Monday, 9 January 2012

‘फैमिली गेट टू गैदर

हरियाणा यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ·ी ओर से 14 जनवरी, शनिवार ·ो सुरखाब पर्यटन स्थल, सिरसा में लोहड़ी एवं म·र स·्रांति ·े उपलक्ष्य में ‘फैमिली गेट टू गैदर’ ·ार्य·्रम आयोजित ·िया जाएगा। इस अवसर पर पत्र·ारों ·े अलावा शहर ·ी जानी मानी हस्तियां अपने परिवार सहित शिर·त ·रेंगी। यह जान·ारी देते हुए यूनियन ·े जिलाध्यक्ष अरुण भारद्वाज व जिला महासचिव धीरज बजाज ने बताया ·ि यह ·ार्य·्रम आपसी भाईचारे ·ो बढ़ावा देने व तनाव ग्रस्त माहौल ·ो मिटाने ·े लिए ·िया जा रहा है। उन्होंने बताया ·ि इस समारोह ·ा मुख्य म·सद जहां पत्र·ारों ·े परिवारों ·ो आपस में रू-ब-रू ·रवाना है वहीं समारोह ·े दौरान उनमे छिपी प्रतिभा ·ो भी ए· मंच प्रदान ·रना है। उन्होंने बताया ·ि यूनियन ·ी और से हमेशा ऐसे ·ार्य·्रम आयोजित ·िए जाते है। उन्होंने बताया ·ि इस मौ·े पर पारिवारि· माहौल में क्विज प्रतियोगिताएं व अन्य रोच· जैसे तंबोला, म्यूजि·ल चेयर आदि होंगे। वहीं इस ·ार्य·्रम में पंजाबी सभ्याचार· मेला, मशहूर ·ला·ार संजीव शाद व पंजाबी संगीत·ार रविंद्र नूर अपनी विशेष प्रस्तुतियां देंगे।

सिरसा में एनएसएस ·7 सात दिवसीय शिविर

सिरसा, -राज·ीय माडल संस्·ृति वरिष्ठ माध्यमि· विद्यालय सिरसा में एनएसएस ·े सात दिवसीय शिविर ·े तीसरे दिन एनएसएस यूनिट ए· व दो ·े स्वयं सेव·ों ने  ईश्वर स्तुति ·े साथ शुरूआत ·ी। 12 वीं ·े छात्र संदीप ने सभी स्वयं सेव·ों ·ी तरफ से विश्व शांति ·ी प्रार्थना ·ी तथा इस·े बाद गूंजे गगन में, मह·े पवन में सदभावना  नाम· गीत प्रस्तुत ·िया। विद्यालयों में पौधारोपण ·ा ·ार्य ·िया गया तथा पौधों ·ी देखभाल ·े लिए विशेष सफाई अभियान चलाया गया। विद्यालय ·े प्राचार्य नरेश सिंगला ने ·हा ·ि स्वच्छ वातावरण व शुद्ध  पर्यावरण ही मनुष्य ·े अस्तित्व ·ो बचा स·ता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड पौधों ·ो लगाना चाहिए और उन·ी रक्षा ·रनी चाहिए। भोजन उपरांत स्वयं सेव·ों ने विद्यालय ·ैंपस ने पानी ·ी टं·ी ·ो साफ ·िया। शिविर  प्रभारी अरविंद शर्मा व देवेंद्र शर्मा ने स्वयं सेव·ों जल संरक्षण ·ा सं·ल्प दिलाया। शिविर में विशेष जान·ारी देने ·ी ·डी में सुनील ·ुमार प्रवक्ता राजनीति शास्त्र ने स्वयं सेव·ों ·ो मौलि· अधि·ारों ·ा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपयोग विषय पर जान·ारी दी। इस अवसर पर महेंद्र मेहता, ओपी सचदेवा, दर्शन शर्मा व अन्य अध्याप· भी मौजूद थे।

दुनिया खत्म होने की आशंका के बीच मनाया नववर्ष 2012 में दुनिया खत्म हो जाने की आशंका


विश्व भर के अवाम ने पर्थ से लेकर वॉशिंगटन तक अलग-अलग समय पर अपने अपने अंदाज में बाहें फैलाकर जश्न मनाकर 2012 के उस वर्ष का स्वागत किया जिसमें दुनिया के खत्म हो जाने की आशंकाएं लंबे वक्त से की जाती रही हैं।

पृथ्वी के सुदूर पूर्व में स्थित देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण प्रशांत में पड़ने वाले टापू देशों ने वर्ष 2012 का सबसे पहले स्वागत किया। जैसे-जैसे रात की खामोशी के बीच वक्त सरकर पश्चिम के देशों की ओर बढ़ रहा था वैसे-वैसे आसमान में रंगीन आतिशबाजी से उसका स्वागत किया गया। विश्व के 2012 में खत्म हो जाने की आशंकाएं पुराने समय से आस्तित्व में रही हैं।

माया सभ्यता के अनुसार 21 दिसंबर 2012 को पूरा विश्व एक जलजले में खत्म हो जाएगा। माया सभ्यता में मान्यता थी कि दुनिया 5125 वर्ष पुरानी है और 21 दिसंबर को कुछ ऐसा बड़ा होगा जो इस दुनिया के अंत का सबब बनेगा। लातिन भविष्यवक्ता नास्त्रेदामस ने भी 500 वर्ष पहले कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी की थी। हालांकि ऐसा लग रहा था कि दुनिया के खत्म होने की आशंकाओं के बीच लोग जिंदगी का जश्न मना लेना चाहते हों।

