Thursday 12 January 2012

गुरुमंत्र : ऐसे मनवाएं अपनी बात...

लोगों को अपनी समझ से अवगत कराने और उन्हें अपनी बात से सहमत कराने का गुण सफलता प्राप्त करने का एक मूल मंत्र है। किसी को अपनी बात से राजी करने और उसे परेशान करने में एक बारीक सा फर्क है। लोगों को अपने विचार समझा पाना वाकई एक ‍कठिन काम है। इसमें आपकी जरा सी एक चूक उस व्यक्ति को परेशान कर सकती है और वह आप पर झुंझला सकता है। नीचे लिखे कुछ आसान से टिप्स अपनाकर आप आसानी से लोगों को अपनी बात से सहमत कर सकते हैं। 

1. पहले से करें तैयारी : सबसे पहले आप अपने विचारों और बातें को अच्छी तरह समझ लीजिए मसलन अगर आप किसी को इस बात से सहमत करना चाहते हैं कि एफिल टॉवर, स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से ज्यादा लंबा है तब इससे संबंधित सारे आंकड़े पता करें सिर्फ अंदाजा न लगाएं। 

2. फील्ड को अच्छी तरह जानें : कुछ मामलों में आपको आंकड़ों से कहीं ज्यादा जानने की जरूरत रहती है। जैसे कि यदि आप यह साबित करना चाहते हैं कि स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी, एफिल टॉवर से ज्यादा सुंदर है तब इसके लिए आपको आकंड़ों के साथ-साथ उनके वास्तु-कला और सौंदर्य-शास्त्र की सारी जानकारी होना जाहिए जिससे आप अपनी बात को प्रभावी रूप से कह सकें। 

इसी तरह यदि आप किसी कार को बेचना चाहते हैं तो आपको उस कार के साथ-साथ उसकी प्रतिस्पर्धी सारी कारों की संपूर्ण जानकारी होनी आवश्यक है। 

3. नम्रतापूर्वक अपनी बात कहें : जहां तक संभव हो आई कॉनटेक्ट बनाए रखें, आपसी सम्मान की भावना बनाए रखें। ‍अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि आप उसका सम्मान नहीं करते तब आप उसे कभी अपनी बात से सहमत नहीं करा सकते। इसलिए अपनी बातों को नम्रतापूर्वक कहें। 

4. भरोसा हासिल करें : लोगों को अपनी बात से सहमत कराने के लिए जरूरी है उनका विश्वास जीतना, उन्हें भरोसा दिलाना कि जो आप कह रहे हैं वह सही है। इसके लिए जरूरी है कि आप विषय से संबं‍धित सारी जानकारी एकत्रित कर लें। 

5. ध्यान से सुनें : जिस व्यक्ति को आप सहमत करना चाह रहे हैं, उनकी बातों को भी सुनें, उनके ‍विचारों को भी समझें। उन्हें रियल फेक्ट्स के साथ उनके सवालों के जबाब दें।

6. संकेतों पर ध्यान दें : नॉन-वर्बल फीडबैक जैसे बात को सुनकर सिर हिलाने के संकेतों पर भी ध्यान दें।

7. अडिग रहें : अपने विश्वास पर अडिग रहें। दूसरों के विश्वास की कद्र करें। उन्हें विस्तारपूर्वक बताएं कि आपका यकीन आपके लिए इतना अहम क्यों हैं। 

8. सरल अंदाज : अपनी बात को इस अंदाज में रखें कि लोगों को उसे समझने में आसानी हो। 

9. फॉलो-अप जरूरी : बातचीत के बाद हमेशा फॉलो-अप लें। लोगों से सवाल करें ताकि आप जान सकें कि वे आपकी बात को पूरी तरह समझे हैं या नहीं।

फसल पकने के आनंद का प्रतीक है लोहड़ी

फसल पकने पर किसान की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और इसी खुशी को जाहिर करता है लोहड़ी पर्व, जो जीवन के प्रति उल्लास को दर्शाते हुए सामाजिक जुड़ाव को मजबूत भी करता है। लोहड़ी को पंजाब और हरियाणा में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि दोनो ही राज्य कृषि प्रधान हैं और फसल पकने की खुशी भी यहां पूरे जोश के साथ मनाई जाती है। 

