पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब खत्म हो चुका है। राजनीतिक दल और प्रत्याशियों की सांसे अटकी हुई हैं। हर कोई वोट बटोरने की जुगत में लगा हुआ है। पंजाब के नेता और उम्मीदवार डेरा के वोट बैंक को पाने की लालसा लिए डेरे का चक्कर लगाने लगे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके है। इनमें पंजाब के रसूखदार नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनप्रीत बादल और राजिंद्र कौर का नाम प्रमुख है।
करीब सात वर्ष पूर्व डेरा सच्चा सौदा द्वारा गठित राजनीतिक प्रकोष्ठ पिछले विधानसभा चुनाव में पंजाब प्रदेश में अपना करिश्मा दिखा चुका है।
90 लाख वोटरों तक पहुंच
पंजाब प्रदेश के मालवा क्षेत्र में डेरा प्रेमियों की संख्या काफी है, जो जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते है तथा राजनीतिक प्रकोष्ठ के संकेत पर ही मतदान करते है। डेरा का दावा है कि हरियाणा में उनके 45 लाख, पंजाब में 50 लाख, राजस्थान में 35, दिल्ली में 20 तथा यूपी में करीब 30 लाख के करीब डेरा अनुयायी है।
इस लिहाज से उनके अनुयायियों की संख्या करीब 1.75 करोड़ से अधिक है। इनमें वोटरों की संख्या करीब 90 लाख से अधिक है। अब राजनीतिक विंग के सहारे डेरा लोस चुनाव में अपने अपने लाखों अनुयायियों के बल पर ताकत दिखाने को बेताब हैं।
डेरा के वोट बैंक की ओर जहां पंजाब के सभी राजनीतिक दलों की टकटकी लगी है तो वहीं डेरा अपने अनुयायियों की नब्ज टटोलने में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में डेरा से पहले पंजाब में जिला लेवल पर अभियान से रायशुमारी की गई। अब डेरा की राजनीतिक विंग ने पंजाब के सभी 117 हलकों में दस्तक दी है।
डेरे के राजनीतिक प्रकोष्ठ द्वारा 2007 में हुए विधानसभाई चुनावों में दिखाए गए करिश्मे की बदौलत डेरा मुखी से आर्शीवाद पाने वालों की बाढ़ आ गई है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शह मात का खेल आरंभ कर दिया है।
डेरा सच्चा सौदा का इतिहास
डेरा सच्चा सौदा सरसा हरियाणा के सिरसा में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1948 में शाह मस्ताना जी महाराज ने की थी। ये बिलोचिस्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। बेपरवाह मस्ताना जी महाराज रूहानियत के कामिल फकीर थे। मस्ताना जी महाराज ने सामाजिक कार्य के लिए कई डेरों का निर्माण किया। दूर-दूर तक सत्संग लगाया।
सन् 1960 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी शाह सतनाम सिंह जी महाराज को सौंप दी गई। शाह सतनाम जी महाराज ने भजन कव्वालियों व व्याखानों के 20 ग्रथों की रचना की है। आश्रम में विवाह-शादी की भी एक नई परंपरा शुरू की। 1990 को संत गुरमीत राम रहीम सिंह ने इस गद्दी को संभाला। कुछ समय में ही देश-विदेश के 3.5 करोड़ से भी अधिक लोगों को डेरा से जोड़ लिया है।
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके है। इनमें पंजाब के रसूखदार नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनप्रीत बादल और राजिंद्र कौर का नाम प्रमुख है।
करीब सात वर्ष पूर्व डेरा सच्चा सौदा द्वारा गठित राजनीतिक प्रकोष्ठ पिछले विधानसभा चुनाव में पंजाब प्रदेश में अपना करिश्मा दिखा चुका है।
90 लाख वोटरों तक पहुंच
पंजाब प्रदेश के मालवा क्षेत्र में डेरा प्रेमियों की संख्या काफी है, जो जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते है तथा राजनीतिक प्रकोष्ठ के संकेत पर ही मतदान करते है। डेरा का दावा है कि हरियाणा में उनके 45 लाख, पंजाब में 50 लाख, राजस्थान में 35, दिल्ली में 20 तथा यूपी में करीब 30 लाख के करीब डेरा अनुयायी है।
इस लिहाज से उनके अनुयायियों की संख्या करीब 1.75 करोड़ से अधिक है। इनमें वोटरों की संख्या करीब 90 लाख से अधिक है। अब राजनीतिक विंग के सहारे डेरा लोस चुनाव में अपने अपने लाखों अनुयायियों के बल पर ताकत दिखाने को बेताब हैं।
डेरा के वोट बैंक की ओर जहां पंजाब के सभी राजनीतिक दलों की टकटकी लगी है तो वहीं डेरा अपने अनुयायियों की नब्ज टटोलने में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में डेरा से पहले पंजाब में जिला लेवल पर अभियान से रायशुमारी की गई। अब डेरा की राजनीतिक विंग ने पंजाब के सभी 117 हलकों में दस्तक दी है।
डेरे के राजनीतिक प्रकोष्ठ द्वारा 2007 में हुए विधानसभाई चुनावों में दिखाए गए करिश्मे की बदौलत डेरा मुखी से आर्शीवाद पाने वालों की बाढ़ आ गई है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शह मात का खेल आरंभ कर दिया है।
डेरा सच्चा सौदा का इतिहास
डेरा सच्चा सौदा सरसा हरियाणा के सिरसा में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1948 में शाह मस्ताना जी महाराज ने की थी। ये बिलोचिस्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। बेपरवाह मस्ताना जी महाराज रूहानियत के कामिल फकीर थे। मस्ताना जी महाराज ने सामाजिक कार्य के लिए कई डेरों का निर्माण किया। दूर-दूर तक सत्संग लगाया।
सन् 1960 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी शाह सतनाम सिंह जी महाराज को सौंप दी गई। शाह सतनाम जी महाराज ने भजन कव्वालियों व व्याखानों के 20 ग्रथों की रचना की है। आश्रम में विवाह-शादी की भी एक नई परंपरा शुरू की। 1990 को संत गुरमीत राम रहीम सिंह ने इस गद्दी को संभाला। कुछ समय में ही देश-विदेश के 3.5 करोड़ से भी अधिक लोगों को डेरा से जोड़ लिया है।
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