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ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर पर जहां बादलों का आकार लिए हुए आतिशबाजी और उसके बीच में सिडनी ब्रिज को इंद्रधनुष जैसा जगमगा कर नववर्ष का जश्न मनाया गया, वहीं भयंकर राजनीतिक उथल-पुथल के केंद्र में चल रही रूस की राजधानी मास्को के आसमान पर सुर्ख आतिशबाजी ने जगह ली। 

अमेरिका में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कावयर पर भी हजारों लोग बीते वर्ष को विदाई देने के लिए जमा हुए थे। कई न्यूयॉर्क वासी शनिवार सुबह से ही पार्टी में पहनी जाने वाली टोपियां और 2012 के चश्मे लगाकर घूमते देखे गए थे।

न्यूयार्क का मौसम भी आम दिनों के मुकाबले काफी खुशनुमा और गर्म था। चीन की संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि नववर्ष के अवसर पर एक बड़ी संख्या में इंटरनेट उपभोक्ताओं ने इंटरनेट की मदद से दुनिया के अंत जैसे विषयों पर सर्च किया। 

हालांकि दुनिया के खत्म होने की इस अटकलबाजी के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) ने इस बारे में लोगों का भय दूर करते हुए कहा कि दुनिया को 2012 में कुछ भी नहीं होने जा रहा है।

आपके दिमाग में ही फेसबुक

यह बात सुनने में आपको अजीब लग सकती है लेकिन आपके दिमाग में फेसबुक जैसा कुछ तत्व है जो आपके सोशल नेटवर्क को संचालित करता है।

एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क में बादाम के आकार का एक ऐसा प्रमस्तिष्कखंड होता है जो यह तय करता है कि व्यक्ति कितने दोस्त बना सकता है। यह खंड जितना बड़ा होगा व्यक्ति के दोस्तों का नेटवर्क उतना ही बड़ा होगा।

एक अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 19 से 83 वर्ष के लोगों से प्रश्नावली के माध्यम से पूछा कि उसके कितने दोस्त हैं या कितने समूह से वह संबद्ध है।

डेली मेल की खबर के मुताबिक एमआरआईजी से बड़े प्रमस्तिष्कखंड और अधिक दोस्तों वाली जिंदगी के बीच सकारात्मक संपर्क पाया गया है।

मुख्य शोधकर्ता बॉस्टन के नोर्थ इस्टर्न विश्वविद्यालय के मनोविज्ञानी प्रो. लीजा बैरेट ने कहा कि ये निष्कर्ष सोशल ब्रेन थ्योरी के अनुरूप है जो यह कहता है कि मानव प्रतिस्कष्कखंड बढ़ते जटिल सामाजिक विश्व से निबटने के लिए विकसित हुआ है। 

मच्छरों को बेवकूफ बनाने की क्रीम

क्या आप जानते हैं कि मानव का सबसे पुराना दुश्मन कौन है? नहीं... तो देश के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) से पूछिए। जी हाँ, मनुष्य के सबसे पुराने दुश्मन मच्छर के खिलाफ डीआरडीओ ने कमर कस ली है। मच्छरों को बेवकूफ बनाने के लिए कुछ क्रीम बनाई गई है। 

'मैक्सो मिलट्री', 'मैक्सो सेफ' और सॉफ्ट वाइप्स, डीआरडीओ ने ये क्रीम आधारित उत्पाद तैयार किए हैं। इनकी गंध लाजवाब है और दूसरे उत्पादों की तरह यह चमड़ी के रोम छिद्र भी बंद नहीं करेगी। डीआरडीओ के शोध व विकास के मुख्य नियंत्रक प्रहलाद ने कहा कि यह लगाने से मच्छरों को मानव गंध नहीं आएगी। साथ ही इसको लगाने से मच्छरों की समझने की शक्ति गड़बड़ा जाएगी, जिससे वे मानव को नहीं काटेंगे। 

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इस पर शोध व विकास डीआरडीओ ने किया है। इसको ज्योति लैब द्वारा बनाया और बेचा जाएगा। इसको रक्षा सेवा के अलावा बाहर बेचने का लाइसेंस भी मिला है। विशेष तकनीकी के जरिए अपनी तरह का पहला ऐसा क्रीम तैयार किया गया है। इसके लिए डीआरडीओ और फिक्की के बीच इसके व्यवसायीकरण का करार हुआ है। 

सैनिक घने जंगलों और दुर्गम इलाकों में रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए क्रीम तैयार की गई है। हमेशा इन सैनिकों को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगु की आशंका रहती है। इसे डायइथाइल फिनाइल एसिटामाइड तकनीक के आधार पर तैयार किया है। इसमें काफी समय से काम चल रहा है और कई सुधार किए गए।

बुढ़ापे में झूठ बोलना आसान नहीं

युवा लोगों के मुकबाले बुजुर्ग लोगों के लिए झूठ बोलना मुश्किल भरा काम होता है और हां, वे झूठ जल्दी से पकड़ भी नहीं पाते। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

ओटागो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस बाबत अध्ययन किया। उन्होंने धोखे पर युवा और बुजुर्ग लोगों के कौशल को जांचा।

‘साइकोलॉजी एंड एजिंग’ मैग्जीन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन के लिए 60 लोगों को लिया गया। उन्हें विभिन्न मुद्दों पर 20 लोगों की वास्तविक राय और झूठी राय की वीडियो क्लिंपिंग दिखाई गई।

समूह में 10 की आयु तीस साल या उससे कम थी और 10 व्यक्तियों की आयु 60 साल या उससे ज्यादा थी। सब को दो-दो क्लिप दिखाए। एक सच बोलता और दूसरा झूठ बोलता।

अनुसंशान के अगुवा प्रो. जैमिन हल्बरस्टाड ने बताया कि अध्ययन में पाया गया कि जब बुजुर्ग लोगों ने झूठ बोला तो सभी के लिए उसे पकड़ना आसान रहा।

