजी से पूछा, 'क्या आपका प्रोमोशन हुआ है।'

मेरे पिताजी ने कहा नहीं।

फिर मैंने अपने पिताजी से कहा, 'क्या आपने रिश्वत ली है।'

उनका जवाब फिर ना था।

मैंने पूछा, 'ये तो बताइए कि आख़िर हुआ क्या है।'

तो मेरे पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा, 'तुम दसवीं कक्षा में फेल हो गए हो।'

मैंने आश्चर्यचकित होकर कहा, 'और आप जश्न मना रहे हैं।'

मेरे पिताजी ने कहा, 'मैं तुम्हारी असफलता का जश्न मना रहा हूँ ताकि जिंदगी में जब कभी भी तुम असफल हो तो चिंता मत करना।'

दसवीं कक्षा में फेल होने वाले ये छात्र थे बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर और इस वाकिए ने अनुपम खेर के दिल से असफलता के डर को हमेशा के लिए निकाल दिया।

अनुपम खेर ने ये वाक्या मुंबई में अपनी किताब 'द बेस्ट इन यू इज यू' के विमोचन के मौके पर सुनाया। अनुपम खेर ने अपनी जिंदगी के कई पहलुओं से प्रेरणा लेते हुए इस किताब को लिखा है। हिन्दी फिल्म जगत के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने इस किताब का विमोचन किया। 

इस मौके पर अमिताभ ने कहा, 'अनुपम के व्यक्तित्व के बारे में बात करने के लिए इस तरह का मौका शायद कम पड़े, उनके बारे में बात करने के लिए मुझे कई दिन चाहिए।'

अपनी किताब के शीर्शक के बारे में अनुपम कहते हैं, 'आज की दुनिया में जब आपको सब डराने की कोशिश में लगे हुए हैं। आज की दुनिया की मार्केटिंग आपको हर पल अहसास करवाती रहती है कि आप से बेहतर कई और है। आप कितनी भी बड़ी सफलता हासिल कर लें वो कम है। तो मुझे लगता है कि आपको ताकत अपने आप से ही मिल सकती है क्योंकि अगर आपके अंदर एक कायर है तो आपके अंदर ही एक बहादुर इंसान भी है।'

इस मौके पर अनुपम खेर की पत्नी किरन खेर भी मौजूद थी।

किरन खेर ने कहा, 'अनुपम को मैं तब से जानती हूँ जब हम सिर्फ दोस्त हुआ करते थे। जब कभी मैं भावनात्मक रुप से कमजोर महसूस करती थी, तब वो ही मेरा मनोबल बढ़ाते थे। तो मुझे लगता है कि इस तरह की किताब लिखने के लिए अनुपम ही उपयुक्त हैं।'

अनूठा है बेरोजगारों का 'गुजर बसर कॉलेज'

यह ना तो कोई विश्वविद्यालय है और ना ही मैनेजमेंट संस्थान मगर इसकी इमारत कई अच्छे विश्वविद्यालयों से विशाल दिखती है। सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच जारी हिंसा के खौफ के साए में जीने को मजबूर युवा इस इमारत में अपने भविष्य को संवारने का ख्वाब लिए जमा होते हैं।

बढ़ती बेरोजगारी और पलायन को रोकने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने एक अनोखी पहल की है। इस कस्बे के मुख्यालय में बेरोजगारों के लिए एक कॉलेज शुरू किया गया है।

इस कॉलेज का नाम है गुजर बसर कॉलेज यानी 'लाइवलीहुड कॉलेज'। प्रशासन का दावा है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा कॉलेज है जो सिर्फ बेरोजगारों के लिए है।

इस महाविद्यालय में दाखिला लेने के लिए किसी योग्यता की जरूरत नहीं है और यहाँ बेरोजगार युवकों और युवतियों को आजीविका के लिए तैयार किया जा रहा है।

शिक्षा : यहाँ दाखिला लिए कई युवक युवतियाँ ऐसे हैं जिन्होंने या तो पढ़ाई छोड़ दी है या फिर दूसरी कक्षा तक ही पढ़ पाए। बहुत सारे ऐसे भी हैं जो लिखना पढ़ना तो जानते हैं, लेकिन उनकी कोई शैक्षिक योग्यता नहीं है।

