Monday, 30 January 2012

अपने अंदर की बुराईयों को खत्म करों, मिलेगी आपकों खुशियां

सिरसा(मनोज अरोड़ा)। एक सच्चे मुरीद के लिए इससे बड़ा कोई  त्यौहार हो नहीं सकता, जिसमें कुलमालिक ने जन्म लिया हो और जिसे साध-संगत बुराइयां त्यागने के रूप में मनाएं यह अपने आप में बेमिसाल है। उक्त उद्गार रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक रूहानी सत्संग को सम्बोधित करते हुए पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहे। इस अवसर पर पूज्य गुरूजी ने हजारों जीवों को गुरूमंत्र देकर बुराइयां न करने की शपथ दिलवाई गई। वहीं इस मौके पर पूज्य गुरू जी ने साधसंगत द्वारा लिखकर भेजे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। 
शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक रूहानी सत्संग के भजन 'रूह गदगद हो गई है दातेया दर्शन करके तेरे' की व्याख्या करते हुए पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहा कि साधसंगत इस पावन अवतार माह के महायज्ञ में अपनी अंदर की बुराइयों की आहुति डाल रही है और बुराइयों का नाश हो रहा है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि जैसे-जैसे इंसान अपने अंदर की बुराइयों को नष्ट कर देता है तो उसे वो खुशियां मिलती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होती। पूज्य गुरूजी ने कहा कि जो इंसान अपने सतगुरू के वचनों पर अमल करता है तो सतगुरू भी कोई कमी नही छोड़ता और उनकी खाली झोलियों को लबालब भर देता है। पूज्य संत जी ने कहा कि आज के इंसान की यह फितरत बन चुकी है कि अगर उसकी एक इच्छा पूरी नही होती तो पहले पूरी हुई सभी इच्छाओं को भूल जाता है और मालिक, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा व रब्ब वचनों को मानना बंद कर देता है। मनमत्ते चलता है जिस कारण उसे बहुत दुख उठाने पड़ते है। इसलिए साध संगत को चाहिए कि वह गुरू के कहें अनुसार ही चले ताकि उसे दुखों, परेशानियों से छुटाकरा मिल सकें। पूज्य गुरू जी ने कहा कि इंसान जब तक सत्संग में चलकर नही आता तो उसे अच्छे-बुरे का पता नही चलता और जब वह सत्संग में आता है और सुनकर वचनों पर अमल करते है तो खुशियों से मालामाल हो जाता है। पूज्य गुरू जी ने मांसाहार व नशों की बुराइयां बतलाते हुए उनका त्याग करने का आह्वान करते हुए कहा कि इंसान का शरीर शाकाहारी है इसलिए इंसान को मांस, अण्डे का सेवन नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंसान को नशों से दूर रहना चाहिए क्योंकि नशें घरों के घर बर्बाद कर देते है। अगर आप ने नशा करना ही है तो अल्लाह, वाहगुरू, गॉड, खुदा रब्ब के नाम का करो, जो एक बार चढ़ गया तो कभी उतरेगा नही। इस मौके पर अनेक जोड़े सादगी पूर्ण ढ़ंग से दिलजोड़माला पहनाकर शादी के बंधन में बंधे। वहीं इस मौके पर सभी नवविवाहित जोड़ों के परिजनों ने जीते जी गुर्दादान, मरणोंपरांत आंखेंदान, शरीरदान के लिखित में फार्म भरे। सत्संग की समाप्ति पर हजारों नए जीवों को गुरूमंत्र देकर उन्हें बुराईयां न करने की शपथ दिलवाई गई।

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