प्रो. हल्बरस्टेड ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि बुजुर्ग व्यक्तियों में सफलतापूर्वक झूठ बोल पाने के लिए जरूरी मानसिक क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती हो। वैज्ञानिकों का कहना है कि झूठ के लिए याददाश्त और सामाजिक समझ की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि अपने अध्ययन में हमनें यह भी पाया कि सच और झूठ के बीच भेद कर पाने में भी बुजुर्ग प्रतिभागी युवाओं की माफिक नहीं थे।

वैज्ञानिक ने कहा कि गलती पकड़ पाने में नाकाम रहने की बुजुर्गों को लेकर हुए हमारे अध्ययन और उनके बहुत लंबे समय तक बोलते रहने और मुद्दों से भटक जाने को फिर से अध्ययन की गई परिघटना में खराब प्रदर्शन से जुड़ा पाया गया। 

मच्छर काटने पर खुजली क्यों?

हमें इतना तो पता ही है कि मच्छर हमारा खून चूसने के लिए अपना डंक चुभोते हैं। जो मादा मच्छर हमें काटती हैं वे बहुत चालाक होती हैं क्योंकि हमारा खून चूसने के लिए वो बाल जितना महीन डंक हमारे शरीर में उतारती हैं। 

पर इंसानों के खून में बहुत जल्दी थक्का बन जाता है और मच्छरों को खून चूसने में दिक्कत होती है। 

Khoj Khabar
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इससे बचने के लिए ही मादा मच्छर एक विशेष रसायन हमारे खून में मिला देती हैं और यह रसायन जहरीला होता है। 

हालांकि इसकी मात्रा इतनी कम होती है कि इंसान को कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। मच्छर, मधुमक्खी और मक्खियां जब आपको काटती है तो यही कारण होता है कि हमें खुजली होती है। 

जिस जगह मधुमक्खी काटती है उस जगह के जहर से मुकाबला करने के लिए शरीर से हिस्टामिन का स्त्रावण होता है जो उसे बूंद से भी कम जहर का खात्मा कर देता है।

सिरसा लो·सभा क्षेत्र ·े सांसद एवं अखिल भारतीय ·ांग्रेस ·मेटी ·े राष्ट्रीय सचिव डा. अशो· तंवर अपने ए· दिवसीय दौरे पर



सिरसा लो·सभा क्षेत्र ·े सांसद एवं अखिल भारतीय ·ांग्रेस ·मेटी ·े राष्ट्रीय सचिव डा. अशो· तंवर अपने ए· दिवसीय दौरे पर 11 जनवरी ·ो सिरसा आएगें और विभिन्न ·ार्य·्रमों में शिरक्त ·रेगें। यह जान·ारी देते सांसद ·े निजी सचिव परमवीर सिंह ने बताया ·ि सांसद तंवर 11 जनवरी ·ो प्रात: 9 बजे अपने हुड्डा स्थित निवास स्थान पर सिरसा संसदीय क्षेत्र ·े लोगों से मुला·ात ·रेगें और उन·ी समस्याएं सुनेगें। उन्होंने बताया ·ि प्रात: 11 बजे वे रानियां रोड़ स्थित गुरूद्वारा श्री चिल्ला साहिब में बाबा प्रीतम सिंह जी ·ी श्रद्धाजंलि समारोह एवं अंतिम अरदास ·ार्य·्रम में शिर·त ·रेगें। दोपहर 1 बजे वे ·ांग्रेस भवन, सिरसा में ·ार्य·र्ताओं से मिलेगें और उन·ी बैठ· लेगें। सांय 6 बजे सांसद तंवर टोहाना में जादूगर सम्राट शं·र ·े जादूई शो ·ा बतौर मुख्यातिथि उद्घाटन ·रेगें। उल्लेखनीय  है ·ि इन दिनों सांसद तंवर उत्तर प्रदेश विधानसभा क्षेत्र में होने वाले चुनावों ·ो ले·र यहां ·े विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों ·े दौरों पर है।


मूर्तियाँ ढंकने से माया मजबूत ही होंगी


आचार्य रजनीश "ओशो'' की किसी पुस्तक में बताया गया है कि मानव के स्वभाव के साथ उत्सुकता जुडी हुई है. इसलिए जिसको जितना दबाओगे या छुपाओगे उसकी ओर उत्सुकता उतनी ही बढती जायेगी. किसी चौराहे पर यदि चारों ओर से पर्दा लगा कर यह लिख दिया जाये कि "इसके अन्दर एक चित्र है, जिसको देखना माना है".  तो आप-पास रहने वाले सभी जन चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, नौजवान हों या वृद्ध, उसको देखने का प्रयत्न अवश्य ही करेंगे, कोई दिन में मौका ढूँढेगा झांकने का तो कोई अंधेरी रात में आकर झांकने का प्रयास करेगा.

इसी प्रकार हाथियों और मायावती की मूर्तियों को ढकने से मायावती और उनकी पार्टी को और अधिक प्रचार मिलेगा चुनाव में, पता नहीं किस दल की शिकायत पर चुनाव आयोग ने यह फैसला दिया है. नीति कहती है कि या तो हटा दो या पूर्णतया अनदेखा कर दो. जिस प्रकार कांग्रेस की आंख की किरकरी बने गये दिल्ली के कनाटप्लेस के मध्य में चल रहे एक प्रसिद्द काफी हॉउस को आपातकाल में उखाड़ कर वहाँ एक बड़ा सा फौवारा बना दिया गया था. आज लोग उस काफी हॉउस को भूल चुके हैं.

