Tuesday, 31 July 2012
Sunday, 29 July 2012
पूज्यपाद दंडी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती ने किया श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी के उपलक्ष्य में पौधारोपण
पूज्यपाद दंडी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती ने सनातन धर्म सभा में श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी के उपलक्ष्य में पौधारोपण किया। इस मौके पर डा. सरस्वती ने कहा कि अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए मनुष्य को दिन में एक मिनट भी आत्मीयता से सिमरन करे तो चौबीस घंटे के बाकी समय के अनजाने में हुई गलती माफ हो सकती है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए सामाजिक और धाॢमक अनुष्ठान जरूरी है। पर्यावरण की स्वच्छता के लिए श्रावण माह में पौधारोपण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर सनातन धर्मसभा के सदस्यों ने स्वामी जी को पौधारोपण कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया। स्वामी जी के सभा प्रांगण में पहुंचने पर सभा के कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया सहित सभी सदस्यों ने स्वामी जी का माल्यार्पण व मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत किया। इस कार्यक्रम में स्वामी जी द्वारा पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर जयगोबिंद गर्ग, अशोक बांसल, केके शर्मा, प्रमोन मोहन गौतम, राम अवतार हिसारिया, महेश बांसल, बजरंग पारीक, वैद्य महावीर प्रसाद आदि ने भी पौधारोपण किया। इस मौके पर मुख्य पुजारी हंसराज, सुरेंद्र, दिनेश कुमार, पवन शर्मा, शिव कुमार, प्रवीण सर्राफ केके कटारिया आदि उपस्थित थे।
Monday, 9 April 2012
Sunday, 8 April 2012
उच्च न्यायालय में जाएंगे सेक्टर-19 के प्लाट धारक
सिरसा। हुडा द्वारा विकसित किए जा रहे सेक्टर-19 के प्लाट धारकों ने इस बात को लेकर भारी रोष है कि हुडा के अधिकारियों द्वारा अद्र्धविकसित सेक्टर-19 के प्लाट धारकों पर पिछले दो वर्षों से जबरन ब्याज थोप दिया है। हुडा के अधिकारियों के इस कुकृत्य के विरुद्ध हुडा वेल्फेयर एसोसिएशन सेक्टर-19 ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है। आज सेक्टर-20 में स्थित डे-केयर सेंटर में एसोसिएशन की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह बैठक एसोसिएशन के प्रधान वी.के. गर्ग की अध्यक्षता में हुई। बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में एसोसिएशन के सचिव अशोक बंसल ने बताया कि हुडा ने लगभग दो वर्ष पूर्व प्लाट धारकों को पत्र भेजकर प्लाटों का कब्जा अपने आप देने का निर्णय लिया जबकि उस समय सेक्टर - 19 में बुनियादी सुविधाओं के नाम पर एक भी सुविधा नहीं थी। उन्होंने बताया कि हुडा के नियमों के अनुसार प्लाट धारकों को कब्जा देने के बाद बकाया राशि पर ब्याज लगना आरंभ हो जाता है। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार जब तक सेक्टर में सड़कें, बिजली, स्ट्रीट लाइट, शिविर, पेयजल सप्लाई व अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जाती तब तक प्लाट धारकों को कब्जा नहीं दिया जाता। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के अतंर्गत अनेक प्लाट धारकों व एसोसिएशन द्वारा मांगी गई जानकारी में हुडा ने यह माना है कि आज तक सेक्टर-20 व सेक्टर-19 के लिए डिस्पोजल व नहरी पेयजल का प्रबंध नहीं किया गया। यही नहीं अनेक सड़कों को जोडऩे का काम आज भी चल रहा है। पूरे सेक्टर में स्ट्रीट लाईट नहीं है। उन्होंने बताया कि इन सभी मुद्दों को लेकर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जाएगी ताकि प्लाट धारकों को राहत मिल सके।
Wednesday, 4 April 2012
Sunday, 1 April 2012
Thursday, 29 March 2012
विचार योग' से पाएं सेहत, खुशी और सफलता
अजीब है कि कोई दवा नहीं, एक्सरसाइज नहीं और कोई भी इलाज नहीं फिर भी लोग सोचकर कैसे ठीक हो सकते हैं? दुनिया में ऐसे बहुत से चमत्कार हुए हैं, लेकिन इसके पीछे के रहस्य को कोई नहीं जानता।
आज आप जो भी हैं वह आपके पिछले विचारों का परिणाम है-भगवान बुद्ध। सोचे अपनी सोच पर कि वह कितनी नकारात्म और कितनी सकारात्मक है, वह कितनी सही और कितनी गलत है। आप कितना अपने और दूसरों के बारे में अच्छा और बुरा सोचते रहते हैं। योग आपकी सोच को स्वस्थ बनाता है। सोच के स्वस्थ बनने से चित्त निर्मल होने लगता है। चित्त के निर्मल रहने से सेहत, खुशी और सफलता मिलती है तो विचार करें अच्छे विचार पर।
कैसे होगा यह संभव : योगश्चित्त्वृतिनिरोध:- योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है। योग के आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार आदि सभी उपक्रम आपके चित्त को शुद्ध और बुद्ध बनाने के ही उपक्रम हैं। चित्त से ही व्यक्ति का शरीर, मन, मस्तिष्क और जीवन संचालित होता है। चित्त यदि रोग ग्रस्त है तो इसका असर सभी पर पड़ता है। रोग की उत्पत्ति बाहर की अपेक्षा भीतर से कहीं ज्यादा होती है तो समझे कि जैसे भीतर वैसा बाहर।
वैज्ञानिक कहते हैं मानव मस्तिष्क में 24 घंटे में लगभग हजारों विचार आते हैं। उनमें से ज्यादातर नकारात्मक होते हैं। नकारात्मक विचार इसलिए अधिक होते हैं कि जब हम कोई नकारात्मक घटना देखते हैं जिसमें भय, राग, द्वैष, सेक्स आदि हो तो वह घटना या विचार हमारे चित्त की इनर मेमोरी में सीधा चला जाता है जबकि कोई अच्छी बातें हमारे चित्त की आउटर मेमोरी में ही घुम फिरकर दम तोड़ देती है।
दो तरह की मेमोरी होती है-इनर और आउटर। इनर मेमोरी में वह डाटा सेव हो जाता है, जिसका आपके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़श है और फिर फिर वह डाटा कभी नहीं मिटता। रात को सोते समय इनर मेमोरी सक्रिय रहती है और सुबह-सुबह उठते वक्त भी इनर मेमोरी जागी हुई होती है। अपनी इनर मेमोरी अर्थात चित्त से व्यर्थ और नकारात्मक डाटा को हटाओ और सेहत, सफलता, खुशी और शांति की ओर एक-एक कदम बढ़ाओ।
कैसे बन जाता है व्यक्ति दुखी और रोगी : जो भी विचार निरंतर आ रहा है वह धारणा का रूप धर लेता है। अर्थात वह हमारी इनर मेमोरी में चला जाता है। आपके आसपास बुरे घटनाक्रम घटे हैं और आप उसको बार-बार याद करते हैं तो वह याद धारणा बनकर चित्त में स्थाई रूप ले लेगी। बुरे विचार या घटनाक्रम को बार-बार याद न करें।
विचार ही वस्तु बन जाते हैं। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि हम जैसा सोचते हैं वैसे ही भविष्य का निर्माण करते हैं। यदि आपको अपनी सेहत को लेकर भय है, सफलता को लेकर संदेह है और आप विश्वास खो चुके हैं तो समझ जाएं की चित्त रोगी हो गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में बुरे घटनाक्रम बार-बार सामने आ जाते हैं तो इसका सीधा सा कारण है वह अपने अतीत के बारे में हद से ज्यादा विचार कर रहा है। बहुत से लोग डरे रहते हैं इस बात से कि कहीं मुझे भी वह रोग न हो जाए या कहीं मेरे साथ भी ऐसा न हो जाए....आदि। सोचे सिर्फ वर्तमान को सुधारने के बारे में।
कैसे होगा यह संभव : योग के तीन अंग ईश्वर प्राणिधान, स्वाध्याय और धारणा से होगा यह संभव। जैसा कि हमने उपर लिखा की इनर और आउटर मेमोरी होती है। इनर मेमोरी रात को सोते वक्त और सुबह उठते वक्त सक्रिय रही है उस वक्त वह दिनभर के घटनाक्रम, विचार आदि से महत्वपूर्ण डाडा को सेव करती है। इसीलिए सभी धर्म ने उस वक्त को ईश्वर प्रार्थना के लिऋ नियुक्त किया है ताकि तुम वह सोचकर सो जाए और वही सोचकर उठो जो शुभ है। इसीलिए योग में 'ईश्वर प्राणिधान' का महत्व है।
संधिकाल अर्थात जब सूर्य उदय होने वाला होता है और जब सूर्य अस्त हो जाता है तो उक्त दो वक्त को संधिकाल कहते हैं- ऐसी दिन और रात में मिलाकर कुल आठ संधिकाल होते हैं। उस वक्त हिंदू धर्म और योग में प्रार्थना या संध्यावंन का महत्व बताया गया है। फिर भी प्रात: और शाम की संधि सभी के लिए महत्वपूर्ण है जबकि हमारी इनर मेमोरी सक्रिय रहती है। ऐसे वक्त जबकि पक्षी अपने घर को लौट रहे होते हैं...संध्यावंदन करते हुए अच्छे विचारों पर सोचना चाहिए। जैसे की मैं सेहतमंद बना रहना चाहता हूं।
एक ही ईश्वर के प्रति अडिग रहने वाले के मन में दृढ़ता आती है। यह दृढ़ता ही उसकी जीत का कारण है। चाहे सुख हो या घोर दुःख, उसके प्रति अपनी आस्था को डिगाएँ नहीं। इससे आपके भीतर पाँचों इंद्रियों में एकजुटता आएगी और लक्ष्य को भेदने की ताकत बढ़ेगी। वे लोग जो अपनी आस्था बदलते रहते हैं, भीतर से कमजोर होते जाते हैं।
विश्वास रखें सिर्फ 'ईश्वर' में, इससे बिखरी हुई सोच को एक नई दिशा मिलेगी। और जब आपकी सोच सिर्फ एक ही दिशा में बहने लगेगी तो वह धारणा का रूप धर लेगी और फिर आप सोचे अपने बारे में सिर्फ अच्छा और सिर्फ अच्छा। ईश्वर आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करेगा।
स्वाध्याय : स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। अच्छे विचारों का अध्ययन करना और इस अध्ययन का अभ्यास करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, वह सब कुछ जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो साथ ही आपको इससे खुशी भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएँ।
