Thursday, 29 March 2012

राम जन्मोत्सव : अनूठा दिव्य संयोग रामनवमी : 10 वर्ष बाद बना दसवां दिव्य संयोग


April 1 Ram Navami
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एक अप्रैल को रवि पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में दशरथ नंदन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनेगा। इस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, वार रविवार, पुष्य नक्षत्र, सुकर्मा योग तथा कौलव करण के साथ सर्वार्थ सिद्घि योग का दिव्य संयोग भी है। 

भारतीय मानक समय व स्थानीय रेखांश के आधार पर नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो गत 68 सालों में ऐसा शुभ संयोग केवल 9 बार ही बना है। यह 10वीं बार होगा, जब पंचाग के 5 अंगों की शुभ घड़ी में रामलला जन्मोत्सव मनेगा।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इसी प्रकार की शुभ घड़ी में ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म हुआ था। 

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पंचाग के पांच अंगों के स्वामियों ने भगवान श्रीराम को पराक्रमी, शौर्यवान, ऐश्वर्यशाली, मर्यादा पुरुषोत्तम, दिग्विजयी, वैभवशाली, शक्ति संपन्न, विनम्र, आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी तथा कला की विभिन्न विधाओं में निपुण बनाया। इस दिन विशेष में राम आराधना से विशिष्ट फल की प्राप्ति होगी।

कब-कब बना संयो
सन् 1944, 54, 68, 71, 78, 81, 85, 95, 98 तथा 2002 के बाद इस वर्ष 2012 को ऐसा दिव्य संयोग बना है। अगले सात वर्षों के बाद सन्‌ 2019 में ऐसा ही शुभ संयोग बनेगा।

अफगानिस्तान: जहां लड़कों के भेष में रहती हैं लड़कियां

जिन परिवारों में बेटी पैदा होती है वहां बेटियों के जन्म के बाद आमतौर पर होने वाले कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं जिनकी वजह आर्थिक और सामाजिक मसले होते हैं और ऐसा दुनिया के कई देशों में होता है। अफगानिस्तान में भी इन्हीं सामाजिक-आर्थिक वजहों से लंबे समय से लड़कियों को लड़कों की तरह पालने पोसने की प्रथा चली आ रही है।

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इस परंपरा के तहत लड़कियों का पूरा हुलिया ही लड़कों की तरह बदल दिया जाता है इस चलन को कहा जाता है 'बाचा-पोश'।

अजीता रफहात अफगानिस्तान के संसद की पूर्व सदस्य रह चुकी हैं। रोज सुबह जब वह अपनी चार बेटियों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं तो तीन को लड़कियों के कपड़े लेकिन चौथी को लड़कों के कपड़े पहनाती हैं। अजीता रफहात की सबसे छोटी बेटी मेहरानूश जब घर से बाहर निकलती है तो वह मेहरान नाम के लड़के में तब्दील हो जाती है।

अजीता की यह कोशिश बेटा ना होने के कारण समाज में मिलने वाले तानों से बचने के लिए है और इसके लिए उसे ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है, सिर्फ मेहरान के बालों को छोटा रखने और उसे लड़कों के कपड़े पहनाने से सबकुछ काफी आसान हो गया है।

अफगानिस्तान में तो इस परंपरा को बाकायदा एक नाम भी दिया गया है, 'बाचा-पोश' यानि लड़कियों का भेष बदलकर उन्हें लड़का बनाने की परंपरा।

रफहात दंपत्ति कहते हैं, "अफगानिस्तान में अगर आप अच्छी हैसियत रखते हैं तो लोगों का नज़रिया आपके प्रति बदला रहता है। यहां के लोगों का मानना है कि जब तक आपका कोई बेटा नहीं हो तब तक आपकी जिंदगी अधूरी है। यहां हमेशा से बेटों को बेटियों के बनिस्पत ज़्यादा तरज़ीह दी जाती है। इसके पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारणों के अलावा, बेटा होना शान से जोड़कर देखा जाता है।

अजीता के पति ईज़ातुल्लाह रफहात के अनुसार, ''जो कोई भी हमारे घर आता था वह हमारा कोई बेटा न होने पर सहानुभूति जताता था, तब हमें लगा कि हमें अपनी सबसे छोटी बेटी को बेटे की तरह पालना चाहिए और वह भी ऐसा ही चाहती थी।'' अज़ीता ऐसा करने वाली इकलौती महिला नहीं है.