बस्तर के सुदूर इलाक़ों में रोजगार के संसाधनों का काफी अभाव है और यह कहा जा रहा है कि इसी अभाव और नक्सली हिंसा की वजह से इस इलाके से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। खास तौर पर दंतेवाड़ा और बीजापुर के सुदूर जंगली इलाकों में कई ऐसे गाँव हैं जो वीरान हो गए हैं क्योंकि वहां रहने वाले लोग अपने घर छोड़कर रोजी रोटी की तलाश में दूसरे इलाकों में चले गए हैं।

इस गुजर बसर कॉलेज में बीजापुर के आवापल्ली से आई रश्मि कुमारी ने बातचीत के दौरान बताया कि इस सुदूर अंचल में जिन्दगी काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा, 'शाम पांच बजे के बाद गाड़ियाँ नहीं चलती हैं। सूरज ढलते ही जिन्दगी थम जाती है।' रश्मि एक बेहतर भविष्य का सपना लिए दंतेवाड़ा चली आई।

कुआकोंडा के बीर नाथ कहते हैं कि वो एक ग़रीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं और उनके पिता उन्हें आगे पढ़ाने में अक्षम हैं। बीर नाथ ने कहा, 'ना साधन हैं ना रोजगार है। ऐसे में हम क्या करें। अब यहाँ कुछ काम सीख कर आजीविका चलाने की कोशिश करूंगा।'

रोजगार : अब दंतेवाड़ा का जिला प्रशासन चाहता है कि यहाँ से पलायन रुके और स्थानीय युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का इंतजाम किया जाए।

गुजर बसर कॉलेज यानी आजीविका कॉलेज के परिकल्पना के बारे में चर्चा करते हुए दंतेवाड़ा के कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी ने कहा, 'बस्तर में अशिक्षा और बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है। यहाँ के लोग अच्छा रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इसी को दिमाग में रखते हुए हमने सोचा कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कुछ हुनर भी सिखाया जाए जिससे वह आजीविका चला सकें।'

इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए पुराने महिला महाविद्यालय के भवन की मरम्मत कर वहाँ सुदूर इलाके से आए युवकों के रहने और पढ़ने का इंतजाम किया गया है।

इस योजना के लिए दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने 'इंडिया कैन' नाम की संस्था से करार किया है जिसके शिक्षक बच्चों को ना सिर्फ प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं बल्कि उन्हें शिक्षा भी दे रहे हैं।

इंडिया कैन के रोहित कहते हैं कि अब भारत सरकार से उन्हें एक प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिली थी तो उन्होंने दंतेवाड़ा के कलेक्टर से मुलाकात की थी, इसी दौरान प्रशासन की तरफ से यह प्रस्ताव आया और इस पर काम शुरू हो गया। कम पढ़े लिखे बच्चों के लिए हाथ का हुनर सिखाने के अलावा दसवीं और बारवीं पास युवक और युवतियों को मैनेजमेंट और कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

'उम्मीद की किरण' : दंतेवाड़ा के कलेक्टर ने बीबीसी को बताया कि इन बेरोजगार युवकों को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा रहा है।

प्रशासन के एक अधिकारी नागेश ने बताया कि पहले सोलर पैनेल को ठीक करने बाहर से कारीगर आया करते थे। अब एक महीने के बाद दंतेवाड़ा इस स्थिति में है कि यहाँ के प्रशिक्षित युवक राज्य के दूसरे स्थानों पर जाकर इनकी मरम्मत का काम कर रहे हैं।

हाल ही में एल एंड टी और एस्सार जैसी कंपनियों ने इस बेरोजगार कॉलेज से प्रशिक्षित युवकों और युवतियों को अपने यहाँ रोजगार दिया है।

दक्षिण बस्तर के तनावपूर्ण माहौल और अभाव में जी रहे नौजवानों के लिए 'बेरोजगार कॉलेज' एक उम्मीद की किरण लेकर आया है। जैसे-जैसे इस गुजर बसर कॉलेज की खबर फैल रही है, वैसे-वैसे सुदूर इलाकों के नौजवान बेहतर जिन्दगी का सपना संजोए दंतेवाड़ा पहुँच रहे हैं।

आरुषि हत्याकांड : तलवार दंपत्ति पर मुकदमा

दंत रोग चिकित्सक दंपति राजेश और नुपुर तलवार को एक बड़ा झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने तलवार दंपति की पुत्री आरुषि की हत्या के मामले में दोनों पर मुकदमा चलाने को हरी झंडी दे दी।