जीवन को नई दिशा देने की शुरुआत आप छोटे-छोटे संकल्प से कर सकते हैं। संकल्प लें कि आज से मैं बदल दूँगा वह सब कुछ जिसे बदलने के लिए मैं न जाने कब से सोच रहा हूँ। अच्छा सोचना और महसूस करना स्वाध्याय की पहली शर्त है।
धारणा से पाएं मनचाही सेहत, खुशी और सफलता : जो विचार धीरे-धीरे जाने-अनजाने दृढ़ होने लगते हैं वह धारणा का रूप धर लेते हैं। यह भी कि श्वास-प्रश्वास के मंद व शांत होने पर, इंद्रियों के विषयों से हटने पर, मन अपने आप स्थिर होकर शरीर के अंतर्गत किसी स्थान विशेष में स्थिर हो जाता है तो ऊर्जा का बहाव भी एक ही दिशा में होता है। ऐसे चित्त की शक्ति बढ़ जाती है, फिर वह जो भी सोचता है वह घटित होने लगता है। जो लोग दृढ़ निश्चयी होते हैं, अनजाने में ही उनकी भी धारणा पुष्ट होने लगती
राम जन्मोत्सव : अनूठा दिव्य संयोग रामनवमी : 10 वर्ष बाद बना दसवां दिव्य संयोग
एक अप्रैल को रवि पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में दशरथ नंदन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनेगा। इस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, वार रविवार, पुष्य नक्षत्र, सुकर्मा योग तथा कौलव करण के साथ सर्वार्थ सिद्घि योग का दिव्य संयोग भी है।
भारतीय मानक समय व स्थानीय रेखांश के आधार पर नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो गत 68 सालों में ऐसा शुभ संयोग केवल 9 बार ही बना है। यह 10वीं बार होगा, जब पंचाग के 5 अंगों की शुभ घड़ी में रामलला जन्मोत्सव मनेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इसी प्रकार की शुभ घड़ी में ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म हुआ था।
कब-कब बना संयोग
सन् 1944, 54, 68, 71, 78, 81, 85, 95, 98 तथा 2002 के बाद इस वर्ष 2012 को ऐसा दिव्य संयोग बना है। अगले सात वर्षों के बाद सन् 2019 में ऐसा ही शुभ संयोग बनेगा।
अफगानिस्तान: जहां लड़कों के भेष में रहती हैं लड़कियां
जिन परिवारों में बेटी पैदा होती है वहां बेटियों के जन्म के बाद आमतौर पर होने वाले कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं जिनकी वजह आर्थिक और सामाजिक मसले होते हैं और ऐसा दुनिया के कई देशों में होता है। अफगानिस्तान में भी इन्हीं सामाजिक-आर्थिक वजहों से लंबे समय से लड़कियों को लड़कों की तरह पालने पोसने की प्रथा चली आ रही है।
इस परंपरा के तहत लड़कियों का पूरा हुलिया ही लड़कों की तरह बदल दिया जाता है इस चलन को कहा जाता है 'बाचा-पोश'।
अजीता रफहात अफगानिस्तान के संसद की पूर्व सदस्य रह चुकी हैं। रोज सुबह जब वह अपनी चार बेटियों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं तो तीन को लड़कियों के कपड़े लेकिन चौथी को लड़कों के कपड़े पहनाती हैं। अजीता रफहात की सबसे छोटी बेटी मेहरानूश जब घर से बाहर निकलती है तो वह मेहरान नाम के लड़के में तब्दील हो जाती है।
अजीता की यह कोशिश बेटा ना होने के कारण समाज में मिलने वाले तानों से बचने के लिए है और इसके लिए उसे ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है, सिर्फ मेहरान के बालों को छोटा रखने और उसे लड़कों के कपड़े पहनाने से सबकुछ काफी आसान हो गया है।
अफगानिस्तान में तो इस परंपरा को बाकायदा एक नाम भी दिया गया है, 'बाचा-पोश' यानि लड़कियों का भेष बदलकर उन्हें लड़का बनाने की परंपरा।
रफहात दंपत्ति कहते हैं, "अफगानिस्तान में अगर आप अच्छी हैसियत रखते हैं तो लोगों का नज़रिया आपके प्रति बदला रहता है। यहां के लोगों का मानना है कि जब तक आपका कोई बेटा नहीं हो तब तक आपकी जिंदगी अधूरी है। यहां हमेशा से बेटों को बेटियों के बनिस्पत ज़्यादा तरज़ीह दी जाती है। इसके पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारणों के अलावा, बेटा होना शान से जोड़कर देखा जाता है।
अजीता के पति ईज़ातुल्लाह रफहात के अनुसार, ''जो कोई भी हमारे घर आता था वह हमारा कोई बेटा न होने पर सहानुभूति जताता था, तब हमें लगा कि हमें अपनी सबसे छोटी बेटी को बेटे की तरह पालना चाहिए और वह भी ऐसा ही चाहती थी।'' अज़ीता ऐसा करने वाली इकलौती महिला नहीं है.
लड़कियों जैसी नहीं- अफगानिस्तान के बाजा़रों में आपको ऐसी कई लड़कियां नज़र आ जाएंगी जो लड़कों के भेष में काम करती हैं। कई परिवार अपनी लड़कियों को लड़के का रूप इसलिए भी धारण करवाते हैं ताकि वह अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए बाहर जाकर काम कर सके।
पांच से बारह साल की उम्र की ये बच्चियां अक्सर सड़कों पर लड़कों के भेष में च्वींगगम या पानी की बोतलें बेचते हुए नज़र आ सकती हैं।
लेकिन जिन लड़कियां को लड़कों की तरह पाला-पोसा जाता है वो हमेशा ऐसे नहीं रहतीं। 17-18 साल की उम्र में उन्हें एक बार फिर से वापिस अपने सामान्य रूप और जीवन में लौटना पड़ता है जो कई बार आसान नहीं होता।
उत्तरी अफगानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ में रहने वाली ईलाहा 20 साल तक लड़के के रूप में रही क्योंकि उसके परिवार में कोई लड़का नहीं था और दो साल पहले ही अपने असल रंग-रूप में वापस आई है जब वह पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय जा रही थी।
लेकिन ईलाहा कहती है कि वह एक सामान्य लड़की की तरह महसूस नहीं करती और उसकी आदतें भी लड़कियों जैसी नहीं हैं। ईलाहा कहती है कि वह शादी भी नहीं करना चाहती।
ईलाहा के मुताबिक,'' जब मैं बच्ची थी तब मेरे माता-पिता मुझे लड़के के भेष में रखने लगे। कुछ समय पहले तक मैं भी अन्य लड़कों के साथ बाहर खेल सकती थी और मुझे ज़्यादा आज़ादी मिली हुई थी।''
ईलाहा कहती है वह अपना मन मारकर वापस लड़की के रूप में आई है और उसने ऐसा सिर्फ सामाजिक मान्यताओं के कारण किया है। ईलाहा के अनुसार, ''अगर मेरे मां-बाप ज़बरदस्ती मेरी शादी करवाते हैं तो मैं सभी अफगानिस्तानी महिलाओं के दुखों का बदला लूंगी। मैं अपने पति को इतना पीटूंगी कि वह रोज़ मुझे अदालत लेकर जाए।''
एक जैसी कहानी- अफगानिस्तान में बहुत सारी लड़कियां लड़कों की तरह रहती हैं ताकि वे घर से बाहर जाकर काम कर सकें। अफगानिस्तान के मशहूर ब्लू मस्जिद के प्रमुख अतीकुल्लाह अंसारी कहते हैं, "यह परंपरा ईश्वर से याचना करने जैसी है। जिन परिवारों में बेटा नहीं होता वे लड़कियों को लड़कों की तरह रखते हैं ताकि उनकी किस्मत खुल जाए और ईश्वर उन्हें एक बेटा दे दे।"
वे आगे कहते हैं, ''जिन माओं के बेटे नहीं है वे हज़रत-ए-अली की दरगाह़ आकर बेटे के लिए मन्नत मांगती हैं।'' अंसारी का कहना है कि इस्लाम के अनुसार जो लड़कियां बचपन में लड़कों की तरह रहीं है, उन्हें भी युवावस्था में अपना सिर ढक कर रखना चाहिए।
अफगानिस्तान के समाज में यह परंपरा काफी आम है, यहां लगभग हर परिवार या मोहल्ले में ऐसे उदाहरण मिलने आम बात है।
अफगानिस्तान के उत्तरी प्रांत बाल्ख में स्त्री अधिकारों से जुड़े विभाग की प्रमुख फरीबा माजिद भी बचपन में वाहिद के नाम से लड़के के रूप में रहती थीं। फरीबा कहती हैं, ''मैं अपने परिवार की तीसरी बेटी थी और मेरे जन्म के साथ ही मेरे माता-पिता ने ये तय कर लिया था कि वे मुझे लड़के की तरह रखेंगे।''
''मैं अपने पिता के साथ उनकी दुकान पर काम करती थी और उनके साथ सामान खरीदने काबुल भी जाती थी।'' फरीदा को लगता है कि यहां मिले अनुभवों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिली है।
यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि मेहरान की मां अज़ीता रफहात भी अपने बचपन में लड़के के भेष में रह चुकी हैं। अज़ीता कहती हैं, ''यह राज कोई नहीं जानता कि मैं भी बचपन में लड़के के रूप में रह चुकी हूं और अपने पिता के काम में उनकी मदद करती थी। इस तरह से मुझे एक लड़की और लड़का दोनों की दुनिया देखने का मौका मिला और इससे मैं जीवन में और ज्यादा महत्वकांक्षी बनी।''
अधिकारों का उल्लंघन- यह परंपरा अफगानिस्तान में सदियों से चली आ रही है। काबुल में रह रहे समाजशास्त्री दाउद राविश के अनुसार, ''इसकी शुरुआत तब हुई हो सकती है जब अफगानिस्तान पर आक्रमणकारियों ने हमला किया हो और औरतों को खुद को उनसे बचाने के लिए अपना रूप बदलना पड़ा हो।''
लेकिन बाल्ख मानवाधिकार संगठन के प्रमुख काज़ी सय्यद मोहम्मद सामी इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते है। काज़ी कहते हैं, ''हम थोड़े समय के लिए किसी का भी लिंग नहीं बदल सकते, हम किसी लड़की को थोड़े समय के लिए लड़का नहीं बना सकते हैं, यह मानवता के खिलाफ है।''
इस परंपरा ने बहुत सी लड़कियों से उनका मौलिक अधिकार छीन लिया है। कुछ लड़कियों को ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने बचपन के सुनहरे दिन खो दिए हैं तो कुछ को लगता है कि उनसे उनकी पहचान ही छीन ली गई है।
लेकिन कुछ लड़कियों को लगता है कि इस परंपरा ने उन्हें आज़ादी के वे अनुभव दिए हैं जो उनके देश में एक लड़की को कभी नहीं मिल पाता। लेकिन कुछ लोगों के लिए अब भी यह सवाल सबसे बड़ा है कि, ''आखिर अफगानिस्तान में ऐसा कब होगा जब यहां की बेटियों को बेटों के समान आज़ादी और सम्मान भरी ज़िंदगी नसीब होगी?''
