ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ( एम्स ) की प्रतिष्ठित ऑल इंडिया पोस्ट ग्रैजुएट एंट्रेंस एग्जाम में मुन्नाभाइयों के मैनेजमेंट का भंडाफोड़ हुआ है। रविवार को एम्स अपने और देश भर के अन्य मेडिकल कॉलेजों के लिए एंट्रेंस टेस्ट करवा रहा था। एग्जाम शुरू होने के बाद एक सूचना पर स्पेशल ऑपरेशन स्क्वॉड (एसओएस) ने नोएडा में रेड की तो क्राइम ब्रांच की यह टीम भी हैरत में पड़ गई। इस हाईटेक कंट्रोल रूम से एग्जाम सेंटर में हर सवाल का जवाब पहुंचाया जा रहा था। कंट्रोल रूम में बैठे एक एमबीबीएस स्टूडेंट और एक चैनल के प्रोग्रामर को और एग्जाम सेंटर में बैठे एक एमबीबीएस डॉक्टर और दो एमबीए गिरफ्तार कर लिए गए हैं।
एग्जाम पास करवाने के लिए 20-20 लाख रुपये में सौदा किया गया था। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अशोक चांद ने बताया कि अडिशनल डीसीपी संजय भाटिया के नेतृत्व में एसीपी कृष्ण कुमार और इंस्पेक्टर राजेश की टीम को इस सिंडिकेट की सूचना मिली थी। इसके बाद एसआई देवेंद्र, कॉन्स्टेबल राजा राम, सुशील और जसविंदर की टीम ने रेड की। जेवर के रहने वाले दो एमबीए कृष्ण प्रताप और कपिल कुमार मेडिकल फील्ड से नहीं होने के बावजूद एग्जाम देने आए थे। इन दोनों ने टेस्ट के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर एडमिट कार्ड भी हासिल किया।
पेपर मिलते ही दोनों ने मोबाइल के कैमरे से पेपर के हर पेज का फोटो खींच कर कंट्रोल रूम पर ईमेल कर दिया। ऐसा करने में एक के सफल नहीं भी रहने पर दूसरे की व्यवस्था की गई थी। कंट्रोल रूम पर पेपर का प्रिंट लेने के लिए कंप्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर की व्यवस्था की गई थी। इतना ही नहीं लाइट चले जाने की स्थिति में इनवर्टर तक लगवाया गया था। वहां उज्जैन से आया एमबीबीएस सेकेंड ईयर का स्टूडेंट मोहित और एक धार्मिक चैनल में प्रोग्रामर भीष्म सिंह पेपर सॉल्व कर एग्जाम सेंटर में बता रहे थे। वहां पर एक और एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट मौजूद था, जो मौके से फरार हो गया।
एग्जाम सेंटर में पेपर दे रहे एमबीबीएस की शर्ट की कॉलर में ब्लूटूथ का ट्रांस्मीटर सिलवाया गया था, जबकि कान में ईयर प्लग की सिर्फ चिप ही लगाई गई थी। ताकि किसी को दिखाई न दे। इन सभी को मोबाइल बेल्ट से ऊपर ही रखने के लिए कहा गया था, ताकि सिग्नल में प्रॉब्लम न हो। अब तक की जांच में आधा दर्जन एमबीबीए के इस तरह से एग्जाम देने का खुलासा हो चुका है। इस केस में अब तक दो एमबीए, एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक एमबीबीएस के स्टूडेंट और चैनल प्रोग्रामर को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एक साथ कई जगह पर क्राइम ब्रांच रेड कर रही है।
एग्जाम पास करवाने के लिए 20-20 लाख रुपये में सौदा किया गया था। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अशोक चांद ने बताया कि अडिशनल डीसीपी संजय भाटिया के नेतृत्व में एसीपी कृष्ण कुमार और इंस्पेक्टर राजेश की टीम को इस सिंडिकेट की सूचना मिली थी। इसके बाद एसआई देवेंद्र, कॉन्स्टेबल राजा राम, सुशील और जसविंदर की टीम ने रेड की। जेवर के रहने वाले दो एमबीए कृष्ण प्रताप और कपिल कुमार मेडिकल फील्ड से नहीं होने के बावजूद एग्जाम देने आए थे। इन दोनों ने टेस्ट के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर एडमिट कार्ड भी हासिल किया।
पेपर मिलते ही दोनों ने मोबाइल के कैमरे से पेपर के हर पेज का फोटो खींच कर कंट्रोल रूम पर ईमेल कर दिया। ऐसा करने में एक के सफल नहीं भी रहने पर दूसरे की व्यवस्था की गई थी। कंट्रोल रूम पर पेपर का प्रिंट लेने के लिए कंप्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर की व्यवस्था की गई थी। इतना ही नहीं लाइट चले जाने की स्थिति में इनवर्टर तक लगवाया गया था। वहां उज्जैन से आया एमबीबीएस सेकेंड ईयर का स्टूडेंट मोहित और एक धार्मिक चैनल में प्रोग्रामर भीष्म सिंह पेपर सॉल्व कर एग्जाम सेंटर में बता रहे थे। वहां पर एक और एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट मौजूद था, जो मौके से फरार हो गया।
एग्जाम सेंटर में पेपर दे रहे एमबीबीएस की शर्ट की कॉलर में ब्लूटूथ का ट्रांस्मीटर सिलवाया गया था, जबकि कान में ईयर प्लग की सिर्फ चिप ही लगाई गई थी। ताकि किसी को दिखाई न दे। इन सभी को मोबाइल बेल्ट से ऊपर ही रखने के लिए कहा गया था, ताकि सिग्नल में प्रॉब्लम न हो। अब तक की जांच में आधा दर्जन एमबीबीए के इस तरह से एग्जाम देने का खुलासा हो चुका है। इस केस में अब तक दो एमबीए, एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक एमबीबीएस के स्टूडेंट और चैनल प्रोग्रामर को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एक साथ कई जगह पर क्राइम ब्रांच रेड कर रही है।
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