लड़कियों जैसी नहीं- अफगानिस्तान के बाजा़रों में आपको ऐसी कई लड़कियां नज़र आ जाएंगी जो लड़कों के भेष में काम करती हैं। कई परिवार अपनी लड़कियों को लड़के का रूप इसलिए भी धारण करवाते हैं ताकि वह अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए बाहर जाकर काम कर सके।

पांच से बारह साल की उम्र की ये बच्चियां अक्सर सड़कों पर लड़कों के भेष में च्वींगगम या पानी की बोतलें बेचते हुए नज़र आ सकती हैं।

लेकिन जिन लड़कियां को लड़कों की तरह पाला-पोसा जाता है वो हमेशा ऐसे नहीं रहतीं। 17-18 साल की उम्र में उन्हें एक बार फिर से वापिस अपने सामान्य रूप और जीवन में लौटना पड़ता है जो कई बार आसान नहीं होता।

उत्तरी अफगानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ में रहने वाली ईलाहा 20 साल तक लड़के के रूप में रही क्योंकि उसके परिवार में कोई लड़का नहीं था और दो साल पहले ही अपने असल रंग-रूप में वापस आई है जब वह पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय जा रही थी।

लेकिन ईलाहा कहती है कि वह एक सामान्य लड़की की तरह महसूस नहीं करती और उसकी आदतें भी लड़कियों जैसी नहीं हैं। ईलाहा कहती है कि वह शादी भी नहीं करना चाहती।

ईलाहा के मुताबिक,'' जब मैं बच्ची थी तब मेरे माता-पिता मुझे लड़के के भेष में रखने लगे। कुछ समय पहले तक मैं भी अन्य लड़कों के साथ बाहर खेल सकती थी और मुझे ज़्यादा आज़ादी मिली हुई थी।''

ईलाहा कहती है वह अपना मन मारकर वापस लड़की के रूप में आई है और उसने ऐसा सिर्फ सामाजिक मान्यताओं के कारण किया है। ईलाहा के अनुसार, ''अगर मेरे मां-बाप ज़बरदस्ती मेरी शादी करवाते हैं तो मैं सभी अफगानिस्तानी महिलाओं के दुखों का बदला लूंगी। मैं अपने पति को इतना पीटूंगी कि वह रोज़ मुझे अदालत लेकर जाए।''

एक जैसी कहानी- अफगानिस्तान में बहुत सारी लड़कियां लड़कों की तरह रहती हैं ताकि वे घर से बाहर जाकर काम कर सकें। अफगानिस्तान के मशहूर ब्लू मस्जिद के प्रमुख अतीकुल्लाह अंसारी कहते हैं, "यह परंपरा ईश्वर से याचना करने जैसी है। जिन परिवारों में बेटा नहीं होता वे लड़कियों को लड़कों की तरह रखते हैं ताकि उनकी किस्मत खुल जाए और ईश्वर उन्हें एक बेटा दे दे।"

वे आगे कहते हैं, ''जिन माओं के बेटे नहीं है वे हज़रत-ए-अली की दरगाह़ आकर बेटे के लिए मन्नत मांगती हैं।'' अंसारी का कहना है कि इस्लाम के अनुसार जो लड़कियां बचपन में लड़कों की तरह रहीं है, उन्हें भी युवावस्था में अपना सिर ढक कर रखना चाहिए।

अफगानिस्तान के समाज में यह परंपरा काफी आम है, यहां लगभग हर परिवार या मोहल्ले में ऐसे उदाहरण मिलने आम बात है।

अफगानिस्तान के उत्तरी प्रांत बाल्ख में स्त्री अधिकारों से जुड़े विभाग की प्रमुख फरीबा माजिद भी बचपन में वाहिद के नाम से लड़के के रूप में रहती थीं। फरीबा कहती हैं, ''मैं अपने परिवार की तीसरी बेटी थी और मेरे जन्म के साथ ही मेरे माता-पिता ने ये तय कर लिया था कि वे मुझे लड़के की तरह रखेंगे।''

''मैं अपने पिता के साथ उनकी दुकान पर काम करती थी और उनके साथ सामान खरीदने काबुल भी जाती थी।'' फरीदा को लगता है कि यहां मिले अनुभवों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिली है।

यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि मेहरान की मां अज़ीता रफहात भी अपने बचपन में लड़के के भेष में रह चुकी हैं। अज़ीता कहती हैं, ''यह राज कोई नहीं जानता कि मैं भी बचपन में लड़के के रूप में रह चुकी हूं और अपने पिता के काम में उनकी मदद करती थी। इस तरह से मुझे एक लड़की और लड़का दोनों की दुनिया देखने का मौका मिला और इससे मैं जीवन में और ज्यादा महत्वकांक्षी बनी।''

अधिकारों का उल्लंघन- यह परंपरा अफगानिस्तान में सदियों से चली आ रही है। काबुल में रह रहे समाजशास्त्री दाउद राविश के अनुसार, ''इसकी शुरुआत तब हुई हो सकती है जब अफगानिस्तान पर आक्रमणकारियों ने हमला किया हो और औरतों को खुद को उनसे बचाने के लिए अपना रूप बदलना पड़ा हो।''