BBC
BBCअजीता रफहात अफगानिस्तान के संसद की पूर्व सदस्य रह चुकी हैं। रोज सुबह जब वह अपनी चार बेटियों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं तो तीन को लड़कियों के कपड़े लेकिन चौथी को लड़कों के कपड़े पहनाती हैं। अजीता रफहात की सबसे छोटी बेटी मेहरानूश जब घर से बाहर निकलती है तो वह मेहरान नाम के लड़के में तब्दील हो जाती है।
अजीता की यह कोशिश बेटा ना होने के कारण समाज में मिलने वाले तानों से बचने के लिए है और इसके लिए उसे ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है, सिर्फ मेहरान के बालों को छोटा रखने और उसे लड़कों के कपड़े पहनाने से सबकुछ काफी आसान हो गया है।
अफगानिस्तान में तो इस परंपरा को बाकायदा एक नाम भी दिया गया है, 'बाचा-पोश' यानि लड़कियों का भेष बदलकर उन्हें लड़का बनाने की परंपरा।
रफहात दंपत्ति कहते हैं, "अफगानिस्तान में अगर आप अच्छी हैसियत रखते हैं तो लोगों का नज़रिया आपके प्रति बदला रहता है। यहां के लोगों का मानना है कि जब तक आपका कोई बेटा नहीं हो तब तक आपकी जिंदगी अधूरी है। यहां हमेशा से बेटों को बेटियों के बनिस्पत ज़्यादा तरज़ीह दी जाती है। इसके पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारणों के अलावा, बेटा होना शान से जोड़कर देखा जाता है।
अजीता के पति ईज़ातुल्लाह रफहात के अनुसार, ''जो कोई भी हमारे घर आता था वह हमारा कोई बेटा न होने पर सहानुभूति जताता था, तब हमें लगा कि हमें अपनी सबसे छोटी बेटी को बेटे की तरह पालना चाहिए और वह भी ऐसा ही चाहती थी।'' अज़ीता ऐसा करने वाली इकलौती महिला नहीं है.
लड़कियों जैसी नहीं- अफगानिस्तान के बाजा़रों में आपको ऐसी कई लड़कियां नज़र आ जाएंगी जो लड़कों के भेष में काम करती हैं। कई परिवार अपनी लड़कियों को लड़के का रूप इसलिए भी धारण करवाते हैं ताकि वह अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए बाहर जाकर काम कर सके।
पांच से बारह साल की उम्र की ये बच्चियां अक्सर सड़कों पर लड़कों के भेष में च्वींगगम या पानी की बोतलें बेचते हुए नज़र आ सकती हैं।
लेकिन जिन लड़कियां को लड़कों की तरह पाला-पोसा जाता है वो हमेशा ऐसे नहीं रहतीं। 17-18 साल की उम्र में उन्हें एक बार फिर से वापिस अपने सामान्य रूप और जीवन में लौटना पड़ता है जो कई बार आसान नहीं होता।
उत्तरी अफगानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ में रहने वाली ईलाहा 20 साल तक लड़के के रूप में रही क्योंकि उसके परिवार में कोई लड़का नहीं था और दो साल पहले ही अपने असल रंग-रूप में वापस आई है जब वह पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय जा रही थी।
लेकिन ईलाहा कहती है कि वह एक सामान्य लड़की की तरह महसूस नहीं करती और उसकी आदतें भी लड़कियों जैसी नहीं हैं। ईलाहा कहती है कि वह शादी भी नहीं करना चाहती।
ईलाहा के मुताबिक,'' जब मैं बच्ची थी तब मेरे माता-पिता मुझे लड़के के भेष में रखने लगे। कुछ समय पहले तक मैं भी अन्य लड़कों के साथ बाहर खेल सकती थी और मुझे ज़्यादा आज़ादी मिली हुई थी।''
ईलाहा कहती है वह अपना मन मारकर वापस लड़की के रूप में आई है और उसने ऐसा सिर्फ सामाजिक मान्यताओं के कारण किया है। ईलाहा के अनुसार, ''अगर मेरे मां-बाप ज़बरदस्ती मेरी शादी करवाते हैं तो मैं सभी अफगानिस्तानी महिलाओं के दुखों का बदला लूंगी। मैं अपने पति को इतना पीटूंगी कि वह रोज़ मुझे अदालत लेकर जाए।''
एक जैसी कहानी- अफगानिस्तान में बहुत सारी लड़कियां लड़कों की तरह रहती हैं ताकि वे घर से बाहर जाकर काम कर सकें। अफगानिस्तान के मशहूर ब्लू मस्जिद के प्रमुख अतीकुल्लाह अंसारी कहते हैं, "यह परंपरा ईश्वर से याचना करने जैसी है। जिन परिवारों में बेटा नहीं होता वे लड़कियों को लड़कों की तरह रखते हैं ताकि उनकी किस्मत खुल जाए और ईश्वर उन्हें एक बेटा दे दे।"
वे आगे कहते हैं, ''जिन माओं के बेटे नहीं है वे हज़रत-ए-अली की दरगाह़ आकर बेटे के लिए मन्नत मांगती हैं।'' अंसारी का कहना है कि इस्लाम के अनुसार जो लड़कियां बचपन में लड़कों की तरह रहीं है, उन्हें भी युवावस्था में अपना सिर ढक कर रखना चाहिए।
अफगानिस्तान के समाज में यह परंपरा काफी आम है, यहां लगभग हर परिवार या मोहल्ले में ऐसे उदाहरण मिलने आम बात है।
अफगानिस्तान के उत्तरी प्रांत बाल्ख में स्त्री अधिकारों से जुड़े विभाग की प्रमुख फरीबा माजिद भी बचपन में वाहिद के नाम से लड़के के रूप में रहती थीं। फरीबा कहती हैं, ''मैं अपने परिवार की तीसरी बेटी थी और मेरे जन्म के साथ ही मेरे माता-पिता ने ये तय कर लिया था कि वे मुझे लड़के की तरह रखेंगे।''
''मैं अपने पिता के साथ उनकी दुकान पर काम करती थी और उनके साथ सामान खरीदने काबुल भी जाती थी।'' फरीदा को लगता है कि यहां मिले अनुभवों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिली है।
यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि मेहरान की मां अज़ीता रफहात भी अपने बचपन में लड़के के भेष में रह चुकी हैं। अज़ीता कहती हैं, ''यह राज कोई नहीं जानता कि मैं भी बचपन में लड़के के रूप में रह चुकी हूं और अपने पिता के काम में उनकी मदद करती थी। इस तरह से मुझे एक लड़की और लड़का दोनों की दुनिया देखने का मौका मिला और इससे मैं जीवन में और ज्यादा महत्वकांक्षी बनी।''
अधिकारों का उल्लंघन- यह परंपरा अफगानिस्तान में सदियों से चली आ रही है। काबुल में रह रहे समाजशास्त्री दाउद राविश के अनुसार, ''इसकी शुरुआत तब हुई हो सकती है जब अफगानिस्तान पर आक्रमणकारियों ने हमला किया हो और औरतों को खुद को उनसे बचाने के लिए अपना रूप बदलना पड़ा हो।''
लेकिन बाल्ख मानवाधिकार संगठन के प्रमुख काज़ी सय्यद मोहम्मद सामी इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते है। काज़ी कहते हैं, ''हम थोड़े समय के लिए किसी का भी लिंग नहीं बदल सकते, हम किसी लड़की को थोड़े समय के लिए लड़का नहीं बना सकते हैं, यह मानवता के खिलाफ है।''
इस परंपरा ने बहुत सी लड़कियों से उनका मौलिक अधिकार छीन लिया है। कुछ लड़कियों को ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने बचपन के सुनहरे दिन खो दिए हैं तो कुछ को लगता है कि उनसे उनकी पहचान ही छीन ली गई है।
लेकिन कुछ लड़कियों को लगता है कि इस परंपरा ने उन्हें आज़ादी के वे अनुभव दिए हैं जो उनके देश में एक लड़की को कभी नहीं मिल पाता। लेकिन कुछ लोगों के लिए अब भी यह सवाल सबसे बड़ा है कि, ''आखिर अफगानिस्तान में ऐसा कब होगा जब यहां की बेटियों को बेटों के समान आज़ादी और सम्मान भरी ज़िंदगी नसीब होगी?''
ओबामा के स्वर्ण मंदिर में न आने का कारण पंजाब कांग्रेस
रेखा/गोविन्द सलोता
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपनी अमृतसर यात्रा पंजाब कांग्रेस और अकालियों की आपसी खींचा तानियों के कारण रद्द करनी पड़ी है. दोनों ही पार्टियाँ ओबामा की स्वर्ण मंदिर की यात्रा का लाभ एक दुसरे को नहीं लेने-देना चाहती. सिर ढकने की अनिच्छा की अटकलों के उलट ओबामा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खुश करने के लिए स्वर्ण मंदिर जाने को लेकर बेहद उत्सुक थे. सप्रंग नेतृत्व से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पंजाब कांग्रेस ने ओबामा की यात्रा टलवाने के लिए सारे तीर छोड़ दिए. इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध नहीं, बल्कि स्वर्ण मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में अकाल तख़्त के लोगों के अलावा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह के छाए रहने का डर है.
पंजाब कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उन्हें भी प्रोटोकोल का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि स्वर्ण मंदिर प्रांगन में ओबामा के साथ-साथ उनकी उपस्थिति भी प्रमुखता से देश-विदेश में दिखाई दे. उनका यह भी कहना है कि अगर ऐसा नहीं होगा तो ओबामा के इस दौरे का सियासी फायदा अकालियों को भी मिलेगा. इस बार व्हाइट हाउस ने खुद अमृतसर यात्रा की इच्छा जताई थी इसलिए पंजाब तर्कों से परेशान पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने बीच का रास्ता निकालने के लिए विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर को कांग्रेस के चेहरे के रूप में ओबामा के साथ दिखने का प्रस्ताव दिया.
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपनी अमृतसर यात्रा पंजाब कांग्रेस और अकालियों की आपसी खींचा तानियों के कारण रद्द करनी पड़ी है. दोनों ही पार्टियाँ ओबामा की स्वर्ण मंदिर की यात्रा का लाभ एक दुसरे को नहीं लेने-देना चाहती. सिर ढकने की अनिच्छा की अटकलों के उलट ओबामा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खुश करने के लिए स्वर्ण मंदिर जाने को लेकर बेहद उत्सुक थे. सप्रंग नेतृत्व से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पंजाब कांग्रेस ने ओबामा की यात्रा टलवाने के लिए सारे तीर छोड़ दिए. इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध नहीं, बल्कि स्वर्ण मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में अकाल तख़्त के लोगों के अलावा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह के छाए रहने का डर है.