कई दिनों से चल रही चर्चा पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने अंततः पटाक्षेप करते हुए उत्तर प्रदेश में उद्यानों और चौराहों पर मायावती की सरकार द्वारा स्थापित की गई हाथियों और मायावती की मूर्तियों को ढकने का आदेश जारी कर ही दिए. चुनाव आयोग के इस आदेश का भाजपा, कांग्रेस, सपा और कई अन्य दलों ने स्वागत किया है. ४ फरवरी से २८ फरवरी तक ७ चरणों में संपन्न होने जा रहे प्रदेश के चौकोने चुनावी संघर्ष में सभी दल चौतरफा मार झेल रहे है तो ऐसे माहोल में चुनाव आयोग के इस फैसले पर अन्य दलों के प्रसन्नता का प्रकटीकरण स्वाभाविक ही है.

चुनाव आयोग के इस निर्णय के औचित्य पर सवाल खड़े करना हमारा काम तो नहीं है, परन्तु बहुजन समाज के नेता सतीश चन्द्र मिश्रा  महामंत्री द्वारा इस फैसले के विरोद्ध में दी गई प्रतिक्रिया पर चर्चा तो अवश्य ही की जा सकती है. बसपा के मिश्रा का यह कथन कि  दलों के चुनाव चिन्ह व नेताओं के इस प्रकार के प्रतीकात्मक चिन्ह तो सभी स्थानों पर मिल जायेंगे, तो क्या उन्हें तो तोडा या ढका जायेगा ? उन्होंने भाजपा, सपा व कांग्रेस के चुनाव चिन्हों का नाम लेते हुए चुनाव आयोग से पूछा कि क्या यह चिन्ह व मूर्तियाँ भी तोडी या ढकी जायेंगी?

निष्पक्ष रूप से यदि गौर किया जाये तो किसी हद तक बसपा के विरोद्ध में दम लगता है. वैसे तो मुख्य चुनाव आयुक्त ने सरकारी खर्चे पर लगी मूर्तियों के विषय में ही अपना आदेश सुनाया है और राज्य के तमाम चौराहों पर बने फौवारों पर कमल के फूल बने हुए है या कमल के फूल पर फौवारे बने हुए है. इन सभी का निर्माण वहाँ की नगर पालिकाओं  ने करवाया है जो कि सरकारी खर्चा ही तो है. राजनैतिक दलों के नेताओं की मूर्तियाँ या उनके नाम पर रास्तों या चौराहों का नाम तो सारे देश में ही है. चंडीगढ़ प्रशासन का चिन्ह ही हाथ है. इन सब पर चुनाव आयोग क्या फैसला देगा ? दलों के चुनाव चिन्हों पर इसी प्रकार के आरोप और शिकायतें पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के फूल पर भी अन्य दलों ने लगाये थे और चैनलों पर चलने वाले धार्मिक धारावाहिक जिसमें कमल का फूल दिखाया जा रहा था को बंद करने की मांग की थी. चुनाव आयोग के वर्तमान फैसले पर केवल शरद यादव ने ही सवाल उठाये है अन्य किसी भी दल ने नहीं.

पार्कों और उद्यानों में लगी मूर्तियों को ढकने का काम जहाँ अभी प्रारम्भ ही हुआ है वहीँ इसकी चर्चा देश भर में होने लगी है. पार्क के अन्दर स्थापित मूर्ति किसी को चुनावी लाभ दे सके या न दे सके, परन्तु ढकी हुई मूर्तीयाँ पार्क से बाहर अवश्य ही चर्चा का विषय बन सभी का ध्यान आकर्षित कनरे में सफल होगी.  पार्कों में लगी सूंड उठाये हाथियों की मूर्तियाँ चुनाव में किसी भी प्रकार से प्रचार में सहायक नहीं हो सकती थी. हाँ, इन मूर्तियों को ढकने के कार्य से मीडिया और आम जनमानस में जिस ढंग से प्रचार हो रहा है उसका लाभ अवश्य ही मायावती की बहुजन समाज पार्टी को चुनाव में मिलेगा यह दावे से कहा जा सकता है. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी माया सरकार को पलटवार करने और अपने समर्थकों को यह सन्देश देने कि बहुजन समाज के साथ अन्याय हो रहा है, मूर्ति ढकने की घटना अवश्य ही बहुत सहायक होगी.

आपातकाल में कांग्रेस की सरकार ने समाचार पत्रों पर भी सेंसर लगा दिया था. समाचार पत्र छपने से पुर्व उनको सरकार के अधिकारी पढ़ते थे और सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अमान्य समाचारों को निकाल दिया जाता था. कुछ समय पश्चात् कुछ समाचार पत्रों ने हटाये गए समाचारों का स्थान खाली छोड़ने का कार्य प्रारम्भ कर दिया जिससे आम जनता को समझ में आने लगा कि इस रिक्त स्थान पर लगा समाचार सरकार द्वारा हटाया गया है. फिर देश का जन सामान्य सभी समाचार पत्रों को जांचने लग गया कि कौन सा समाचार पत्र सरकार के विरुद्ध लिखता है और सरकार वह समाचार पत्र हटवा देती है. उत्तर भारत में इस कार्य में शायद पंजाब केसरी ही प्रथम स्थान पर रहा जिसके चलते आज वह पहली पसंद का समाचार पत्र बना हुआ है. अब हो सकता है कि मूर्तियों की शिकायत करनेवाले पछता भी रहे हों.