न्यायमूर्ति एके गांगुली और न्यायमूर्ति जेएस खेखर की पीठ ने इस दंपति की याचिका को खारिज कर दिया। तलवार दंपति ने खुद के खिलाफ चलाई जाने वाली आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की याचिका दायर की थी। मजिस्ट्रेट के दंपति पर मुकदमा चलाने के आदेश में कुछ भी गलत नहीं है।

निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए फैसला दिया है।

पीठ ने कहा कि हम याचिका को खारिज करते हैं। इसके साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि आज के आदेश से आरोपियों के खिलाफ चलाए जाने वाले मुकदमे में कोई पूर्वाग्रह नहीं पाला जाना चाहिए।

तलवार दंपति की 14 वर्षीय इकलौती पुत्री आरुषि 15-16 मई, 2008 की दरमियानी रात नोएडा स्थित अपने घर में मृत पाई गई थी। परिवार के घरेलू नौकर हेमराज का शव भी अगले दिन घर की छत पर मिला था।

शुरुआत में इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 23 मई, 2008 को आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 29 मई, 2008 को जांच सीबीआई को सौंप दी गई। गाजियाबाद की अदालत ने 11 जुलाई, 2008 को राजेश तलवार को जमानत दे दी।

सीबीआई ने ढाई साल की जांच के बाद गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत में इस मामले में यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी कि उसे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे तलवार दंपति पर मुकदमा चलाया जा सके।

गाजियाबाद की निचली अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि दंपत्ति पर मुकदमा चलाने के लिए रिपोर्ट में प्रथमदृष्टया कई तत्व मौजूद हैं।

हीरो मोटोकार्प ने लांच किया हाईब्रिड स्कूटर

देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता हीरो मोटोकार्प ने शुक्रवार को यहां 11वें ऑटो एक्स्पो में भारत के पहले हाईब्रिड स्कूटर के कांसेप्ट का अनावरण किया जिसका विकास एक विदेशी परामर्शक के साथ मिलकर किया गया है।

हीरो मोटोकार्प के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पवन मुंजाल ने कहा कि यह भारत की हाईब्रिड स्कूटर की पहली श्रृंखला है। हम दुनिया को दिखा रहे हैं कि हम आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय परामर्शक के सहयोग से कांसेप्ट हाईब्रिड स्कूटर लीप का घरेलू स्तर पर विकास किया गया है।

स्कूटर के लांच के बारे में मुंजाल ने कहा कि हमें इसे वाणिज्यिक रूप से लांच करने के संबंध में बहुत काम करना है। इसलिए इसमें कुछ समय लगेगा।

कोमा में सुखराम, सुनवाई टली

वर्ष 1993 के दूरसंचार घोटाले में दोषी साबित पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के वकील ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल कोमा में हैं। उनके वकील ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश धर्मेश शर्मा को बताया कि सुखराम कोमा में चले गए हैं वह अस्पताल से नहीं आ सकते।

सुखराम को उच्चतम न्यायालय ने समर्पण करने का आदेश दिया था। अदालत ने मामले की सुनवाई शनिवार तक के लिए टाल दी है।

सुखराम को कल उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि वह निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दें लेकिन वे इन्हीं चिकित्सा कारणों के आधार पर बच गए। उनके वकील ने कहा था कि सुखराम को ‘कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी’ के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया।

विशेष न्यायाधीश शर्मा ने सुनवाई कल तक के लिए टाल दी क्योंकि संबंधित विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव जैन आज छुट्टी पर थे। न्यायाधीश ने कहा कि क्योंकि आवेदक दोषी कोमा में चला गया है और न्यायाधीश प्रभारी कल अपनी ड्यूटी पर आएंगे इसलिए मामले को उनके समक्ष विचार के लिए कल सुबह 10 बजे तक के लिए टाला जाता है।

दो अन्य दोषियों पूर्व नौकरशाह रुनू घोष और हैदराबाद के व्यवसायी पी रामा राव ने गुरुवार को निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया था। उन्हें क्रमश: दो और तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया।

उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए निर्देश दिया था कि वे कैद की सजा काटने के लिए पांच जनवरी को निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दें। 

दीपक चौरसिया जी, कसम खाओ कि आप हमेशा स्टार न्यूज में ही रहोगे!