क्या आप जानते हैं कि मानव का सबसे पुराना दुश्मन कौन है? नहीं... तो देश के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) से पूछिए। जी हाँ, मनुष्य के सबसे पुराने दुश्मन मच्छर के खिलाफ डीआरडीओ ने कमर कस ली है। मच्छरों को बेवकूफ बनाने के लिए कुछ क्रीम बनाई गई है।
'मैक्सो मिलट्री', 'मैक्सो सेफ' और सॉफ्ट वाइप्स, डीआरडीओ ने ये क्रीम आधारित उत्पाद तैयार किए हैं। इनकी गंध लाजवाब है और दूसरे उत्पादों की तरह यह चमड़ी के रोम छिद्र भी बंद नहीं करेगी। डीआरडीओ के शोध व विकास के मुख्य नियंत्रक प्रहलाद ने कहा कि यह लगाने से मच्छरों को मानव गंध नहीं आएगी। साथ ही इसको लगाने से मच्छरों की समझने की शक्ति गड़बड़ा जाएगी, जिससे वे मानव को नहीं काटेंगे।
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इस पर शोध व विकास डीआरडीओ ने किया है। इसको ज्योति लैब द्वारा बनाया और बेचा जाएगा। इसको रक्षा सेवा के अलावा बाहर बेचने का लाइसेंस भी मिला है। विशेष तकनीकी के जरिए अपनी तरह का पहला ऐसा क्रीम तैयार किया गया है। इसके लिए डीआरडीओ और फिक्की के बीच इसके व्यवसायीकरण का करार हुआ है।
सैनिक घने जंगलों और दुर्गम इलाकों में रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए क्रीम तैयार की गई है। हमेशा इन सैनिकों को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगु की आशंका रहती है। इसे डायइथाइल फिनाइल एसिटामाइड तकनीक के आधार पर तैयार किया है। इसमें काफी समय से काम चल रहा है और कई सुधार किए गए।
'मैक्सो मिलट्री', 'मैक्सो सेफ' और सॉफ्ट वाइप्स, डीआरडीओ ने ये क्रीम आधारित उत्पाद तैयार किए हैं। इनकी गंध लाजवाब है और दूसरे उत्पादों की तरह यह चमड़ी के रोम छिद्र भी बंद नहीं करेगी। डीआरडीओ के शोध व विकास के मुख्य नियंत्रक प्रहलाद ने कहा कि यह लगाने से मच्छरों को मानव गंध नहीं आएगी। साथ ही इसको लगाने से मच्छरों की समझने की शक्ति गड़बड़ा जाएगी, जिससे वे मानव को नहीं काटेंगे।
सैनिक घने जंगलों और दुर्गम इलाकों में रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए क्रीम तैयार की गई है। हमेशा इन सैनिकों को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगु की आशंका रहती है। इसे डायइथाइल फिनाइल एसिटामाइड तकनीक के आधार पर तैयार किया है। इसमें काफी समय से काम चल रहा है और कई सुधार किए गए।
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