चुनाव आयोग का एह फैसला उचित है या नहीं इस पर चर्चा करना हमारा लक्ष्य नहीं है. हम तो मात्र यह आंकलन करना चाहते हैं कि इस आदेश से किस को लाभ होगा और किस को हानि ? बसपा के नेता सतीश मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय के एक बढ़े वकील हैं, उन्होंने तो कमल, हाथ और साईकिल चुनाव चिन्ह पर भी सवाल खड़े किये हैं. फूल ढकने से तो आम जनता को कोई परेशानी नहीं होने वाली, साईकिल ढकने से केवल कुछ दिनों की परेशानी होगी  परन्तु यदि हाथ को ही ढकने या बांधने के आदेश दे दिए गए, तो जरा सोचिये परिस्थिति कितनी शोचनीय हो जायेगी ? सारा उत्तर प्रदेश २८ फरवरी तक शोले का ठाकुर ( संजीव कुमार ) बन जायेगा और उसके साथ कोई राम लाल भी नहीं हो होगा जो......!

RAFTAR NEWS: सिरसा में भाई कन्हिया ट्रस्ट द्वारा बनाये गया (मंद...

RAFTAR NEWS: सिरसा में भाई कन्हिया ट्रस्ट द्वारा बनाये गया (मंद...: सिरसा 9 जनवरी - सिरसा के भाई कन्हैया ट्रस्ट का छठा वार्षिक समारोह व भाई कन्हैया आश्रम (मनंबुद्वि व बेसाहारा औरतो व बच्चो )का शुभांरभ बड़...

गायब होने के बाद भी अकाउंट में दिखता रहेगा पैसा

 अगर आप धड़ल्ले से इंटरनेट बैंकिंग करते हैं, तो अब आपको काफी सतर्क रहने की जरूरत है। साइबर व‌र्ल्ड के अपराधियों की नजर अब उन लोगों पर है जो ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने एक ऐसा खतरनाक वायरस तैयार कर लिया है जो न केवल अकाउंट से पैसा गायब कर देगा बल्कि उस रकम को आश्चर्यजनक रूप से आपके अकाउंट में दिखाता भी रहेगा। इससे अकाउंट होल्डर काफी समय तक यह पता भी नहीं चलेगा कि वह साइबर क्राइम का शिकार बन चुका है। 

स्पाईआई ट्रॉजन हॉर्स सॉफ्टवेयर' नामक वायरस के नए एडिशन के जरिए अमेरिका और ब्रिटेन में कुछ लोगों का अकाउंट साफ किया जा चुका है। यह विंडो आधारित कंप्यूटरों पर हमले कर रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे बचने के लिए इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले लोगों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उनके वेब ब्राउजर में 'ऐंटि फिशिंग ऑप्शन' सक्रिय है। 

'ट्रस्टीयर' नाम की सिक्योरियी कंपनी ने इस तरह के हमलों का पता लगाया है। ब्रिटिश टैब्लॉइडडेली मेल' के अनुसार कंपनी ने बताया है कि यह वायरस अकाउंट का पासवर्ड हैक कर लेता है और इसके बाद यह अकाउंट होल्डर के लॉग इन होने का इंतजार करता है। जैसे ही वह अकाउंट खोलता है यह काम करना शुरू कर देता है और रकम गायब होने लगती है। हालांकि, पैसा अकाउंट में ही दिखता रहता है। इसकी वजह से अकाउंट होल्डर को काफी दिनों तक भनक भी नहीं लगती है कि वह साइबर क्राइम का शिकार बन रहा है। यह हाईटेक वायरस ई-मेल के जरिए लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। 

हालांकि, इस वायरस के हमले से बचा भी जा सकता है। इसके लिए ब्राउजर को हमेशा अपडेट रखना होगा। वैसे तो यह अपने आप अपडेट होता रहता है, इसके बावजूद खुद भी ब्राउजर को अपडेट करते रहना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ब्राउजर पर ऐंटी फिशिंग ऑप्शन बंद न हो। यह ब्लैकलिस्टेड वेबसाइट्स पर नजर रखेगा और नकली बैंक स्टेटमेंट को अकाउंट तक नहीं पहुंचने देगा।

सावधान! दिल्ली के पेट्रोल पंपों की फिजा में है कैंसर

 अगर आप दिल्ली में किसी भी पेट्रोल पंप से अपनी गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भरवाते तो हैं तो सावधान हो जाइए। इन पेट्रोल पंपों के कैंपस में बहने वाली हवा जहरीली है और जब आप इस हवा में सांस लेते हैं तो आपके शरीर में तमाम प्रदूषित कणों के साथ कैंसर पैदा करने वाले कुछ तत्व भी पहुंचते हैं। 

दिल्ली के 40 पेट्रोल पंप्स पर स्टडी करने के बाद द एनर्जी ऐंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट ( TERI ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। अंग्रेजी टैब्लॉइड 'मेल टुडे' टेरी की रिपोर्ट के हवाले से कहा है, दिल्ली में मौजूद पेट्रोल पंप्स के कैंपस में हवा की क्वालिटी खतरनाक स्तर तक खराब है और इसमें ऐसे जीवाणु मौजूद हैं जो आगे चल कर कैंसर की वजह बनते हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा न सिर्फ प्रदूषित है ब्लकि इसमें बेंजीन, टॉल्यून और ज़ाइलेन जैसे जहरीले यौगिक मौजूद हैं। इनकी मात्रा परमिसिबल लिमिट से हजार गुणा ज्यादा है। 

वे सभी लोग जो इन पेट्रोल पंप पर आते हैं, उनमें ये कैंसरकारी तत्व सांस के जरिए प्रवेश करते ही हैं। ऐसे में जो लोग (कर्मचारी आदि) वहां 10 से 12 घंटे का समय बिताते हैं, उनके लिए इनकी चपेट में आने का खतरा बहुत ज्यादा है। 

