Monday, 9 January 2012

सावधान! दिल्ली के पेट्रोल पंपों की फिजा में है कैंसर

 अगर आप दिल्ली में किसी भी पेट्रोल पंप से अपनी गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भरवाते तो हैं तो सावधान हो जाइए। इन पेट्रोल पंपों के कैंपस में बहने वाली हवा जहरीली है और जब आप इस हवा में सांस लेते हैं तो आपके शरीर में तमाम प्रदूषित कणों के साथ कैंसर पैदा करने वाले कुछ तत्व भी पहुंचते हैं। 

दिल्ली के 40 पेट्रोल पंप्स पर स्टडी करने के बाद द एनर्जी ऐंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट ( TERI ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। अंग्रेजी टैब्लॉइड 'मेल टुडे' टेरी की रिपोर्ट के हवाले से कहा है, दिल्ली में मौजूद पेट्रोल पंप्स के कैंपस में हवा की क्वालिटी खतरनाक स्तर तक खराब है और इसमें ऐसे जीवाणु मौजूद हैं जो आगे चल कर कैंसर की वजह बनते हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा न सिर्फ प्रदूषित है ब्लकि इसमें बेंजीन, टॉल्यून और ज़ाइलेन जैसे जहरीले यौगिक मौजूद हैं। इनकी मात्रा परमिसिबल लिमिट से हजार गुणा ज्यादा है। 

वे सभी लोग जो इन पेट्रोल पंप पर आते हैं, उनमें ये कैंसरकारी तत्व सांस के जरिए प्रवेश करते ही हैं। ऐसे में जो लोग (कर्मचारी आदि) वहां 10 से 12 घंटे का समय बिताते हैं, उनके लिए इनकी चपेट में आने का खतरा बहुत ज्यादा है। 

टेरी ने हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंपों पर यह स्टडी की है। इन कंपनियों के पेट्रोल पंप पूरी दिल्ली में फैले हैं। इस स्टडी में शामिल रहीं रिसर्चर मीना सहगल ने इस बारे में बताया, 'जब भी अपनी गाड़ी की टंकी में पेट्रोल डलवाता है, ये खतरनाक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं।' 

जो पेट्रोल पंप भीड़भाड़ इलाकों में हैं, वहां इसकी चपेट में ज्यादा से ज्यादा लोग आते हैं। एम्स के रेडियोथेरपी विभाग के सीनियर प्रफेसर डॉक्टर पी. के. झुलका ने डेली मेल से कहा कि जो भी इन पेट्रोल पंप पर जाता है, वह इन विषैले तत्वों की चपेट में आता है। सरकार को इन खतरनाक तत्वों को लीक होने से रोकने के उपाय करने चाहिए। 

वैसे, भारत में फिलहाल पेट्रोल पंप कैंपस में हवा की स्वच्छता को लेकरर कोई मानक तय नहीं किए गए हैं। हालांकि, पेट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मियों को मास्क दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें पहने हुए उन्हें कम ही देखा गया है। 

अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इन जगहों पर मौजूद टॉक्सिक कणों के हानिकारक प्रभाव को वेपोर रिकवरी सिस्टम इंस्टॉल करके कम किया जा सकता है जैसा कि विदेशों में किया जाता है। ये सिस्टम दिल्ली के कई पेट्रोल पंप पर देख गए लेकिन इन्हें लागू करना अनिवार्य नहीं है और इसलिए इनका प्रयोग बमुश्किल ही किया जाता है। ऑयल कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार, ऑयल कंपनी को इस समस्या का पता है और वेपोर रिकवरी सिस्टम के बारे में वह डेमो देती भी हैं लेकिन यदि इसके उपयोग को लेकर कोई नियामक हो तो हम इसके संबंध में उचित कदम उठा सकते हैं। 

आईओसी के प्रवक्ता ने डेली मेल से कहा कि टेरी की रिपोर्ट के बल पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता जब तक कि हम खुद यह नहीं देख लेते। 

टेरी ने गर्मियों और सर्दियों दोनों ही मौसम में प्रतिदिन 8 घंटे पेट्रोल पंप पर ऑब्जर्वेशन किया है। ये जहरीले तत्व गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में अधिक गहन पाए गए।

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