पंजाब कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उन्हें भी प्रोटोकोल का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि स्वर्ण मंदिर प्रांगन में ओबामा के साथ-साथ उनकी उपस्थिति भी प्रमुखता से देश-विदेश में दिखाई दे. उनका यह भी कहना है कि अगर ऐसा नहीं होगा तो ओबामा के इस दौरे का सियासी फायदा अकालियों को भी मिलेगा. इस बार व्हाइट हाउस ने खुद अमृतसर यात्रा की इच्छा जताई थी इसलिए पंजाब तर्कों से परेशान पीएमओ और विदेश मंत्रालय ने बीच का रास्ता निकालने के लिए विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर को कांग्रेस के चेहरे के रूप में ओबामा के साथ दिखने का प्रस्ताव दिया.
Wednesday, 28 March 2012
Friday, 10 February 2012
हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा
जिला में हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा द्वारा अपै्रल माह से दिसंबर माह 2011 तक विभिन्न विकास कार्य करवाए गए जैसे नई ग्रामीण संपर्क सड़कों का निर्माण व विशेष मरम्मत का कार्य, मंडियों के विकास कार्य एवं मरम्मत, खेल परिसरों का निर्माण मांगेआना में फल नर्सरी भवन का निर्माण आदि विभिन्न विकास कार्यों पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च की गई है।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डा. जे. गणेसन ने बताया कि नई ग्रामीण सड़कों व संपर्क सड़कों को पक्का करने पर 125.95 लाख रुपए खर्च किए गए। उन्होंने बताया कि जिला में 123.77 किलोमीटर सड़कों की विशेष मरम्मत के कार्य पर 1344.22 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। मंडियों के विकास कार्यों पर 44.45 लाख रुपए तथा मंडियों के मरम्मत कार्य पर 9.95 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उपायुक्त ने बताया कि वर्ष 2011 में एक खेल परिसर का निर्माण करवाया गया जिस पर 5.93 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। उन्होंने बताया कि मांगेआना में फल नर्सरी में भवन निर्माण कार्यों पर 62.10 लाख रुपए की राशि खर्च की गई।
डा. जे. गणेसन ने आगे बताया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल सिरसा द्वारा इससे पूर्व मार्च 2005 से 31 मार्च 2011 तक वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में विभिन्न विकास कार्यों पर अरबों रुपए की धनराशि खर्च की गई। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 210.69 किलोमीटर लंबाई की सड़कों को पक्का करने पर 18.10 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके साथ-साथ विभाग द्वारा सड़कों की विशेष मरम्मत के कार्य पर जिला में 616.20 किलोमीटर सड़कों की विशेष मरम्मत करवाई गई जिस पर 43.27 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई।
उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल द्वारा जिले की विभिन्न मंडियों में विकास कार्यों पर 20.67 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है। इसके अलावा मंडियों की मरम्मत कार्य पर 5.14 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 8 खेल परिसरों के निर्माण कार्य पूरा करवाया गया है जिस पर 4.69 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मांगेआना में फल नर्सरी भवन योजना के तहत में भवन निर्माण कार्य करवाने पर 71.92 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यह कार्य इंडो इजराइल स्कीम के तहत करवाए गए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत निम्रलिखित कार्य करवाए जा रहे हैं जिसमें ग्रामीण सड़कों का निर्माण करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 18 सड़कों का निर्माण किया गया जिस पर 586.06 लाख रुपए खर्च किए गए। प्रसूति गृहों निर्माण योजना के तहत 46 गावों में 2.50 लाख रुपए प्रति प्रसूति गृह की लागत से निर्माण करवाया गया है इन पर 89.72 रुपए की धनराशि खर्च की गई है।
उपायुक्त ने बताया कि लघुसचिवालय सिरसा में प्रशिक्षण व उत्पादन सेंटर के निर्माण पर 111.12 लाख रुपए की राशि खर्च करके भवन का निर्माण किया गया है। वैटरनिरी पॉली क्लीनिक योजना के तहत सिरसा में पशुधन केंद्र का निर्माण कार्य प्रगति पर चल रहा है। इस कार्य पर अब तक 185.27 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक भवन निर्माण स्कीम के तहत 7 स्कूलों में में इन भवनों का निर्माण किया गया है जिस पर 48.58 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उन्होंने बताया कि सूचना केंद्रों का निर्माण योजना के तहत डबवाली, ऐलनाबाद व नाथूसरी चौपटा में सूचना केंद्रों का निर्माण करवाया गया है जिस पर अब तक 95.38 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हें।
हरियाणा राज्य कृषि विपनण मंडल सिरसा के कार्यकारी अभियंता रमेश गर्ग ने बताया कि आवासीय अंध विद्यालय के निर्माण विभाग द्वारा करवाया है जिस पर 54.73 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। इसके अलावा बीआरजीएफ स्कीम के तहत कई कार्य करवाए गए हैं जिनमें अम्बेडकर चौक से महाराजा अग्रसेन स्कूल वाया परशुराम चौक तक सीमेंट व कंकरीट सड़क का निर्माण करवाया गया है जिस पर 108.74 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत माधोसिंघाना व नाथूसरी चौपटा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार कार्य करवाया गया है जिस पर 40.41 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। डबवाली में ओपर एयर थियेटर का कार्य करवाया गया है जिस पर 23.30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। डबवाली में ही 16.20 लाख रुपए खर्च करके पशुधन अस्पताल का निर्माण किया गया है।
उन्होंने बताया कि एचआरडीएफ स्कीम के तहत शिव मंदिर डिंग रोड से ढाणी राजेंद्र सिंह सड़क का निर्माण 17.98 लाख रुपए खर्च करके किया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बेगू रोड सिरसा पर लड़कियों के लिए राजकीय उच्चतम विद्वालय का कार्य नगर सुधार मंडल की राशि से करवाया गया है जिस पर 388.51 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई है।
इनेलो नेता कृष्ण गुंबर को पार्टी हाईकमान द्वारा जिला महासचिव नियुक्त किए जाने पर लड्डू बांट
इनेलो नेता कृष्ण गुंबर को पार्टी हाईकमान द्वारा जिला महासचिव नियुक्त किए जाने पर आज वार्ड 6 के निवासियों ने लड्डू बांटकर खुशी जाहिर की। इस अवसर पर वार्डवासियों ने इनेलो सुप्रीमो औमप्रकाश चौटाला, डबवाली के विधायक डा.अजय सिंह चौटाला, ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला तथा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा का आभार जताया। इस अवसर पर सतपाल फुटेला, राहुल फुटेला, चंद्रशेखर अरोड़ा, तरसेम कक्कड़, दिनेश मक्कड़, अमर सिंह, चरण सिंह, दलजीत सिंह, प्रेम कुमार, हैप्पी, नरेश व अन्यों ने कहा कि कृष्ण गुंबर की नियुक्ति से संगठन और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि श्रीगुंबर कीनियुक्ति से कार्यकर्ताओं में नया उत्साह व जोश का संचार हुआ है। इस अवसर पर कृष्ण गुंबर ने पार्टी हाईकमान का आभार जताते हुएकहा कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें जो जिम्मेवारीसौंपी है, उसे वे बखूबी निर्वहन करेंगे तथा पार्टी की नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करेंगे।
Thursday, 9 February 2012
भ्रष्टचार को जड़ से खत्म करने के लिए कांग्रेस के सभी नेता अथक प्रयास कर रहे हैं
यूपीए अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी तथा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के ओजस्वी मार्गदर्शन में देश दिन दोगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है। देशवासी हृदय से कांग्रेस पार्टी को चाहते हैं क्योंकि कांग्रेस ही सभी वर्गों का भला कर सकती है यह लोगों ने जान लिया है।
यह बात अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं सांसद डा. अशोक तंवर ने स्थानीय रानियां रोड पर पत्रकारों से रूबरू होते हुए कही। पत्रकारों द्वारा पूछे गए पंजाब, यूपी, मणिपुर, गोवा तथा उत्तरांचल आदि के चुनाव के बारे में तंवर ने कहा कि सभी पांचों राज्यों में भी कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। उक्त राज्यों में कौन-कौन मुख्यमंत्री होगा इस प्रश्र के जवाब में सांसद ने कहा कि विधायक तथा कांग्रेस हाईकमान का फैसला सर्वमान्य होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के उपरांत पांचों राज्यों में कांग्रेस सत्तासीन होने पर विरोधी दलों एवं समाज व देश को नुकसान पहुंचाने वाली विरोधी ताकतों का मुंह बंद होगा। संजय दत्त को समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के सवाल के जवाब में डा. तंवर ने कहा कि संजय दत्त तो पैदायशी ही कांग्रेसी है उनकी घर वापसी हुई। कांग्रेस हाईकमान के सभी नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर उनका सम्मान व स्वागत करती है।
बाबा राम देव व सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन के बारे पूछे गए सवाल के जवाब में डा. तंवर ने कहा कि मैं किसी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करना चाहता। भ्रष्टचार को जड़ से खत्म करने के लिए कांग्रेस के सभी नेता अथक प्रयास कर रहे हैं। इस प्रयास में सभी देशवासियों को आगे आकर कांग्रेस पार्टी का साथ देना चाहिए। राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पूरा देश राहुल को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है। राहुल गांधी के साथ पूरा देश है लेकिन इस बारे तो कांग्रेस हाईकमान ही फैसला करेगी।
सांसद ने कहा कि यूपी में एक नारा दिया गया है उठो जागो और बदलो उत्तर प्रदेश। उन्होंने कहा कि पिछले काफी वर्षों से यूपी में विकास नहीं हुआ है। 22 वर्षों में जितना काम हुआ है उससे कहीं गुना ज्यादा पांच वर्षों में कांग्रेस के सत्ता में आने पर विकास कार्य करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में 220 से भी अधिक सीटें कांग्रेस पार्टी जीतेगी और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाएगी और विकास कार्यों की गंगा बहाएगी। उन्होंने कहा कि यूपी एक बहुत बड़ा प्रदेश है जिसमें बहुत ज्यादा आबादी है। कांग्रेस पार्टी ही सभी राज्यों के लोगों का भविष्य उज्ज्वल चाहती है।
पत्रकारों ने संत शिरोमणि गुरू रविदास की जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेश सरकार द्वारा क्या-क्या किया जा रहा है के सवाल के जवाब में डा. अशोक तंवर ने कहा कि हरियाणा सरकार गुरू रविदास के दूरदर्शिता भरे सम्मान समाज के सपने को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है। इस श्रृंखला में अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग, विमुक्त जाति, टपरीवास जाति के कल्याणार्थ विभिन्न स्कीमें चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी विवाह शगून योजना, मकान अनुदान योजना, अत्याचार से पीडि़त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता, डा. अम्बेडकर मेधावी छात्र योजना, अनुसूचित जाति छात्रा उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना, अंतर्जातीय विवाह योजना, पंचायतों को प्रोत्साहन योजना, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग से संबंधित संस्थाओं, सोसायटीज, को वित्तीय सहायता, कानूनी सहायता, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग की विधवाओं, बेसहारा औरतों, लड़कियों के लिए मॉडर्न फैशन सिलाई प्रशिक्षण, अनुसूृचित जाति के छात्रों को आशुलिपि, टंकण हिंदी, अंग्रेजी का एक वर्षीय कोर्स, उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु नि:शुल्क कोचिंग, अस्वच्छ व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, अपग्रेडेशन ऑफ मैरिट फार एससी, एसटी, शिक्षा संबंधी सुविधाएं, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना, अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को निजी संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षण हेतु वित्तीय सहायता, डा. अम्बेडकर चिकित्सा सहायता योजना आदि स्कीमें चलाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि गुरू रविदास जी उच्चकोटि के पूर्ण संत थे। उनकी दृष्टि में कर्म ही धर्म था। उनका जीवन इस बात का महान उदाहरण है कि हम संसार में रहते हुए और अपने सामाजिक दायित्व निभाते हुए भी प्रभु प्राप्ति का मार्ग पा सकते हैं। उनकी वाणी अत्यंत सरल, सुबोध, उदार विचारों व भक्ति भावना से पूर्ण थी। आडंबरों से दूर उनकी वाणी जनमानस की शंकाओं को सहज ही दूर करती है। उनके भजन श्रद्धा से गाए जाते हैं। उनकी वाणी एवं संदेश आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि ऐसे संत के बताए मार्ग पर चलना प्रत्येक इंसान का कर्तव्य है जिससे समाज व देश का भला होगा।
SUN CITY JODHPUR BRIGHTENS BY DERA FOLLOWERS
On consequent completion of five successful campaigns merely in last less than three and a half months of 2011 calendar year; Dera followers have again embarked on this campaign in 2012. They organized a massive sanitation drive in Jodhpur on February 7, 2012 having the objective to create the diseases-free environment. Myriad of disciples reached there for participating in this drive.