टेरी ने हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंपों पर यह स्टडी की है। इन कंपनियों के पेट्रोल पंप पूरी दिल्ली में फैले हैं। इस स्टडी में शामिल रहीं रिसर्चर मीना सहगल ने इस बारे में बताया, 'जब भी अपनी गाड़ी की टंकी में पेट्रोल डलवाता है, ये खतरनाक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं।' 

जो पेट्रोल पंप भीड़भाड़ इलाकों में हैं, वहां इसकी चपेट में ज्यादा से ज्यादा लोग आते हैं। एम्स के रेडियोथेरपी विभाग के सीनियर प्रफेसर डॉक्टर पी. के. झुलका ने डेली मेल से कहा कि जो भी इन पेट्रोल पंप पर जाता है, वह इन विषैले तत्वों की चपेट में आता है। सरकार को इन खतरनाक तत्वों को लीक होने से रोकने के उपाय करने चाहिए। 

वैसे, भारत में फिलहाल पेट्रोल पंप कैंपस में हवा की स्वच्छता को लेकरर कोई मानक तय नहीं किए गए हैं। हालांकि, पेट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मियों को मास्क दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें पहने हुए उन्हें कम ही देखा गया है। 

अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इन जगहों पर मौजूद टॉक्सिक कणों के हानिकारक प्रभाव को वेपोर रिकवरी सिस्टम इंस्टॉल करके कम किया जा सकता है जैसा कि विदेशों में किया जाता है। ये सिस्टम दिल्ली के कई पेट्रोल पंप पर देख गए लेकिन इन्हें लागू करना अनिवार्य नहीं है और इसलिए इनका प्रयोग बमुश्किल ही किया जाता है। ऑयल कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार, ऑयल कंपनी को इस समस्या का पता है और वेपोर रिकवरी सिस्टम के बारे में वह डेमो देती भी हैं लेकिन यदि इसके उपयोग को लेकर कोई नियामक हो तो हम इसके संबंध में उचित कदम उठा सकते हैं। 

आईओसी के प्रवक्ता ने डेली मेल से कहा कि टेरी की रिपोर्ट के बल पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता जब तक कि हम खुद यह नहीं देख लेते। 

टेरी ने गर्मियों और सर्दियों दोनों ही मौसम में प्रतिदिन 8 घंटे पेट्रोल पंप पर ऑब्जर्वेशन किया है। ये जहरीले तत्व गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में अधिक गहन पाए गए।

एम्स के एंट्रेंस में धरा गया मुन्नाभाई एमबीबीएस

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एम्स की प्रतिष्ठित ऑल इंडिया पोस्ट ग्रैजुएट एंट्रेंस एग्जाम में मुन्नाभाइयों के मैनेजमेंट का भंडाफोड़ हुआ है। रविवार को एम्स अपने और देश भर के अन्य मेडिकल कॉलेजों के लिए एंट्रेंस टेस्ट करवा रहा था। एग्जाम शुरू होने के बाद एक सूचना पर स्पेशल ऑपरेशन स्क्वॉड (एसओएस) ने नोएडा में रेड की तो क्राइम ब्रांच की यह टीम भी हैरत में पड़ गई। इस हाईटेक कंट्रोल रूम से एग्जाम सेंटर में हर सवाल का जवाब पहुंचाया जा रहा था। कंट्रोल रूम में बैठे एक एमबीबीएस स्टूडेंट और एक चैनल के प्रोग्रामर को और एग्जाम सेंटर में बैठे एक एमबीबीएस डॉक्टर और दो एमबीए गिरफ्तार कर लिए गए हैं। 

एग्जाम पास करवाने के लिए 20-20 लाख रुपये में सौदा किया गया था। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अशोक चांद ने बताया कि अडिशनल डीसीपी संजय भाटिया के नेतृत्व में एसीपी कृष्ण कुमार और इंस्पेक्टर राजेश की टीम को इस सिंडिकेट की सूचना मिली थी। इसके बाद एसआई देवेंद्र, कॉन्स्टेबल राजा राम, सुशील और जसविंदर की टीम ने रेड की। जेवर के रहने वाले दो एमबीए कृष्ण प्रताप और कपिल कुमार मेडिकल फील्ड से नहीं होने के बावजूद एग्जाम देने आए थे। इन दोनों ने टेस्ट के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर एडमिट कार्ड भी हासिल किया। 

पेपर मिलते ही दोनों ने मोबाइल के कैमरे से पेपर के हर पेज का फोटो खींच कर कंट्रोल रूम पर ईमेल कर दिया। ऐसा करने में एक के सफल नहीं भी रहने पर दूसरे की व्यवस्था की गई थी। कंट्रोल रूम पर पेपर का प्रिंट लेने के लिए कंप्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर की व्यवस्था की गई थी। इतना ही नहीं लाइट चले जाने की स्थिति में इनवर्टर तक लगवाया गया था। वहां उज्जैन से आया एमबीबीएस सेकेंड ईयर का स्टूडेंट मोहित और एक धार्मिक चैनल में प्रोग्रामर भीष्म सिंह पेपर सॉल्व कर एग्जाम सेंटर में बता रहे थे। वहां पर एक और एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट मौजूद था, जो मौके से फरार हो गया। 

एग्जाम सेंटर में पेपर दे रहे एमबीबीएस की शर्ट की कॉलर में ब्लूटूथ का ट्रांस्मीटर सिलवाया गया था, जबकि कान में ईयर प्लग की सिर्फ चिप ही लगाई गई थी। ताकि किसी को दिखाई न दे। इन सभी को मोबाइल बेल्ट से ऊपर ही रखने के लिए कहा गया था, ताकि सिग्नल में प्रॉब्लम न हो। अब तक की जांच में आधा दर्जन एमबीबीए के इस तरह से एग्जाम देने का खुलासा हो चुका है। इस केस में अब तक दो एमबीए, एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक एमबीबीएस के स्टूडेंट और चैनल प्रोग्रामर को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एक साथ कई जगह पर क्राइम ब्रांच रेड कर रही है।