लेकिन बाल्ख मानवाधिकार संगठन के प्रमुख काज़ी सय्यद मोहम्मद सामी इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते है। काज़ी कहते हैं, ''हम थोड़े समय के लिए किसी का भी लिंग नहीं बदल सकते, हम किसी लड़की को थोड़े समय के लिए लड़का नहीं बना सकते हैं, यह मानवता के खिलाफ है।''

इस परंपरा ने बहुत सी लड़कियों से उनका मौलिक अधिकार छीन लिया है। कुछ लड़कियों को ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने बचपन के सुनहरे दिन खो दिए हैं तो कुछ को लगता है कि उनसे उनकी पहचान ही छीन ली गई है।

लेकिन कुछ लड़कियों को लगता है कि इस परंपरा ने उन्हें आज़ादी के वे अनुभव दिए हैं जो उनके देश में एक लड़की को कभी नहीं मिल पाता। लेकिन कुछ लोगों के लिए अब भी यह सवाल सबसे बड़ा है कि, ''आखिर अफगानिस्तान में ऐसा कब होगा जब यहां की बेटियों को बेटों के समान आज़ादी और सम्मान भरी ज़िंदगी नसीब होगी?''

ओबामा के स्वर्ण मंदिर में न आने का कारण पंजाब कांग्रेस

रेखा/गोविन्द सलोता  
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपनी अमृतसर यात्रा पंजाब कांग्रेस और अकालियों की आपसी खींचा तानियों के कारण रद्द करनी पड़ी है. दोनों ही पार्टियाँ ओबामा की स्वर्ण मंदिर की यात्रा का लाभ एक दुसरे को नहीं लेने-देना चाहती. सिर ढकने की अनिच्छा की अटकलों के उलट ओबामा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खुश करने के लिए स्वर्ण मंदिर जाने को लेकर बेहद उत्सुक थे. सप्रंग नेतृत्व से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पंजाब कांग्रेस ने ओबामा की यात्रा टलवाने के लिए सारे तीर छोड़ दिए. इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध नहीं, बल्कि स्वर्ण मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में अकाल तख़्त के लोगों के अलावा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह के छाए रहने का डर है.


पंजाब कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उन्हें भी प्रोटोकोल का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि स्वर्ण मंदिर प्रांगन में ओबामा के साथ-साथ उनकी उपस्थिति भी प्रमुखता से देश-विदेश में दिखाई दे. उनका यह भी कहना है कि अगर ऐसा नहीं होगा तो ओबामा के इस दौरे का सियासी फायदा अकालियों को भी मिलेगा. इस बार व्हाइट हाउस ने खुद अमृतसर यात्रा की इच्छा जताई थी इसलिए पंजाब तर्कों से परेशान पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने बीच का रास्ता निकालने के लिए विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर को कांग्रेस के चेहरे के रूप में ओबामा के साथ दिखने का प्रस्ताव दिया.