The campaign was launched and flagged off by Saint Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan near High Court at Paunta Chowk. His Excellency Guruji released the balloons depicting the slogans, ’Cleanse the planet earth, remove the disease curse’ in the air. There, HE cleaned the specific area to make earth a better place to stay and motivated others to do the same.
The cleaning drive started around 9 am and continued till noon. Whole area was divided into 4 zones and further into 65 wards to successfully implement the agenda. Government employees, doctors, teachers, engineers and other officials too had volunteered in the expedition. This movement was intended to create awareness about the need to have clean surroundings and also aware people about various diseases like dengue, malaria, etc. which spread due to poor sanitation. Volunteers were provided with several equipments to clean the city. Volunteers armed with brooms and shovels toiled for four to six hours and spruced up the whole city. It is noteworthy that the volunteers had already created history in Delhi with the same drive by cleaning the whole capital within two days. Moreover, cleanliness earth campaigns in Bikaner, Jaipur, Gurgaon and Sirsa have also been successfully held.
A few excerpts by Guruji
While answering the media queries after the holy inauguration of 3rd massive cleanliness earth campaign on ‘the land of kings’ (Raj), Revered Guru Ji told about 70 humanitarian activities presently being conducted by Dera Sacha Sauda which includes rehabilitation of consenting prostitutes; curbing the menace of female feticide; keeping the environment green by planting more and more trees; organizing massive blood camps to save lives and special camps for armed forces, reporters, police staff and many more; sponsoring anti drug campaigns etc. Besides HE added, “Tourists used to say it as dirty city; whereas this is the native land of many Saints and Seers. So we must endeavor to clean it tantamount to our kitchen so that the coming generation could find escape from the chronic diseases spreading due to lack of sanitation.”
After removing the external garbage and filthiness, today on February 8, 2012, His Holiness Guruji conducted a Satsang (Spiritual Discourse) at polo ground in Jodhpur to let the people know how to realize God. While explaining the hymn "Keemati hai ye samaa, ise lagaata kahaan…." His Holiness Guru ji elucidated that God Almighty has blessed the man with autonomy. However, it depends upon the man which kinds of deeds he performs. In this era, man lets himself engaged in nocuous actions while relinquishing the virtuous ones which bring him very close to the cobweb of sorrows. As a result, the happiness flees away. During the Satsang, many devotees asked the questions in written form and Guru ji quenched all of them by answering to their questions.
Most respected Saint Ji conferred the glorious Guru-mantra to 23,840 aspirants and also let them know the method of mediation. Whole program was broadcasted over the Internet. It has been reported there that one of the volunteers found a lost purse and he delivered that to its owner which itself is an unbelievable thing in this terrible kaliyuga (era of satan). This example also signifies that honesty is still alive!
Wednesday, 8 February 2012
मां करणी देवी मंदिर
मां करणी देवी मंदिर, जिसे चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता हैबीकानेर(प्रैसवार्ता)। मां अपने हर रूप में कल्याणकारी होते हुए अपने श्रद्धालु गण पर कृपा करके उनके दुखों को दूर करती है तथा माता का हर रूप चमत्कारी तथा मनोहरी होता है। भारतवर्ष में अनेकों ऐसे धार्मिक स्थल है, जहां मां चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान है, जहां बार-बार जाने को मन करता है। ऐसे धार्मिक स्थलों में राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर रोड़ पर स्थिति एक ग्राम देश नोक में मां करणी देवी का मंदिर है, जिसे चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है। लोगों की मान्यता है कि मां करणी देवी साक्षात मां जगदंबा की अवतार है और करीब 650 वर्ष पूर्व, जिस स्थान पर भव्य मंदिर बना हुआ है, वहां एक गुफा में रहकर मां ईष्ट देव की पूजा किया करती थी, जो आज भी मंदिर में स्थित है। मां के ज्योतिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई है। मां के आर्शीवाद से बीकानेर और जोधपुर राज्य की स्थापना हुई। मां के भक्त पूरे देशभर में है, जो समय-समय मां के दर्शन को देशनोक आते है।
चूहों की धमा चौकड़ी से पैदल चलने से लोग घबरा जाते है और अपने कदमों को घसीटते हुए मां करणी देवी की मूर्ति के समक्ष पहुंचते है। चूहे पूरे प्रांगण में मौजूद रहकर भक्तों के शरीर पर कूद-फांद करते है, मगर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे मांसाहारी जानवरों से चूहों की सुरक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। ऐसी भी यहां मान्यता है कि भाग्यवान लोगों को ही यहां सफेद चूहों के दर्शन होते है, जिन्हें शुभ माना जाता है। इस मंदिर में प्रात: पांच से सात बजे तक आरती समय चूहों का जुलूस देखने योग्य होता है। बताया जाता है कि 1595 की चैत्र में शुक्ल पक्ष की नवमी को करणी मां ज्योतिलीन हुई, तभी से मां की पूजा हो रही है। मां करणी के सौतले पुत्र की कुएं में गिरने से मृत्यु होने पर मां ने यमराज से पुत्र को जीवित करने की मांग की, तो यमराज ने मां के पुत्र को जीवित कर दिया, मगर एक चूहे के रूप में। तभी से यह माना जाता है कि मां करणी के वंशज मृत्यु उपरांत चूहे बनकर जन्म लेते है और इस मंदिर में स्थान पाते है। नवरात्रों पर वहां एक विशाल मेला लगता है, जिसमें देश भर से श्रद्धालु दर्शन करने तथा मन्नते मांगते है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी है।-चंद्र मोहन ग्रोवर(प्रैसवार्ता)
Sunday, 5 February 2012
जल है जीवन की तरंग
पानी का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इस बात को कोई भी झुठला नहीं सकता। पानी के बिना सृष्टि का निर्माण नहीं किया जा सकता, क्योंकि जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की क ल्पना ही नहीं की जा सकती। आज यदि हमें यह कहा जाए कि किस समस्या का सामना हमें सबसे ज्यादा करना पड़ रहा है तो हमारा जवाब होगा कि पानी की समस्या हमारे लिए एक निंदनीय बनता जा रहा है। महंगाई की समस्या के साथ शायद हम जूझ सकेंंं लेकिन पानी की समस्या का सामना करना हमारे बस में नहीं है। पानी का स्तर आज इतना नीचे पहुंच गया है कि यह स्तर लुप्त होने के कगार पर खड़ा है। इस स्तर को हम कब खो दे इस बात का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यह समस्या केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या बनती जा रही है। गुजरात, महाराष्ट्र तथा दिल्ली जैसे क्षेत्रों में पीने के लिए पानी भी कीमत चुकाकर लेना पडता है। जब इन क्षेत्रों में पानी की इतनी कमी हो तो आने वाले समय में आप इस आत का अंदाजा लगा सकते हैं कि पानी की कितनी कमी खल सकती है। एक दिन ऐसा समय आएगा, जब पानी की एक-एक बूंद के लिए व्यक्ति को मोहताज होना पड़ सकता हैे। वो समय दूर नहीं जब पानी के लिए भाई भाई का दुश्मन बन जाएगा। पानी के गिरते हुए स्तर का सबसे बड़ा कारण यह है कि घरों व फैक्ट्रियों में पानी का बहुत अधिक मात्रा में दुरूपयोग किया जा रहा है। आप ने कभी इस बात का अंदाजा लगाया है कि जो पानी आप व्यर्थ में बहा देते हैं, वह पानी कितने लोगों के काम आ सकता है। उस बहे हुए पानी की एक-एक बूंद से कितने लोगों की जि़ंदगी को बचाया जा सकता है। पानी की इस बढ़ती कमी के कारण क्या संकट पैदा हो सकता है इस बात का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। आज हमें इस बात की शपथ लेनी होगी कि पानी का व्यर्थ प्रयोग नहीं करेंगे तथा पानी की अधिक मात्रा को बचाकर रखेंगे। हम केवल स्वयं पानी की बचत नहीं करेंगेे बल्कि दूसरों को भी इसकी बचत के लिए पे्ररित करेंगे। यदि कोई व्यक्ति पानी का दुरूपयोग करता है तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसे इसकी कमी का ज्ञान करवाएं ताकि वह पानी के दुरूपयोग को कम करे। लोगों को जागरूक करके ही हम पानी की कमी से होने वाली इस समस्या से बच सकते हैं। इस समस्या से बचकर ही हम राष्ट्र को समृद्ध तथा विकसित देश बना सकते हैं।