प्रेरणादायक टेप सुनते थे माइकल जैक्सन

अभिनेत्री जेनी फोंडा का कहना है कि दिवंगत पॉप सम्राट माइकल जैक्सन प्रेरणा और उत्साह के लिए टेप सुना करते थे। जेनी 1981 में करीब दो सप्ताह तक जैक्सन के साथ रही थीं। फीमेल फर्स्ट के मुताबिक जेनी ने जैक्सन के साथ अपने कुछ दिनों के प्रवास के दौरान पाया था कि पॉप दिग्गज कई टेप सुना करते थे, जिनमें उन्हें अच्छे इंसान होने की प्रेरणा मिलती थी। जेनी ने कहा कि माइकल जैक्सन के साथ मैं 10 दिनों तक रही। वह अपने तकिए के पास एक टेप रिकॉर्डर रखते थे। वह इस टेप को सुना करते थे। इस टेप से आवाज आती थी आप अच्छे इंसान हैं, आगे बेहतर होगा।

आमिर खान : सितारे से सूरज बनता अभिनेता

80 का दशक फिल्म उद्योग के लिए बेहद उलट-पुलट का दौर माना जाता है। ये दौर पुराने सितारों के क्षीण होने और नए सितारों के जन्मने का दौर था। 1988 का साल बॉलीवुड के लिए सदमे से कम नहीं था। अमिताभ बच्चन, सन्नी देओल, मिथुन चक्रवर्ती, विनोद खन्ना समेत कई सितारे जमीन पर आ गिरे। इन सितारों की फीकी चमक में एक नए सितारे ने जन्म लिया। 

मार्च 1988 को प्रदर्शित हुई कयामत से कयामत तक ने फिल्म उद्योग को आमिर खान के रूप में ऐसा सितारा दिया, जिसकी चमक आज तक बरकरार है। हाल ही में उन्हें यूनिसेफ ने भारत में ब्रांड एंबेसेडर बनाकर नई जिम्मेदारी सौंपी है। सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पित आमिर भारतीय बच्चों की बेहतरी के लिए रचनात्मक पहल करने जा रहे हैं। आज ये सितारा सूरज बनने की राह पर है, शिखर पर विराजमान आमिर अब बादलों को चीर कर आगे बढ़ जाना चाहते हैं। 

टैलेंट बिल्डर आमिर 
आमिर ने अपने प्रोडक्शन में नए युवाओं को मौका दिया है। जाने तू या जाने ना में इमरान खान और प्रतीक बब्बर को एंट्री दी। उनके प्रोडक्शन की डेली बेली, पीपली लाइव में भी नए चेहरे ही नजर आते हैं। डेली बेली के रायटर अक्षत वर्मा भी आमिर की ही खोज हैं। आमिर अब जैकी श्राफ के बेटे टाइगर को अपनी फिल्म में मौका देना चाहते हैं। टाइगर में वे एक बेहतरीन एक्शन हीरो की छवि देखते हैं।

आमिर की फ्रेंडशिप 
आमिर और सचिन तेंडुलकर की दोस्ती लगभग बीस साल पुरानी है। 22 साल पहले आमिर ने सचिन को मुंबई के ब्रेब्रोन स्टेडियम में प्रैक्टिस करते देखा था। तब उन्होंने कपिल देव से पूछा कि यह कौन है। कपिल ने बताया यह तुम्हारे शहर का ही है। आमिर को नहीं मालूम था कि सचिन भी उनके बहुत बड़े फैन हैं। बाद में दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी और अब ये हाल है कि आमिर सचिन के पुणे में स्थित बंगले के पास कोई घर तलाश कर रहे हैं।

सोशल सर्विस में अव्वल नंबर 
* ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले के खिलाफ आवाज उठाई।

* यूनिसेफ की ओर से वे भारत में बच्चों के पोषण और बेहतरी के लिए जागरूकता फैलाएंगे। 

* नर्मदा बचाओ आंदोलन में मेधा पाटकर का साथ दिया। 

* अन्ना के लोकपाल बिल के लिए आवाज उठाई। प्रधानमंत्री को पत्र लिख लोकपाल बिल लागू करने के लिए कहा। 

* उनका परिवार बेसहारा पशुओं की देखभाल का जिम्मा भी उठाता है। वे पेटा के अभियानों में भी मदद करते हैं। 

* केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के कैंपेन से जुड़े उनके अतिथि देवो भवः के विज्ञापन काफी सराहे गए।

* शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए भी आमिर ने काफी काम किया है।

* भारत में विश्वकप मैचों के दौरान वे तिरंगा लिए भारतीय टीम के हर मैच में उत्साह बढ़ाते दिखे। 

* अब सुपरस्टार रजनीकांत के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के विज्ञापन में बच्चों को सेहतमंद रहने के नुस्खे बताते नजर आने वाले हैं।

फ्यूचर प्रोजेक्ट 
* रीमा कागटी की सस्पेंस थ्रिलर तलाश 1 जून 2012 को प्रदर्शित होगी। उनके साथ करीना कपूर और रानी मुखर्जी दिखाई देंगी। 

* यशराज प्रोडक्शंस की धूम-3, 2013 में प्रदर्शित होगी। इसके लिए आमिर ने लंबी तैयारी की है। सुनने में आया है कि आमिर का कैरेक्टर लार्जर देन लाइफ है।