Friday, 10 February 2012

हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा



  जिला में हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा द्वारा अपै्रल माह से दिसंबर माह 2011 तक विभिन्न विकास कार्य करवाए गए जैसे नई ग्रामीण संपर्क सड़कों का निर्माण व विशेष मरम्मत का कार्य, मंडियों के विकास कार्य एवं मरम्मत, खेल परिसरों का निर्माण मांगेआना में फल नर्सरी भवन का निर्माण आदि विभिन्न विकास कार्यों पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च की गई है।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डा. जे. गणेसन ने बताया कि नई ग्रामीण सड़कों व संपर्क सड़कों को पक्का करने पर 125.95 लाख रुपए खर्च किए गए। उन्होंने बताया कि जिला में 123.77 किलोमीटर  सड़कों की विशेष मरम्मत के कार्य पर 1344.22 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। मंडियों के विकास कार्यों पर 44.45 लाख रुपए तथा मंडियों के मरम्मत कार्य पर 9.95 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उपायुक्त ने बताया कि वर्ष 2011 में एक खेल परिसर का निर्माण करवाया गया जिस पर 5.93 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। उन्होंने बताया कि मांगेआना में फल नर्सरी में भवन निर्माण कार्यों पर 62.10 लाख रुपए की राशि खर्च की गई।
डा. जे. गणेसन ने आगे बताया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा द्वारा इससे पूर्व मार्च 2005 से 31 मार्च 2011 तक वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में विभिन्न विकास कार्यों पर अरबों रुपए की धनराशि खर्च की गई। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 210.69 किलोमीटर लंबाई की सड़कों को पक्का करने पर 18.10 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके साथ-साथ विभाग द्वारा सड़कों की विशेष मरम्मत के कार्य पर जिला में 616.20 किलोमीटर सड़कों की विशेष मरम्मत करवाई गई जिस पर 43.27 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई।
उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल द्वारा जिले की विभिन्न मंडियों में विकास कार्यों पर 20.67 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है। इसके अलावा मंडियों की मरम्मत कार्य पर 5.14 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 8 खेल परिसरों के निर्माण कार्य पूरा करवाया गया है जिस पर 4.69 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मांगेआना में फल नर्सरी भवन योजना के तहत में भवन निर्माण कार्य करवाने पर 71.92 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यह कार्य इंडो इजराइल स्कीम के तहत करवाए गए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत निम्रलिखित कार्य करवाए जा रहे हैं जिसमें ग्रामीण सड़कों का निर्माण करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 18 सड़कों का निर्माण किया गया जिस पर 586.06 लाख रुपए खर्च किए गए। प्रसूति गृहों निर्माण योजना के तहत  46 गावों में 2.50 लाख रुपए प्रति प्रसूति गृह की लागत से निर्माण करवाया गया है इन पर 89.72 रुपए की धनराशि खर्च की गई है।
उपायुक्त ने बताया कि लघुसचिवालय सिरसा में प्रशिक्षण व उत्पादन सेंटर के निर्माण पर 111.12 लाख रुपए की राशि खर्च करके भवन का निर्माण किया गया है। वैटरनिरी पॉली क्लीनिक योजना के तहत सिरसा में पशुधन केंद्र का निर्माण कार्य प्रगति पर चल रहा है। इस कार्य पर अब तक 185.27 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक भवन निर्माण स्कीम के तहत 7 स्कूलों में में इन भवनों का निर्माण किया गया है जिस पर 48.58 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उन्होंने बताया कि सूचना केंद्रों का निर्माण योजना के तहत डबवाली, ऐलनाबाद व नाथूसरी चौपटा में सूचना केंद्रों का निर्माण करवाया गया है जिस पर अब तक 95.38 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हें।
हरियाणा राज्य कृषि विपनण मंडल सिरसा के कार्यकारी अभियंता रमेश गर्ग ने बताया कि आवासीय अंध विद्यालय के निर्माण विभाग द्वारा करवाया है जिस पर 54.73 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। इसके अलावा बीआरजीएफ स्कीम के तहत कई कार्य करवाए गए हैं जिनमें अम्बेडकर चौक से महाराजा अग्रसेन स्कूल वाया परशुराम चौक तक सीमेंट व कंकरीट सड़क का निर्माण करवाया गया है जिस पर 108.74 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत माधोसिंघाना व नाथूसरी चौपटा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार कार्य करवाया गया है जिस पर 40.41 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। डबवाली में ओपर एयर थियेटर का कार्य करवाया गया है जिस पर 23.30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। डबवाली में ही  16.20 लाख रुपए खर्च करके पशुधन अस्पताल का निर्माण किया गया है।
उन्होंने बताया कि एचआरडीएफ स्कीम के तहत शिव मंदिर डिंग रोड से ढाणी राजेंद्र सिंह सड़क का निर्माण 17.98 लाख रुपए खर्च करके किया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बेगू रोड सिरसा पर लड़कियों के लिए राजकीय उच्चतम विद्वालय का कार्य नगर सुधार मंडल की राशि से करवाया गया है जिस पर 388.51 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है।


इनेलो नेता कृष्ण गुंबर को पार्टी हाईकमान द्वारा जिला महासचिव नियुक्त किए जाने पर लड्डू बांट

 इनेलो नेता कृष्ण गुंबर को पार्टी हाईकमान द्वारा जिला महासचिव नियुक्त किए जाने पर आज वार्ड 6 के निवासियों ने लड्डू बांटकर खुशी जाहिर की। इस अवसर पर वार्डवासियों ने इनेलो सुप्रीमो औमप्रकाश चौटाला, डबवाली के विधायक डा.अजय सिंह चौटाला, ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला तथा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा का आभार जताया। इस अवसर पर सतपाल फुटेला, राहुल फुटेला, चंद्रशेखर अरोड़ा, तरसेम कक्कड़, दिनेश मक्कड़, अमर सिंह, चरण सिंह, दलजीत सिंह, प्रेम कुमार, हैप्पी, नरेश व अन्यों ने कहा कि कृष्ण गुंबर की नियुक्ति से संगठन और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि श्रीगुंबर कीनियुक्ति से कार्यकर्ताओं में नया उत्साह व जोश का संचार हुआ है। इस अवसर पर कृष्ण गुंबर ने पार्टी हाईकमान का आभार जताते हुएकहा कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें जो जिम्मेवारीसौंपी है, उसे वे बखूबी निर्वहन करेंगे तथा पार्टी की नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करेंगे।