Wednesday, 1 February 2012
सिरसा के उपायुक्त डा0 जे गणेसन ने किए निरीक्षण
बकरियांवाली गांव में बने कचरा प्रबन्धन प्लांट को सुचारू रूप से चलाने तथा नवीनीकरण पर एक करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी। यह जानकारी सिरसा के उपायुक्त डा0 जे गणेसन ने कचरा प्रबन्धन प्लांट का निरीक्षण करते हुए दी। राज्य सरकार द्वारा प्लांट के नवीनीकरण हेतू एक करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। उन्होंने निरीक्षण के दौरान प्लांट की पूरी प्रक्रिया को देखा और नगरपरिषद के अधिकारियों तथा प्लांट को संचालित कर रही निजि कम्पनी के कर्मचारियों से बातचीत की। यह कचरा प्रबन्धन प्लांट सिरसा में वायुसेना के विमानों की उड़ान की सुरक्षा के मद्देनजर स्थापित किया गया है। हरियाणा में इस तरह के दो प्लांट सिरसा व अम्बाला में स्थापित किए गए हैं।
फोटो कैप्शन :
सिरसा के उपायुक्त डा0 जे गणेसन गांव बकरियांवाली में बने कचरा प्रबन्धन प्लांट का निरीक्षण करते हुए।
उपायुक्त ने बताया कि इस कचरा प्रबन्धन प्लांट में एकत्रित कुड़े की छंटाई कर जैविक खाद बनाए जाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके साथ-साथ वर्मी कम्पोस्ट भी तैयार किया जाएगा। प्लांट में पहले से ही वर्मी कम्पोस्ट के लिए सभी ढांचागत सुविधाएं मुहैया हैं। इसक साथ-साथ प्लांट में बने जैविक व वर्मीकम्पोस्ट खाद की बिक्री की भी व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि शहर में सफाई व्यवस्था को और दुरूस्त करके शहर से ज्यादा से ज्यादा कचरा बकरियांवाली प्लांट में भेजा जाएगा जिससे शहर की सफाई प्रणाली में सुधार आएगा और प्लांट भी सुचारू रूप से कार्य करेगा।
उन्होंने नगरपरिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर में जहां कही भी डस्टबीन और स्थाई डस्टबीन रखने की जरूरत है तुरन्त प्रभाव से रखवाएं जाए। उन्होंने शहर के आधा दर्जन स्थानों पर सीमेंट के डस्टबीन बनवाने की बात भी कही। उन्होंने अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा कि शहर में कहीं भी कुड़ा-कचरा इधर-उधर पड़ा दिखाई नहीं देना चाहिए। शहर में उन्होंने बेगू रोड़, काठमण्डी, रानिया रोड़, बाईपास, डबवाली रोड़ व अन्य जगहों का दौरा किया और अधिकारियों से कहा कि तुरन्त प्रभाव से शहर की सफाई व्यवस्था दुरूस्त हो।
उपायुक्त ने शहर के विभिन्न बाजारों से अतिक्रमण हटाने बारे भी नगर परिषद अधिकारियों को निर्देश दिया और कहा कि सभी दुकानदारों को सूचित करें कि वे शीघ्र ही दुकानों के बाहर सड़कों पर पड़े सामान को हटाएं। इसके साथ-साथ उन्होंने शहर में विभिन्न जगहों पर रेता बजरी भी हटवाने के आदेश दिए। उन्होंने दुकानदारों से भी अपील की कि वे तुरन्त प्रभाव से सड़कों से अपना सामान हटाएं अन्यथा दुकानदारों के चालान किए जाएंगे और सामान जबत कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे इस सूचना को चेतावनी भी समझें।
नगरपरिषद के अभियन्ता श्री पालाराम ने बताया कि शहर में सफाई व्यवस्था के सभी प्रबन्ध चाक चौबंद कर लिए गए हैं और अतिक्रमण हटाने बारे दुकानदारों को नोटिस दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ दुकानदारों के सामान की वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए दुकानदारों को पांच दिन का समय दिया जा रहा है उसके बाद हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट 1973 की धारा 182 के तहत कार्यवाही करके चालान किए जाएंगे।
उन्होंने शहर में सीवर व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि इस कार्य को अति प्राथमिकता से करवाएं और शहर में कहीं भी सीवर जाम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीवर जाम होने से ओवरफलो हो जाते हैं जिससे सड़क टूटती रहती है । जहां कही भी इस प्रकार की समस्या आएगी इसके लिए सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेवाली सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने विशेष रूप से हुडा ग्रीन बैल्ट के बाईपास पर सामान्य अस्पताल की ओर जाने वाली बाईपास सड़क पर सीवर के कार्य को और तेजी से करवाने के निर्देश दिए। इसके साथ-साथ सड़क मरम्मत के लिए भी हुडा के अधिकारियों को आदेश दिए।
पत्रकार सम्मेलन
लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में कर्नल रंजन मनोचा निदेशक सेना भर्ती कार्यालय मिल्ट्री कैंट हिसार ने पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि आगामी 12 से 21 फरवरी, 2012 तक सेना में खुली भर्ती रैली के माध्यम से सिपाही क्लर्क, स्टोर कीपर तकनीकी, सेना सुरक्षा सिपाही, रिलिजियस टीचर(धर्म गुरू) तथा सिपाही सामान्य ड्यूटी पदों के लिए भर्ती हिसार के महाबीर स्टेडियम में होगी।
उन्होंने कहा कि सिरसा जिला के युवाओं के लिए 15 फरवरी को भर्ती का आयोजन होगा। इन पदों के लिए की जाने वाली खुली भर्ती में सामान्य श्रेणी के साथ सभी सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों एवं युद्ध विधवाओं के आश्रितों व एनसीसी प्रमाण पत्र प्राप्त और खिलाड़ी उम्मीदवार भर्ती में भाग लेने के पात्र होंगे। उन्होंने बताया कि इस खुली भर्ती में हिसार, जींद, फतेहाबाद तथा सिरसा जिलों के जवान भाग ले सकेंगे। सेना में विभिन्न पदों के लिए विभिन्न जिलों के उम्मीदवारों की भर्ती की तिथियां अलग-अलग निर्धारित की गई हैं।
कर्नल मनोचा ने कहा कि 12 फरवरी को सिपाही क्लर्क व स्टोर कीपर पदों की भर्ती में केवल जींद जिला के उम्मीदवार भाग लेंगे। इन उम्मीदवारों मेंं सामान्य श्रेणी के साथ सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं के पुत्र तथा एनसीसी प्रमाण पत्र प्राप्त व खिलाड़ी शामिल हैं। इसी दिन डिफैंस सिक्योरिटी सिपाही पदों के लिए गुडग़ांव, मेवात, पलवल तथा फरीदाबाद को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों व केन्द्र प्रशासित प्रदेश चण्डीगढ के उम्मीदवार भर्ती में भाग ले सकेगे। 12 फरवरी को ही धर्म गुरू व हवलदार सर्वेयर के पद के लिए गुडग़ांव, मेवात, पलवल, फरीदाबाद जिलों तथा केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीगढ को छोड़कर पूरे हरियाणा राज्य सहित हिमाचल प्रदेश के उम्मीदवार भाग ले सकेंगे।
भर्ती निदेशक श्री मनोचा ने कहा कि 13 फरवरी को फतेहाबाद जिला के जवानों के लिए सिपाही क्लर्क व स्टोर कीपर के पदों के लिए भर्ती आयोजित की जाएगी, जबकि इसी पद के लिए 14 फरवरी को हिसार व 15 फरवरी को सिरसा जिला के जवानों के लिए भर्ती का आयोजन होगा। इन पदों के लिए की जाने वाली खुली भर्ती में सामान्य श्रेणी के साथ सभी सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों एवं युद्ध विधवाओं के आश्रितों व एनसीसी प्रमाण पत्र प्राप्त और खिलाड़ी उम्मीदवार भर्ती में भाग लेने के पात्र होंगे।
कर्नल मनोचा ने बताया कि सामान्य ड्यूटी सिपाही पदों के लिए भर्ती 16 से 19 फरवरी तक की जाएगी, इसमें 16 फरवरी को जिला जींद, 17 फरवरी को फतेहाबाद व सिरसा, 18 फरवरी को जींद, हिसार, फतेहाबाद व सिरसा के सिख एवं मजहबी एवं रामदासिया सिख के उम्मीदवार भर्ती में भाग ले सकेंगे, जबकि 19 फरवरी को सिपाही सामान्य ड्यूटी पदों के लिए आयोजित भर्ती में केवल हिसार जिला के उम्मीदवार भाग ले सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन सभी भर्तियों में सामान्य श्रेणी के साथ सेवारत सैनिक, पूर्व सैनिक, युद्ध युद्धवाओं के आश्रितोंं सहित एनसीसी प्रमाण पत्र व खिलाड़ी उम्मीदवार भाग लेने के योग्य होंगे। इस भर्ती रैली में शारीरिक दक्षता में सफल उम्मीदवारों की डाक्टरी जांच 20 व 21 फरवरी को हिसार के महाबीर स्टेडियम में ही की जाएगी।
उन्होंने कहा कि डाक्टरी जांच में सफल धर्म गुरू व सर्वेयर पदों के सफल उम्मीदवारों की सामान्य प्रवेश परीक्षा आगामी 26 फरवरी को व सिपाही सामान्य ड्यूटी व क्लर्क तथा स्टोर कीपर पदों के सफल उम्मीदवारों की सामान्य प्रवेश परीक्षा आगामी 29 अप्रैल को हिसार के मिल्ट्री स्टेशन में की जाएगी।