* ऑस्कर विनिंग डायरेक्टर दानिज तेनकोविक ने आमिर को अपनी फिल्म में एक रोल की पेशकश की है। दानिज वही डायरेक्टर हैं, जिनकी फिल्म नो मेंस लैंड ने 2002 के ऑस्कर में आमिर की लगान को पछाड़ दिया था। 

* एकता कपूर ने विख्यात मिल्कमैन कुरियन वर्गीज पर बायोपिक बनाने के लिए तिग्मांशु धूलिया को साइन किया है। तिग्मांशु ने मुख्य रोल के लिए आमिर को ऑफर किया है। हालांकि अभी आमिर ने इसके लिए हाँ नहीं कही है लेकिन उन्हें मनाने के प्रयास जारी हैं। 

आमिर स्पीक 

* मैं नहीं चाहता कि मेरा मोम का पुतला मैडम तुसाद म्यूजियम में लगाया जाए। मेरे प्रशंसक मुझे फिल्मों में देख लेते हैं, इतना ही बहुत है।

*मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट महाभारत है। लेकिन इसके लिए मुझे बीस साल तैयारी करनी होगी, तब कही फिल्म बना सकूंगा।

*फिल्मों में सिगरेट के कश पर पाबंदी कलाकारों की रचनात्मकता पर हमला है।

अक्षय कुमार हैं रियल 'खिलाड़ी'

'खिलाड़ी कुमार' से मशहूर बॉलीवुड अभिनेता 'अक्षय कुमार' आज कई युवाओं की पसंद बन चुके हैं। फिल्मों में किए गए उनके स्टंट और उनके आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित युवा उन्हीं की तरह बनने के सपने देखते हैं। अक्षय आज जिस मुकाम पर हैं उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ अक्षय की मेहनत को दिया जाना गलत नहीं होगा, क्योंकि न वे स्टार पुत्र हैं, न उनके परिवार का फिल्म जगत से कोई संबंध और न ही कोई गॉडफादर जो उन्हें लांच करता। यह सफलता अक्षय को सिर्फ अपनी मेहनत के बलबूते प्राप्त हुई है। 
प्रभावी डील-डौल के धनी अक्षय का जन्म 9 सितम्बर 1967 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ। अक्षय के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। अक्षय का असली नाम राजीव हरिओम भाटिया है। कम उम्र में ही अक्षय एक परफॉर्मर के रूप में पहचाने जाने लगे, खासतौर पर एक डांसर के रूप में। अक्षय ने अपनी स्कूली पढ़ाई डॉन बॉस्को स्कूल से और आगे की पढ़ाई गुरुनानक खालसा कॉलेज से की।

भारत में टीकवॉन्डो में ब्लैक बेल्ट हासिल करने के बाद अक्षय ने बैंकॉक में मार्शल आर्ट्स की पढ़ाई की और वहां वेटर और शेफ के रूप में काम भी किया। बैंकॉक से लौटने के बाद अक्षय ने मुंबई में मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देना शुरू किया। उनके एक स्टूडेंट जो पेशे से फोटोग्राफर था उसी ने अक्षय को मॉडलिंग करने की सलाह दी और साथ ही एक कंपनी के लिए मॉडलिंग असाइनमेंट भी दिया। मॉडलिंग के कुछ ही महिनों बाद अक्षय को फिल्म दीदार के लिए निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती द्वारा मुख्य भूमिका का अवसर मिला।

अक्षय ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 1991 में 'सौगंध' से की। हालांकि उनकी यह फिल्म सफल साबित नहीं हुई। अक्षय की पहली हिट फिल्म 1992 में आई 'खिलाड़ी' है। खिलाड़ी और खिलाड़ी सीरीज की फिल्मों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक्शन हीरों के रूप में स्थापित कर दिया। एक्शन फिल्मों में खासतौर पर अक्षय को लिए जाने का प्रमुख कारण उनकी अच्छी कद-काठी, मार्शल आर्ट्स का ज्ञान और खतरनाक स्टंट करने की क्षमता है। फिल्मों में खुद पर फिल्माए जाने वाले खतरनाक से खतरनाक स्टंट अक्षय आप ही करते हैं। वे इसके लिए किसी डुप्ल‍ीकेट का इस्तेमाल नहीं करते। 

एक्शन रोल के साथ ही अक्षय रोमेंटिक, नकारात्मक, ड्रामेटिक और कॉमेडी रोल भी बखूबी निभा सकते हैं। 2000 के दशक में उन्होंने कई कॉमेडी फिल्में कर दर्शकों को खूब हंसाया और अपनी कॉमेडी से उन्हें अचंभित भी किया। फिल्म दर फिल्म उनकी मेहनत से उनका अभिनय निखरता चला गया। फिल्म 'अजनबी' के लिए उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ विलेन' और फिल्म 'गरम मसाला' के लिए 'सर्वश्रेष्ठ कॉमिक परफॉर्मर' के 'फिल्म फेयर' अवॉर्ड्स से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें 'पद्मश्री' और 'राजीव गांधी' अवॉर्ड्स से भी नवाजा जा चुका है।

अब तक 100 ‍से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके अक्षय का 2012 में भी बोलबाला रहने वाला है। इस वर्ष अक्षय की पांच फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। इन फिल्मों में से एक फिल्म रॉडी राठौर में अक्षय फिर एक्शन करते दिखाई देंगे।

अक्षय के इस नेम-फेम, सफलता और जबर्दस्त फैन फॉलोइंग का कारण अक्षय की मेहन‍त, लगन और धैर्य है। उनके इसी गुण ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई है। उनकी डेयरिंग पर्सनेलिटी ने युवाओं को उनका कायल बना दिया है।