Sunday, 1 January 2012

स्वर्ण मंदिर से शुरू हुआ मनमोहन का नववर्ष

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने अपनी पत्नी गुरशरण कौर के साथ सिखों के पवित्र पूजास्थल स्वर्ण मंदिर में मत्था टेककर नए साल की शुरुआत की। निजी यात्रा पर यहां आए प्रधानमंत्री जब वे 16वीं शताब्दी में निर्मित गुरुद्वारे में मत्था टेक रहे थे उस समय उनके साथ काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

मनमोहनसिंह सुबह 6.30 बजे स्वर्ण मंदिर पहुंचे और वहां करीब आधा घंटा बिताया। इस बीच स्वर्ण मंदिर में मत्था टेककर निकलते प्रधानमंत्री सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर को गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के समर्थकों का विरोध झेलना पड़ा। करीब 40 अन्ना समर्थक वहां पहुंचे और उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनमें कुछ महिलाएं भी थीं। कुछ लोगोे उन्हें काले झंडे ी दिखाए।

स्वर्ण मंदिर नाम से मशहूर हरमंदर साहब के वीआईपी गलियारे में प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी ने हाथ जोड़कर और आंख बंदकर पूरे ध्यान से शबद कीर्तन और अरदास को सुना।

प्रधानमंत्री सिंह जहां सफेद कुर्ता-पजामा और उसके ऊपर गहरे सलेटी रंग की जैकेट पहने हुए थे, वहीं उनकी पत्नी गुरशरण ने क्रीम रंग के सलवार कमीज पर महरून रंग की शॉल ओढ़ रखी थी। शनिवार शाम अमृतसर पहुंचे प्रधानमंत्री ने स्वर्ण मंदिर के सरोवर की परिक्रमा भी की।

उसके बाद वे अकाल तख्त गये और मत्था टेका। उन्होंने वहां पांच मिनट तक अरदास सुनी। प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे में तीन मानव श्रृंखलाएं थीं। पहले घेरे में दिल्ली से गए एनएसजी के जवान, दूसरे में पंजाब पुलिस के जवान और उसके बाद सिखों की शीर्ष धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का कार्यबल था।

इससे पहले सिंह और उनकी पत्नी को सिख ग्रंथी जसविंदरसिंह ने सिरोपा भेंट किया। इसके बाद एसजीपीसी के महासचिव सुखदेवसिंह बहुर और एसजीपीसी सदस्य किरणजोत कौर ने स्वर्ण मंदिर सूचना केंद्र में उन्हें सम्मानित किया।

स्वर्ण मंदिर के सूचना अधिकारी गुरबचनसिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्वर्ण मंदिर का छोटा स्वर्णजड़ित चित्र, धार्मिक पुस्तकें और शॉल भी भेंट स्वरूप दिए गए। गुरबचन के अनुसार प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी ने स्वर्ण मंदिर परिसर में हर की पौड़ी के सरोवर से अमृत भी ग्रहण किया।

स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के बाद दोनों दुर्गियाना मंदिर पहुंचे जहां प्रबंधन ने उनका सम्मान किया। इसके बाद वे सर्किट हाउस लौट गए, जहां वे रात में भी ठहरे थे।

दिल्ली रवाना होने के लिए हवाई अड्डे जाने से पहले प्रधानमंत्री ने अमृतसर में रहने वाले अपने भाइयों सुरजीतसिंह कोहली, दलजीतसिंह कोहली, तीन बहनों ज्ञान कौर, निर्माण कौर और मनजीत कौर तथा उनके बच्चों के साथ करीब आधे घंटे का समय बिताया।

सुरजीत ने कहा कि नए साल के मौके पर पूरे परिवार के लिए यह दुर्लभ क्षण था क्योंकि परिवार के 17 सदस्य एक साथ बैठे और एक दूसरे को नए साल की मुबारकवाद दी।

अमृतसर प्रधानमंत्री का गृहनगर है। उन्होंने स्थानीय हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की थी। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से यहां आया था। उनके अन्य रिश्तेदार भी इस शहर में रहते हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री मार्च 2009 में स्वर्ण मंदिर गए थे। उसके कुछ सप्ताह पहले ही उन्होंने नई दिल्ली स्थित एम्स में अपनी हार्ट सर्जरी कराई थी।

अन्ना पक्ष ने किया बचाव : अन्ना पक्ष ने मनमोहनसिंह को कालेझंडे दिखाए जाने का यह कहते हुए बचाव किया कि यह मजबूत लोकपाल के लिए लोगों की मांग को दर्शाता है। अन्ना पक्ष की सदस्य किरण बेदी से जब पूछा कि क्या वे प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन को सही मानती हैं तब उन्होंने कहा कि काला झंडा दिखाना कानून के दायरे में है। अत: यह वैध विरोध है।

हालांकि अन्ना पक्ष की अन्य सदस्य शाजिया इल्मी ने इस बात से इनकार किया कि प्रदर्शनकारी इंडिया एगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के कार्यकर्ता थे। आईएसी मजबूत लोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर मुहिम चला रही है। इल्मी ने एक टेलीविजन चैनल से कहा कि मैं नहीं मानती कि यह अन्ना पक्ष के इशारे पर हुआ, लेकिन लोग जो अनुभव करते हैं और एहसास करते हैं, यह उसी का परिलक्षण है। 

उन्होंने कहा कि मेरा अनुमान है कि यह लोगों के मूड का परिणाम है क्योंकि वे कठोर भ्रष्टाचार निरोधक कानून चाहते हैं और यह हो नहीं रहा। इल्मी ने चेतावनी दी कि अन्य दलों को भी भविष्य में ऐसे स्थिति से दो चार होना पड़ सकता है क्योंकि लोग हाल के घटनाक्रम से नाराज हैं।

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