कर्नल ने सेना भर्ती के लिए शारीरिक मापदण्ड बारे जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य डयूटी सिपाही पद के लिए उम्मीदवार 45 प्रतिशत अंकों के साथ मैट्रिक पास या इससे अधिक होना अनिवार्य है। प्रार्थी की लम्बाई 170 सैंटीमीटर, वजन 50 किलो तथा छाती 77 से 82 सैंटिमीटर तथा आयु साढे सतरह से 21 वर्ष के बीच में होनी चाहिए। इसी प्रकार सिपाही क्लर्क व स्टोर कीपर तकनीकी के लिए आयु साढे सतरह से 23 वर्ष, कद 162 सैंटिमीटर वजन 50 किलो तथा छाती 77 से 82 सैंटिमीटर होनी चाहिए तथा शैक्षणिक योग्यता में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास हो और प्रत्येक विषय में 40 प्रतिशत से कम अंक ना हों।
उन्होंने कहा कि सेना में खुली भर्ती में भाग लेने के इच्छुक उम्मीदवार अपने कान अवश्य साफ करवा कर आएं तथा अन्य शारीरिक जांच करवा कर आएं। उन्होंने कहा कि 2011 में चार जिले सिरसा, फतेहाबाद, जींद तथा हिसार जिलों के युवाओं के लिए सिरसा के शहीद भगत सिंह खेल स्टेडियम में भर्ती का आयोजन किया गया था जिसमें जिला प्रशासन तथा आमजन ने पूर्ण सहयोग दिया था। उन्होंने कहा कि अब सेना की खुली भर्ती हिसार के महाबीर स्टेडियम में की जा रही हैै। यह भर्ती पूरी तरह से पारदर्शिता, ईमानदारी तथा साफ सुथरी प्रणाली से की जाएगी। उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को भर्ती किया जाएगा। आने वाले वर्षो में भर्ती किए गए उम्मीदवारों के हाथों में देश की सुरक्षा का जिम्मा होगा इसलिए स्वच्छ छवि, पात्र व योग्यता के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे बिचौलिए एवं दलालों के चंगुल में न आएं क्योंकि भर्ती प्रक्रिया पूरी इमानदारी से की जाएगी। भर्ती प्रक्रिया में दलालों व बिचौलियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि सेना में खुली भर्ती में भाग लेने वाले युवाओं के शरीर के किसी भी अंग पर टैटू नहीं होना चाहिए। अगर किसी युवा के शरीर टैटू खुदा हुआ है तो वे टैटू को साफ करवाकर ही भर्ती में भाग लें।
Tuesday, 31 January 2012
चार महीने बाद अपने बिछड़े हुए परिवार से मिलवाया
सिरसा-भाई कन्हैया आश्रम में एक ओर महिला को चार महीने बाद अपने बिछड़े हुए परिवार से मिलवाया है। आश्रम संचालक गुरविंद्र सिंह ने बताया कि बीते वर्ष 15 अक्तूबर को सिरसा के खैरपुर क्षेत्र से एक प्रौढ महिला को लावारिस हालत में घूमते हुए देख कर आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने इस महिला को कन्हैया आश्रम में भिजवा दिया। उन्होंने बताया कि आश्रम में मनोरोग विशेषज्ञ डा. अमित नारंग ने इस महिला का उपचार किया तथा आश्रम के सेवादारों ने इसकी देखभाल की। उपचार के बाद इस महिला ने अपनी पहचान दलजीत कौर निवासी गिदडबाहा के रूप में करवाई। दलजीत कौर ने बताया कि उसके बेटे अरविंद्र की गिदड़बाहा बस अड्डे के पास कपड़े की दुकान है। इस पहचान के आधार पर आश्रम के सेवादार गुरमीत सिंह, बलराज सिंह बाजवा तथा गुरविंद्र सिंह इस महिला के साथ गिदडबाहा गए जहां दलजीत कौर ने अपना घर पहचान लिया। जैसे ही दलजीत कौर के घर पर दस्तक दी गई तो उसकी बेटी मनदीप कौर ने दरवाजा खोला और मां बेटी एक दूसरे को देखकर खुशी से झूम उठी। मनदीप कौर ने बताया कि करीब छह माह पहले उसकी मां दलजीत कौर मानसिक रूप से बीमार होकर घर से गायब हो गई थी तथा उनका पूरा परिवार अपनी मां को ढूंढकर थक गया। उन्होंने बताया कि अभी वे तलाश कर रहे थे और सबकुछ भगवान के भरोसे छोड़ा हुआ था आज भगवान ने उनकी सुन ली और फिर से परिवार में खुशियां लौट आई। मनदीप कौर ने भाई कन्हैया आश्रम व मानव सेवा ट्रस्ट संचालकों का दिल से आभार व्यक्त किया है।
Monday, 30 January 2012
कौन बनेगा करोडपति
पहले कौन बनेगा
करोडपति में पांच करोड़ का इनाम जीतने वाले सुशील कुमार करोड़पतियों मेंशामिल हुए और अब एक और आम आदमी पंजाब स्टेट लोटरी के लोहरी बम्पर से एक करोड़ का इनाम जीत कर करोडपतियो की फेहरिस्त में शामिल हो गया.सिरसा की कालांवाली मंडी के भगत राम को जब इनाम निकलने की खबर लगी तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.आज सारा कालांवाली उसकी ख़ुशी में ख़ुशी मना रहा है
.वही कालांवाली के लोगो की ख़ुशी के लिए भगत राम ने भी केक काट कर अपनी ख़ुशी का इज़हार किया और लोगो ने भी ढोल नगाडो के साथ नाच कर उसकी ख़ुशी को अपने साथ साँझा किया.वही कालांवाली मंडी में लड्डू और गुलाबजामुन बांटे जाने का दौर अभी भी जारी है और जशन मनाये जा रहे हैं .भगत राम ने बताया कि वो पिछले
15 सालो से लाटरी खरीद रहा है और आज भगवान ने उसकी सुन ली और उसे इनाम
में एक करोड़ की राशी मिली है,जिस से वो बहुत खुश है.अपनी ख़ुशी ज़ाहिर
करते हुए भगत राम ने कहा की वो करोडपति बनने के बाद भी अपनी पुराना सब्जी
बेचने का धंदा नहीं छोड़ेगा वो उसी प्रकार सब्जी की रेहड़ी लगाता
रहेगा.वही भगत राम ने कहा की इनाम की रकम से जहा वो अपने परिवार के लिए
घर बनाएगा वही बच्चो के लिए अच्छी शिक्षा का भी प्रबंध करेगा.इसके साथ ही
भगत राम ने कहा की वो रकम को किसी भी गलत काम में नहीं उडाएगा बल्कि इससे
धार्मिक और समाज की भलाई के लिए भी कुछ खर्च करेगा. भगत राम ने बताया कि
इनाम कि राशी उसे तीन महीने के भीतर मिल जाएगी और इसके बाद आगे से वो कभी
भी लाटरी नहीं खरीदेगा .सब्जी की रेहड़ी लगाने वाला भगत राम भगत राम करोडपति
होने के बाद भी सब्जी बेचने का धंदा नहीं छोड़ना चाहता.पंजाब स्टेट लोटरी
के लोहरी बम्पर से एक करोड़ का इनाम जीतने वाला भगत राम ख़ुशी से फुला
नहीं समा रहा और वो तमाम मंडी वालो को लड्डू बाँट कर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर
कर रहा है.भगत राम का कहना है की लोटरी की रकम मिलने पर सबसे पहले वो
अपने परिवार के लिए एक घर बनाएगा वही अपने बच्चो को भी बेहतर शिक्षा भी
दिलाएगा.कालांवाली में स्टेशन के सामने स्थित शनि मंदिर के नज़दीक रहने
वाले भगत राम के परिवार के दिन अब बदल चुके हैं उसके परिवार में उसकी माँ
के इलावा उसकी पत्नी और तीन बच्चे हैं जिसमे दो लड़कियां और एक लड़का
है.बड़ी लड़की को आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोडनी पड़ी लेकिन अब वो फिर से
अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेगी वही बाकि दो बच्चो को भी अच्छी शिक्षा दिला
सकेगा भगत राम.भगत राम तो करोडपति बनने पर खुश है ही लेकिन उसके संगी
साथी भी उसके करोडपति बनने की ख़ुशी में खुश नज़र आ रहे हैं.वो पिछले 15 सालो से लाटरी खरीद रहा है और आज भगवान ने उसकी सुन ली और उसे इनाम में एक करोड़ की राशी मिली है,जिस से वो बहुत खुश है.अपनी ख़ुशीज़ाहिर करते हुए भगत राम ने कहा की वो करोडपति बनने के बाद भी अपनी पुराना
सब्जी बेचने का धंदा नहीं छोड़ेगा वो उसी प्रकार सब्जी की रेहड़ी लगाता
रहेगा.वही भगत राम ने कहा की इनाम की रकम से जहा वो अपने परिवार के लिए
घर बनाएगा वही बच्चो के लिए अच्छी शिक्षा का भी प्रबंध करेगा.इसके साथ ही
भगत राम ने कहा की वो रकम को किसी भी गलत काम में नहीं उडाएगा बल्कि इस
से धार्मिक और समाज की भलाई के लिए भी कुछ खर्च करेगा. भगत राम ने बताया
कि इनाम कि राशी उसे तीन महीने के भीतर मिल जाएगी और इसके बाद आगे से वो
कभी भी लाटरी नहीं खरीदेगा .
भगत राम की पत्नी ममता ने कहा कि अब तक वो एक ही कमरे में
गुजारा कर रहे थे लेकिन लाटरी निकलने से उनका अपना खुद का घर बनाने का
सपना सच हो पायेगा,वही बच्चो को भी बेहतर शिक्षा दिलवा पाएंगे.ममता ने
कहा कि उनकी लाटरी निकलने कि ख़ुशी में बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ
है और लोग मिठाइयाँ बाँट कर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर कर रहे हैं.वही भगत राम की माँ शांति देवी ने कहा कि बेटे की लाटरी निकलने से वो
बहुत खुश है आज उसकी वजह से पुरे क्षेत्र ने उनका नाम हुआ है और घर की
तंगी दूर हुई है. शांति ने कहा कि पूरी जिंदगी उन्होंने आर्थिक तंगी में
गुजारी है ,इसी तंगी के चलते पढाई भी छोडनी पड़ी .शांति देवी ने कहा कि अब
लाटरी कि रकम से जहा बच्चो की पढ़ाई का प्रबंध किया जायेगा वही अपने
भाई,बहनों को भी मदद भी कर सकेंगे.
राम के भागीदार लालू ने बताया कि वो भगत राम को लाटरी के लिए मना करते थे
लेकिन भगवान की मर्ज़ी से उसे इतनी बड़ी रकम लाटरी में निकली है तो वो
बहुत खुश है और अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए वो मिठाइयाँ बाँट रहा
है.लालू ने कहा की भगत राम की वजह से लोग अब उसे भी जानने लग गए हैं
वेरना उसे कौन जानता था. सब्जी बेचने वाले भगत राम को एक करोड़ का इनाम निकलने की चर्चा पुरे
इलाके में है और लोग भी एक आम आदमी को लाटरी निकलने के बाद उसे बधाईयाँ
देने के लिए उसके घर पहुँच रहे हैं वही मिठाइयाँ बांटने का दौर भी जारी है.