पंजाब के लुधियाना में रहने वाली दर्शन कौर ने कहा ‘लोहड़ी का किसी एक जाति या वर्ग से संबंध नहीं है। हमारे पंजाब में तो हर वर्ग के लोग शाम को एकत्र होते हैं और लोहड़ी मनाते हैं। तब सामाजिक स्तर भी नहीं देखा जाता। यह पर्व फसल पकने और अच्छी खेती का प्रतीक है।’

वह कहती हैं ‘जब लोहड़ी जलाई जाती है तो उसकी पूजा गेहूं की नयी फसल की बालियों से की जाती है। हम इस पर्व को अच्छी खेती और फसल पकने का प्रतीक मानते हैं। लोहड़ी आई यानी फसल पकने लगी और फिर खेतों की रखवाली शुरू हो जाती है। बैसाखी तक पकी फसल काटने का समय आ जाता है।’

वायुसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी एस के अवलाश बताते हैं ‘इस दिन का इंतजार बेसब्री से रहता है। लोग शाम को एक जगह एकत्र होते हैं। पूजा कर लोहड़ी जलाई जाती है और इसके आसपास सात चक्कर लगाते समय आग में तिल डालते हुए, ईश्वर से धनधान्य भरपूर होने का आशीर्वाद मांगा जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि जिसके घर पर भी खुशियों का मौका आया, चाहे विवाह के रूप में हो या संतान के जन्म के रूप में, लोहड़ी उसके घर जलाई जाएगी और लोग वहीं एकत्र होंगे।’

राजधानी के एक प्रतिष्ठित स्कूल में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त तेजिंदर कौर कहती हैं ‘बड़े बुजुर्ग मानते हैं कि लोहड़ी नवविवाहितों और नवजात शिशुओं के लिए बेहद शुभ होती है। नवविवाहित जोड़े इस दिन नए कपड़े पहनते हैं। नयी बहू कलाई भर चूड़ियां, नए कपड़े पहन कर सजती है और उसे मायके तथा ससुराल से तोहफे भी मिलते हैं।’ 

दर्शन कौर कहती हैं ‘लोहड़ी अगले दिन सुबह तक जलती है। महिलाएं लोहड़ी की आंच में गुड़ और आटे के ‘मन’ पकाती हैं जिसे बड़े चाव से लोग खाते हैं। कहीं गुड़ के चावल रातभर पकाए जाते हैं और सुबह सबको बांटे जाते हैं। इस रात विशेष भोज होता है जिसमें सरसों का साग, माह की दाल, तंदूरी रोटी और मक्की की रोटी बनती है।’

ढोलक की थाप पर लोकगीतों पर गिद्दा करती महिलाएं जहां लोहड़ी को अनोखा रंग दे देती हैं वहीं ढोल बजाते हुए भांगड़ा करते पुरुष इस पर्व में समृद्ध संस्कृति की झलक दिखाते हैं। ठंड के दिनों में आग के आसपास घूम घूम कर नृत्य करते समय हाथों में रखे तिल आग में डाले जाते हैं। 

अवलाश कहते हैं, ‘लोगों के घर जा कर लोहड़ी जलाने के लिए लकड़ियां मांगी जाती हैं और दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं। कहते हैं कि महराजा अकबर के शासन काल में दुल्ला भट्टी एक लुटेरा था लेकिन वह हिंदू लड़कियों को गुलाम के तौर पर बेचे जाने का विरोधी था। उन्हें बचा कर वह उनकी हिंदू लड़कों से शादी करा देता था। उसे लोग पसंद करते थे। लोहड़ी गीतों में उसके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।’

उन्होंने बताया ‘कुछ लोग मानते हैं कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। इसीलिए इसे लोई भी कहा जाता है।’ लोहड़ी पौष माह के आखिरी दिन मनाई जाती है और यह अगले दिन यानी माघ के पहले दिन तक जलती रहती है।

लोहड़ी की लकड़ियों के बीच गोबर की एक छोटी ढेरी रखी जाती है और इसे ही लोहड़ी माना जाता है। पूजा के बाद लोहड़ी जलाई जाती है और छोटे बड़ों के पैर छू कर आशीर्वाद लेते हैं। प्रसाद के तौर पर रेवड़ी, पॉपकार्न, मूंगफली, गुड़ और गजक बांटी जाती है। लोग यह भी मानते हैं कि लोहड़ी ठंड की विदाई का प्रतीक है। (भाषा)