अपने अंदर की बुराईयों को खत्म करों, मिलेगी आपकों खुशियां
सिरसा(मनोज अरोड़ा)। एक सच्चे मुरीद के लिए इससे बड़ा कोई त्यौहार हो नहीं सकता, जिसमें कुलमालिक ने जन्म लिया हो और जिसे साध-संगत बुराइयां त्यागने के रूप में मनाएं यह अपने आप में बेमिसाल है। उक्त उद्गार रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक रूहानी सत्संग को सम्बोधित करते हुए पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहे। इस अवसर पर पूज्य गुरूजी ने हजारों जीवों को गुरूमंत्र देकर बुराइयां न करने की शपथ दिलवाई गई। वहीं इस मौके पर पूज्य गुरू जी ने साधसंगत द्वारा लिखकर भेजे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक रूहानी सत्संग के भजन 'रूह गदगद हो गई है दातेया दर्शन करके तेरे' की व्याख्या करते हुए पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहा कि साधसंगत इस पावन अवतार माह के महायज्ञ में अपनी अंदर की बुराइयों की आहुति डाल रही है और बुराइयों का नाश हो रहा है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि जैसे-जैसे इंसान अपने अंदर की बुराइयों को नष्ट कर देता है तो उसे वो खुशियां मिलती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होती। पूज्य गुरूजी ने कहा कि जो इंसान अपने सतगुरू के वचनों पर अमल करता है तो सतगुरू भी कोई कमी नही छोड़ता और उनकी खाली झोलियों को लबालब भर देता है। पूज्य संत जी ने कहा कि आज के इंसान की यह फितरत बन चुकी है कि अगर उसकी एक इच्छा पूरी नही होती तो पहले पूरी हुई सभी इच्छाओं को भूल जाता है और मालिक, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा व रब्ब वचनों को मानना बंद कर देता है। मनमत्ते चलता है जिस कारण उसे बहुत दुख उठाने पड़ते है। इसलिए साध संगत को चाहिए कि वह गुरू के कहें अनुसार ही चले ताकि उसे दुखों, परेशानियों से छुटाकरा मिल सकें। पूज्य गुरू जी ने कहा कि इंसान जब तक सत्संग में चलकर नही आता तो उसे अच्छे-बुरे का पता नही चलता और जब वह सत्संग में आता है और सुनकर वचनों पर अमल करते है तो खुशियों से मालामाल हो जाता है। पूज्य गुरू जी ने मांसाहार व नशों की बुराइयां बतलाते हुए उनका त्याग करने का आह्वान करते हुए कहा कि इंसान का शरीर शाकाहारी है इसलिए इंसान को मांस, अण्डे का सेवन नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंसान को नशों से दूर रहना चाहिए क्योंकि नशें घरों के घर बर्बाद कर देते है। अगर आप ने नशा करना ही है तो अल्लाह, वाहगुरू, गॉड, खुदा रब्ब के नाम का करो, जो एक बार चढ़ गया तो कभी उतरेगा नही। इस मौके पर अनेक जोड़े सादगी पूर्ण ढ़ंग से दिलजोड़माला पहनाकर शादी के बंधन में बंधे। वहीं इस मौके पर सभी नवविवाहित जोड़ों के परिजनों ने जीते जी गुर्दादान, मरणोंपरांत आंखेंदान, शरीरदान के लिखित में फार्म भरे। सत्संग की समाप्ति पर हजारों नए जीवों को गुरूमंत्र देकर उन्हें बुराईयां न करने की शपथ दिलवाई गई।
शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक रूहानी सत्संग के भजन 'रूह गदगद हो गई है दातेया दर्शन करके तेरे' की व्याख्या करते हुए पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने कहा कि साधसंगत इस पावन अवतार माह के महायज्ञ में अपनी अंदर की बुराइयों की आहुति डाल रही है और बुराइयों का नाश हो रहा है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि जैसे-जैसे इंसान अपने अंदर की बुराइयों को नष्ट कर देता है तो उसे वो खुशियां मिलती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होती। पूज्य गुरूजी ने कहा कि जो इंसान अपने सतगुरू के वचनों पर अमल करता है तो सतगुरू भी कोई कमी नही छोड़ता और उनकी खाली झोलियों को लबालब भर देता है। पूज्य संत जी ने कहा कि आज के इंसान की यह फितरत बन चुकी है कि अगर उसकी एक इच्छा पूरी नही होती तो पहले पूरी हुई सभी इच्छाओं को भूल जाता है और मालिक, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा व रब्ब वचनों को मानना बंद कर देता है। मनमत्ते चलता है जिस कारण उसे बहुत दुख उठाने पड़ते है। इसलिए साध संगत को चाहिए कि वह गुरू के कहें अनुसार ही चले ताकि उसे दुखों, परेशानियों से छुटाकरा मिल सकें। पूज्य गुरू जी ने कहा कि इंसान जब तक सत्संग में चलकर नही आता तो उसे अच्छे-बुरे का पता नही चलता और जब वह सत्संग में आता है और सुनकर वचनों पर अमल करते है तो खुशियों से मालामाल हो जाता है। पूज्य गुरू जी ने मांसाहार व नशों की बुराइयां बतलाते हुए उनका त्याग करने का आह्वान करते हुए कहा कि इंसान का शरीर शाकाहारी है इसलिए इंसान को मांस, अण्डे का सेवन नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंसान को नशों से दूर रहना चाहिए क्योंकि नशें घरों के घर बर्बाद कर देते है। अगर आप ने नशा करना ही है तो अल्लाह, वाहगुरू, गॉड, खुदा रब्ब के नाम का करो, जो एक बार चढ़ गया तो कभी उतरेगा नही। इस मौके पर अनेक जोड़े सादगी पूर्ण ढ़ंग से दिलजोड़माला पहनाकर शादी के बंधन में बंधे। वहीं इस मौके पर सभी नवविवाहित जोड़ों के परिजनों ने जीते जी गुर्दादान, मरणोंपरांत आंखेंदान, शरीरदान के लिखित में फार्म भरे। सत्संग की समाप्ति पर हजारों नए जीवों को गुरूमंत्र देकर उन्हें बुराईयां न करने की शपथ दिलवाई गई।
पंजाब चुनाव: डेरा प्रमुख के दरबार पहुंचे 200 उम्मीदवार
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब खत्म हो चुका है। राजनीतिक दल और प्रत्याशियों की सांसे अटकी हुई हैं। हर कोई वोट बटोरने की जुगत में लगा हुआ है। पंजाब के नेता और उम्मीदवार डेरा के वोट बैंक को पाने की लालसा लिए डेरे का चक्कर लगाने लगे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके है। इनमें पंजाब के रसूखदार नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनप्रीत बादल और राजिंद्र कौर का नाम प्रमुख है।
करीब सात वर्ष पूर्व डेरा सच्चा सौदा द्वारा गठित राजनीतिक प्रकोष्ठ पिछले विधानसभा चुनाव में पंजाब प्रदेश में अपना करिश्मा दिखा चुका है।
90 लाख वोटरों तक पहुंच
पंजाब प्रदेश के मालवा क्षेत्र में डेरा प्रेमियों की संख्या काफी है, जो जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते है तथा राजनीतिक प्रकोष्ठ के संकेत पर ही मतदान करते है। डेरा का दावा है कि हरियाणा में उनके 45 लाख, पंजाब में 50 लाख, राजस्थान में 35, दिल्ली में 20 तथा यूपी में करीब 30 लाख के करीब डेरा अनुयायी है।
इस लिहाज से उनके अनुयायियों की संख्या करीब 1.75 करोड़ से अधिक है। इनमें वोटरों की संख्या करीब 90 लाख से अधिक है। अब राजनीतिक विंग के सहारे डेरा लोस चुनाव में अपने अपने लाखों अनुयायियों के बल पर ताकत दिखाने को बेताब हैं।
डेरा के वोट बैंक की ओर जहां पंजाब के सभी राजनीतिक दलों की टकटकी लगी है तो वहीं डेरा अपने अनुयायियों की नब्ज टटोलने में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में डेरा से पहले पंजाब में जिला लेवल पर अभियान से रायशुमारी की गई। अब डेरा की राजनीतिक विंग ने पंजाब के सभी 117 हलकों में दस्तक दी है।
डेरे के राजनीतिक प्रकोष्ठ द्वारा 2007 में हुए विधानसभाई चुनावों में दिखाए गए करिश्मे की बदौलत डेरा मुखी से आर्शीवाद पाने वालों की बाढ़ आ गई है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शह मात का खेल आरंभ कर दिया है।
डेरा सच्चा सौदा का इतिहास
डेरा सच्चा सौदा सरसा हरियाणा के सिरसा में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1948 में शाह मस्ताना जी महाराज ने की थी। ये बिलोचिस्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। बेपरवाह मस्ताना जी महाराज रूहानियत के कामिल फकीर थे। मस्ताना जी महाराज ने सामाजिक कार्य के लिए कई डेरों का निर्माण किया। दूर-दूर तक सत्संग लगाया।
सन् 1960 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी शाह सतनाम सिंह जी महाराज को सौंप दी गई। शाह सतनाम जी महाराज ने भजन कव्वालियों व व्याखानों के 20 ग्रथों की रचना की है। आश्रम में विवाह-शादी की भी एक नई परंपरा शुरू की। 1990 को संत गुरमीत राम रहीम सिंह ने इस गद्दी को संभाला। कुछ समय में ही देश-विदेश के 3.5 करोड़ से भी अधिक लोगों को डेरा से जोड़ लिया है।
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके है। इनमें पंजाब के रसूखदार नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनप्रीत बादल और राजिंद्र कौर का नाम प्रमुख है।
करीब सात वर्ष पूर्व डेरा सच्चा सौदा द्वारा गठित राजनीतिक प्रकोष्ठ पिछले विधानसभा चुनाव में पंजाब प्रदेश में अपना करिश्मा दिखा चुका है।
90 लाख वोटरों तक पहुंच
पंजाब प्रदेश के मालवा क्षेत्र में डेरा प्रेमियों की संख्या काफी है, जो जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते है तथा राजनीतिक प्रकोष्ठ के संकेत पर ही मतदान करते है। डेरा का दावा है कि हरियाणा में उनके 45 लाख, पंजाब में 50 लाख, राजस्थान में 35, दिल्ली में 20 तथा यूपी में करीब 30 लाख के करीब डेरा अनुयायी है।
इस लिहाज से उनके अनुयायियों की संख्या करीब 1.75 करोड़ से अधिक है। इनमें वोटरों की संख्या करीब 90 लाख से अधिक है। अब राजनीतिक विंग के सहारे डेरा लोस चुनाव में अपने अपने लाखों अनुयायियों के बल पर ताकत दिखाने को बेताब हैं।
डेरा के वोट बैंक की ओर जहां पंजाब के सभी राजनीतिक दलों की टकटकी लगी है तो वहीं डेरा अपने अनुयायियों की नब्ज टटोलने में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में डेरा से पहले पंजाब में जिला लेवल पर अभियान से रायशुमारी की गई। अब डेरा की राजनीतिक विंग ने पंजाब के सभी 117 हलकों में दस्तक दी है।
डेरे के राजनीतिक प्रकोष्ठ द्वारा 2007 में हुए विधानसभाई चुनावों में दिखाए गए करिश्मे की बदौलत डेरा मुखी से आर्शीवाद पाने वालों की बाढ़ आ गई है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शह मात का खेल आरंभ कर दिया है।
डेरा सच्चा सौदा का इतिहास
डेरा सच्चा सौदा सरसा हरियाणा के सिरसा में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1948 में शाह मस्ताना जी महाराज ने की थी। ये बिलोचिस्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। बेपरवाह मस्ताना जी महाराज रूहानियत के कामिल फकीर थे। मस्ताना जी महाराज ने सामाजिक कार्य के लिए कई डेरों का निर्माण किया। दूर-दूर तक सत्संग लगाया।
सन् 1960 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी शाह सतनाम सिंह जी महाराज को सौंप दी गई। शाह सतनाम जी महाराज ने भजन कव्वालियों व व्याखानों के 20 ग्रथों की रचना की है। आश्रम में विवाह-शादी की भी एक नई परंपरा शुरू की। 1990 को संत गुरमीत राम रहीम सिंह ने इस गद्दी को संभाला। कुछ समय में ही देश-विदेश के 3.5 करोड़ से भी अधिक लोगों को डेरा से जोड़ लिया है।
Subscribe to:
Posts (Atom)